उत्तरा जनवरी-मार्च 2016

कविताएं

बड़ी होती लड़की शीला रजवार 1. भादों कामहीना आ गया थामाँ नेपुरानी फटी/सुन्दर किनारी कीसाड़ियों सेमेरी गुड़िया के...

कहानी : उत्तरायणी

सुजाता संक्रान्त आने को चार दिन ही बचे थे, उत्तरायणी मेले की तैयारी में आस-पास वैसे ही खूब...

कहानी : अंधकार के उत्स से

 जया मित्रा ”नाम?””शान्तबाला कुईला।””पति का नाम?”शान्तबाला चुप रही। सामने वाला व्यक्ति भी छोड़ने वाला नहीं था। उसने फिर...