हमारी दुनिया

News from the World of Women October December
फोटो: Washington Post से साभार

अक्षमता से आगे संपदा

आमतौर पर विकलांगता की श्रेणी में आने वालों को अक्षम माना जाता है। परन्तु संपदा सिन्हा ने ‘पर्सन विद डिसएबिलिटी’ की श्रेणी में ही अखिल भारतीय विधि प्रवेश परीक्षा में पन्द्रहवां बी.एच.यू. लॉ प्रवेश परीक्षा में पूरे देश में चौथा स्थान प्राप्त कर यह साबित कर दिया है कि सफलता का हुनर किसी का मोहताज नहीं होता। सम्पदा सिन्हा की इस सफलता पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर सम्पदा को सम्मानित किया व आने वाले जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं।
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ऑस्कर विजेता अथैया

भारत की प्रथम ऑस्कर पुरस्कार विजेता भानु अथैया का 15 अक्टूबर 2020 को निधन हो गया। भानु अथैया ने फिल्मी दुनिया में अपने कैरियर की शुरूआत 1956 में गुरुदत्त की सुपरहिट फिल्म सी.आई.डी. में कॉस्ट्यूम डिजाइनर के रूप में की थी। कॉस्ट्यूम डिजाइनर के ही रूप में सन् 1983 में उन्होंने रिचर्ड एटेनबरो की फिल्म ‘गाँधी’ के लिए जॉन मोलो के साथ संयुक्त रूप से बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइनर का ऑस्कर पुरस्कार जीता था। भानु अथैया का जन्म कोलाहपुर महाराष्ट्र में हुआ था। अपने पुरस्कार को सुरक्षित रखे जाने के लिए उन्होंने 2012 में अपना ऑस्कर पुरस्कार एकडेमी ऑफ मोशन पिक्चर आटर््स एण्ड साइंसेज को लौटा दिया था। ऑस्कर विजेता रेसुल पुकुट्टी उनके विषय में कहते हैं, ‘‘अथैया मार्गदर्शक रही हैं, जब किसी ने ऑस्कर का नाम भी नहीं सुना था, तब उन्होंने उसे हमारे लिए जीता। आप एक प्रेरणा थीं।’’

लुईस को साहित्य का नोबेल

साहित्य के क्षेत्र में काव्य की उत्कृष्ट शैली के लिए अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लिक को 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया है। उनकी कविताएं आम लोगों के पारिवारिक व बाल जीवन से जुड़ी व्यावहारिक कविताएं हैं जो व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक पहचान दिलाती हैं और जिनमें सादगी भरी सुन्दरता का अप्रतिम वर्णन है। 77 वर्षीया ग्लिक न्यूयार्क में पैदा हुईं। लगभग 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने पहली रचना ‘फस्र्टबॉर्न’ लिखी और जल्द ही अमेरिकी समकालीन साहित्य के सर्वाधिक जाने-माने कवियों की श्रेणी में शामिल हो गईं। इनके 12 कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं। वर्तमान में वे येल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफसर हैं।

घरेलू हिंसा कानून का दायरा विस्तारित

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि अब घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला पति के घर के अतिरिक्त सास-ससुर समेत किसी भी रिश्तेदार के घर में रह सकती है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ के इस फैसले से अब घरेलू हिंसा कानून 2005 की धारा 2 (एस) का दायरा विस्तारित हो गया है। इस धारा में हिंसा के बाद घर से निकाली गई महिला को साझा घर में रहने का अधिकार मिल गया है। अब तक केवल पति का घर साझा घर माना जाता था। 2007 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अब पलट दिया गया है, जिसका मकसद महिलाओं को समाज में उचित अधिकार देना है।
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पिता के लिए बनी वकील

विकासनगर, देहरादून की अभिलाषा बंसल ने 13 साल की उम्र में ही पिता को पदोन्नति के सिलसिले में कानूनी पेंच से उलझते देख तब वकील बनने का फैसला किया था। अब उसका यह सपना पूरा हुआ है। अभिलाषा बंसल ने क्लैट (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) में इस बार 55वीं रैंक पाई है। अभिलाषा कहती है कि पिता आर.टी.ओ. में नौकरी करते हैं और पिछले सात साल से पदोन्नति के कानूनी दांव-पेंच की वजह से न्यायालय के चक्कर लगा रहे हैं। आज भी उनका मामला अदालत में है। अब अभिलाषा वकील बनकर लोगों की कानूनी मदद करना चाहती है।

हिमाचल की इकलौती बस ड्राइवर

हिमाचल प्रदेश देश के विषम भौगोलिक क्षेत्रों में से एक है। यहाँ आवागमन का एकमात्र साधन सड़क परिवहन है, जो दुनिया भर में सबसे खतरनाक सड़कों के लिए जाना जाता है। इन सड़कों पर गाड़ी चलाना खतरे से खाली नहीं है और यह काम तब और भी जोखिम व जिम्मेदारी भरा हो जाता है जब कोई सार्वजनिक परिवहन चालक का काम करता है। इस जोखिम भरे काम को बड़ी जिम्मेदारी से पूरा करती हैं हिमाचल प्रदेश की एकमात्र महिला बस ड्राइवर सीमा ठाकुर। हिमाचल सड़क परिवहन निगम में कुल 8813 कर्मचारियों में सीमा ठाकुर अकेली महिला बस ड्राइवर हैं जो बस चलाने में पुरुषों के वर्चस्व के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाती हैं।

नाबालिग के शोषण पर एक जज बर्खास्त

उत्तराखण्ड की सरकार ने अलग तरह के पहले मामले में शासनादेश जारी किया है जिसमें न्यायिक सेवा अधिकारी दीपाली शर्मा की सेवाएं समाप्त किये जाने के आदेश दिए हैं। उन पर एक नाबालिग बालिका को अपने घर पर रखने व उसका शारीरिक व मानसिक शोषण करने के आरोप थे। इस मामले में सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले की जांच में बालिका जज के घर में पायी गयी थी। उच्च न्यायालय की फुल बेंच ने आरोपी जज की सेवाएं समाप्त करने का संकल्प पारित किया जिस पर शासन ने कार्यवाही की है। प्रदेश में किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी सरकारी अधिकारी की बर्खास्तगी का यह अपनी तरह का पहला मामला है।

जिलाधिकारी नैनीताल की स्वागतयोग्य पहल

नैनीताल के जिलाधिकारी सविन बंसल ने जिले में महिला समूहों में काम करने वाली महिलाओं के हुनर को पहचान व रोजगार  दिलाने के लिए स्वागतयोग्य पहल की है। जिलाधिकारी की पहल के बाद ही सरकारी कार्यालयों और अस्पतालों में आने वाले लोगों को चाय, जलपाल व शुद्ध भोजन उपलब्ध कराने के लिए महिला समूहों द्वारा संचालित कैंटीन खुलवाई गई हैं। महिलाओं के हुनर को देखते हुए तहसील हल्द्वानी परिसर, विकास भवन परिसर, बीडी पाण्डे अस्पताल और कलेक्ट्रेट परिसर नैनीताल में ‘हिलांस’ कैंटीन शुरूआती चरण में खोली गई हैं। जिलाधिकारी का कहना है कि ग्रामीण परिवेश में महिलाओं को सही मार्गदर्शन एवं तकनीकी जानकारी दी जाए तो वह बेहतर तरीके से स्वरोजगार शुरू कर सकती हैं।
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समूह जब ताकत बनी

छत्तीसगढ़ राजनांदगांव की रहने वाली फूलबासन यादव ने अपनी गरीबी व शोषण से उठकर एक मिसाल कायम की। उन्होंने अपनी विषम र्आिथक परिस्थिति में दस महिलाओं के साथ स्वयं सहायता समूह बनाकर दो मुट्ठी चावल और हर सप्ताह दो रुपये जमा करने की योजना बनायी। पति के साथ-साथ उन्हें इस काम के लिए सामाजिक विरोध झेलना पड़ा। परन्तु उन्होंने अपनी दशा बदलने की ठान ली थी और जल्द ही अन्य महिलाओं की मदद से आम और नींबू का आचार तैयार करके राज्य के करीब तीन सौ स्कूलों में बेचा। यह सफर चलता रहा और काम भी फैला। धीरे-धीरे उनके समूह ने अगरबत्ती डिटर्जेंट पाउडर, मोमबत्ती आदि भी बनाना शुरू किया और आज दो लाख से अधिक महिलाएं उनके इस समूह से जुड़कर स्वावलंबन से जुडी हैं। समूह की महिलाओं को जब से पांच हजार प्रतिमाह आय जुड़ने लगी तो आपस में ही कर्जा लेना शुरू किया और सूदखोरी के बोझ से बचीं। बचत राशि से समूह ने सामाजिक कार्य किये, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अभियान चलाये व शराबबन्दी, बाल विवाह जैसी सामाजिक समस्याओं के खिलाफ आन्दोलन किये। उनके इन कार्यों के लिए भारत सरकार ने फूलबासन यादव को 2012 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा।

बुद्धिजीवियों में टीचर शैलजा सर्वोत्तम ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाली पत्रिका प्रोस्पेक्ट ने हाल ही में दुनिया के 50 बुद्धिजीवियों की सूची जारी की है जिसमें भारत की केरल निवासी के.के. शैलजा को सर्वोच्च स्थान पर रखा गया है। वर्तमान में टीचर के नाम से जाने-जानी वाली शैलजा केरल में स्वास्थ्य मंत्री हैं। उन्हें यह स्थान कोरोना से निपटने में उनकी दूरर्दिशता व कार्यशैली के लिए दिया गया है। पत्रिका ने लिखा है कि ‘‘हमारने जो टॉप दस हैं वे कोविड 19 के व्यावहारिक दिमाग के विचारक हैं और उनमें जो विजेता हैं वे सर्वाधिक व्यावहारिक हैं।’’ इस वर्ष 23 जून को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सार्वजनिक सेवा दिवस के मौके पर जन सेवक कोरोना योद्धाओं के सम्मान समारोह में के.के. शैलजा को वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इस समारोह में भारत से वे ही एकमात्र आमंत्रित थीं।
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प्रस्तुति : पुष्पा गैड़ा

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