अक्टूबर-दिसंबर 2010

जैता एक दिन तो आलौ……

दिनेश उपाध्याय वक्त हमेशा बदलता है और प्रतिगामी शक्तियाँ उन्हें हमेशा रोकने की कोशिश करती हैं। मानव समाज...

बच्चा! मछली!! बाढ़!!!

गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ तुलसीदासोवाचः ….क्षिति जल पावक गगन समीरापंचतत्व यह अधम शरीरा मेरे बच्चे!मैं जानता हूँकि पानी की...