उत्तराखण्ड आन्दोलन : राज्य नहीं तो चुनाव नहीं

विमला असवाल

उन्हीं दिनों राज्य विधान परिषद के लिए चुनाव होने वाले थे। आन्दोलनकारियों की ओर से नारा दिया गया – राज्य नहीं तो चुनाव नहीं । नैनीताल में कुमाऊँ-गढ़वाल विधान परिषद के लिए स्नातक सीट के लिए भी नामांकन होना था और भाजपा के  बिन्देश गुप्ता ने धरना-प्रदर्शन के बीच ही चुपचाप नामांकन करा लिया था। इसी दौर में संसदीय चुनाव भी हुए। इसके विरोध में भी कलेक्ट्रेट परिसर में लगातार धरना प्रदर्शन प्रारम्भ हो गया। रोज चालीस-पचास के लगभग लोग सुबह 10 बजे से सायं काल कार्यालय बंद होने तक धरने में बैठते थे।  धरने में सभा भी चलती रहती थी। सभी लोग अपने भाषणों में चुनाव का बहिष्कार करने की बात कहते थे। 28 मार्च को भी कलेक्ट्रट परिसर में उत्तराखण्ड महिला मंच, उत्तराखण्ड क्रान्तिदल, सी. पी. आई., उत्तराखण्ड सांस्कृतिक परिषद, छात्र संघ, नागरिक परिषद की ओर से धरना दिया गया तथा राष्ट्रपति के लिए ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में यह माँग की गई कि उत्तराखण्ड की जनभावनाओं को देखते हुए यहाँ पर चुनाव प्रक्रिया को स्थगित कर देना चाहिए।

1 तथा 2 अप्रैल को चुनाव बहिष्कार के लिए सभी जगह कार्यालयों को बंद कराने की घोषणा की गई थी। परन्तु हल्द्वानी और रामनगर के अलावा सभी जगह के कार्यालय खुले थे। नैनीताल, अल्मोड़ा आदि मुख्यालयों में नामांकन होने के कारण भी कार्यालय खुले रहे। लेकिन कलक्ट्रेट में लगातार धरना भी चलता रहा। बीच-बीच में प्रतीकात्मक चक्काजाम भी किया गया तथा दफ्तर भी बंद कराये गये। जिला अधिवक्ता संघ ने कार्य बहिष्कार भी किया। स्कूल भी बंद रहे पर बाजार खुला रहा। कुमाऊँ विश्वविद्यालय छात्र-संघ, उत्तराखण्ड स्टूडेंट फैडरेशन, उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति तथा क्रान्तिकारी छात्र संगठन ने बंद को सफल बनाने में सहयोग किया। धरने के दौरान ही पता चला कि चुपचाप तीन नामांकन हो गये हैं। महिला मंच की महिलाओं ने निर्वाचन अधिकारी भवानसिंह बिष्ट जी को घेर रखा था। कुछ महिलाएँ अन्दर बैठी थीं ताकि कोई नामांकन न करवा सके। अन्य लोग बाहर बरामदे में बैठे थे। इसी बीच एक आदमी थैले में कागज लेकर आया। हमने सोचा कि इसका कोर्ट में कोई काम होगा। पता चला कि उसने अपना नामांकन करवा लिया। हमने एस.डी.एम को घेर रखा था और हमने उन्हें बाहर नहीं जाने दिया। हमें पता था कि डॉ. महेन्द्र पाल भी आज नामांकन करवाने वाले हैं। वे ए.डी.एम. कुणाल शर्मा के कमरे में बैठे थे। हमने एस.डी.एम के कमरे में अन्दर वाले दरवाजे को भी बंद कर रखा था। थोड़ी देर में जिलाधिकारी का फोन आया तो एस.डी.एम ने खड़े होकर गुस्से में जोर से दरवाजा खींचा तो दरवाजा उखड़ गया और वे जन्दी से अन्दर के रास्ते से चले गये। बाकी लोग बाहर थे, उन्हें पता नहीं चला। ए.डी.एम के कार्यालय में ही डॉ. पाल तथा कुछ अन्य लोगों के नामांकन हो गये। हमने इसके विरोध में खूब नारे लगाये पर नामांकन तो हो ही गये थे। उस दिन बाहर सभा भी चलती रही। श्री राजीव लोचन साह, माधवानन्द मैनाली, विश्वम्भर नाथ साह ‘सखा’ आदि ने चुनाव के विरोध में भाषण दिये। गिर्दा ने अपने गीत सुनाये। छात्रसंघ अध्यक्ष संजय बिष्ट, उपाध्यक्ष कुबेर गिनती, सचिव गिरीश भट्ट, शंकर भट्ट, बालमसिंह भंडारी, शाकिर अली, कमलेश पाण्डे तथा महिला मंच के सदस्यों ने बाद में मुख्य चुनाव अधिकारी को ज्ञापन दिया कि आज के हुए तीनों नामांकनों को तुरन्त निरस्त किया जाय।

नामांकन और मतदान के बीच के समय में हमने जगह-जगह चुनाव बहिष्कार के लिए सम्पर्क किया। नैनीताल में हर मुहल्ले में जाकर हमने लोगों से वोट न देने की अपील की। लोगों पर इसका असर भी पड़ा। एक दिन हमने एक छोटी गाड़ी में लाउडस्पीकर लगाकर चुनाव बहिष्कार का प्रचार किया। बसन्ती पाठक, कमल नेगी, गंगा बिष्ट, कौशल्या साह, लीला बिष्ट आदि ने नैनीताल के आसपास के इलाकों में जनसम्पर्क किया। जहाँ पर भी लोग जमा रहते थे गाड़ी रोककर चुनाव बहिष्कार के विषय में बताते थे। भवाली, मंगोली, ज्योलीकोट तथा गरमपानी आदि जगहों में छोटी-छोटी सभाएँ की गई। मतदान के दिन तक हम लोग कहीं न कहीं चुनाव बहिष्कार के लिए जनसम्पर्क करते रहे। बीच में यह बात भी आयी कि कहीं हमें घर से रात में ही गिरफ्तार न कर लिया जाय। इसलिए हमने कहा कि अगर किसी के घर पुलिस आती है तो वह दूसरे को भी सावधान कर दे। अन्त में हमने 1 मई को चुनाव बहिष्कार के लिए गाँधी र्मूित के पास शान्तिपूर्वक धरना देने का निश्चय किया।
Uttarakhand movement: No state, no elections

1 मई की सुबह हमारे तल्लीताल के साथी 9 बजे ही गाँधी चौक में बैठ गये। दूर-दूर के साथी 11 बजे तक वहाँ पहुँचने वाले थे लेकिन 11 बजे से पहले ही हमें फोन से सूचना मिल गयी कि हमारे साथियों को गिरफ्तार करके तल्लीताल थाने में ले गये हैं। हमसे कहा गया कि तुम लोग भी आकर गाँधी र्मूित के पास बैठ जाना और जोर-जोर से नारे लगाना। मैं और धना गडवग्गी घर से जल्दी-जल्दी निकले और पैदल ही तल्लीताल की ओर चल दिये। उस दिन मतदान के कारण रिक्शे सब बन्द थे। गाँधी चौक में कोई भी नहीं था। हमारी समझ में नहीं आया कि क्या करें। हमने सोचा कि थाने की तरफ जाते हैं लेकिन जैसे ही तल्लीताल बाजार की ओर बढ़े, पीछे से जीप लेकर थानाध्यक्ष राजेन्द्रसिंह ह्यांकी आये और बोले मैं आप दोनों को गिरफ्तार करता हूँ, आप जीप में बैठ जाएं। मैंने उनसे कहा कि आप हमें किस जुर्म में गिरफ्तार कर रहे हैं, न तो हम धरने में बैठे हैं, न नारे लगा रहे हैं। फिर आप हमें कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं। वे बोले, दीदी मैं सब जानता हूँ, आप आन्दोलनकारी हो और आप जीप में बैठ जाओ। तब हम दोनों ही जीप में बैठ गये। उन्होंने हमें तल्लीताल थाने में अन्य साथियों के साथ पहुँचा दिया। अगर अब की बात होती तो हम थानाध्यक्ष को बहुत परेशान करते कि वारंट दिखाओ या क्या सबूत है कि हम आन्दोलन करने आये हैं पर तब हम नये-नये घर से बाहर निकले थे। अत: उनकी बात मानकर चुपचाप जीप में बैठ गये। इसके बाद तल्लीताल से किशोरी धस्माना और कुछ अन्य महिलाएँ गाँधी चौक में पहुँची। उन्होंने फोन करके पूछा कि हम क्या करें। उनसे भी यही कहा गया कि गाँधी चौक में बैठकर नारे लगाओ। थोड़ी देर में वे भी पुलिस थाने पहुँच गये। इसके बाद पुलिस कई आन्दोलनकारियों को पकड़कर लायी और तल्लीताल थाने में बिठा दिया। थाने से बाहर दरी बिछाकर हम लोगों को बिठा दिया गया। हम बत्तीस आन्दोलनकारी थे। हमने दिन भर वहाँ खूब जनगीत गाये और चुनाव के विरोध में नारे लगाये। हमने पुलिसवालों से कहा कि हम दिनभर भूखे नहीं रहेंगे। हमारे लिए खाने की व्यवस्था की जाए। कुछ लोगों का पूर्णमासी का व्रत था। अन्य लोगों के लिए पुलिस ने होटल खुलवाकर पूरी-आलू की व्यवस्था की। व्रत वालों के लिए फल लाये गये और चाय पिलायी गयी। मतदान सम्पन्न होने के बाद क्षेत्राधिकारी श्री मोहन सिंह बंग्याल ने कहा किसी को भी छोड़ा नहीं जायेगा, पहले सब लोग मुचलका भरेंगे। हम लोग इसके लिए तैयार नहीं हुए। कुछ लोगों ने कहा कि हमें जेल भेज दो पर हम न मुचलका भरेंगे, न जमानत करवाऐंगे। पुलिस के साथ आन्दोलनकारियों की खूब गर्मागर्म बहस हुई। भीतर ही भीतर डर भी था कि कहीं पुलिस ने नहीं छोड़ा तो घर में लोग परेशान हो जाऐंगे। बाद में जिलाधिकारी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि शान्तिभंग होने के डर से इन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। चुनाव सम्पन्न होने के बाद अब सबको रिहा कर दिया जाय। इस तरह रात 1 बजे हमें रिहा कर दिया गया। गिरफ्तार होने वालों में विश्वम्भर नाथ साह ‘सखा’, नारायण सिंह जन्तवाल, उमा भट्ट, शीला रजवार, गंगा बिष्ट, कमल नेगी, कौशल्या साह, रेखा जोशी, लीला बोरा, किशोरी धस्माना, लीला बिष्ट, दीपा जोशी, हेमलता तिवारी, चंपा उपाध्याय, जानकी भाकुनी, धना गडबग्गी, असगर अली, माधवानन्द मैनाली, राजीव लोचन साह, गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’, बिशन सिंह मेहता, कमलेश पाण्डे, भुवन सिंह बिष्ट, सुन्दर सिंह नेगी, शाकिर अली, हितेश साह, मनोज साह, वैरागी, मुकेश जोशी ‘मन्टू’, शकीलुद्दीन, महेश जोशी आदि थे। हमने बंग्याल जी से कहा कि हम भी आपकी गाड़ी में मल्लीताल तक जाएंगे पर बाद में धना के पति गाड़ी लेकर आये और हम उनके साथ घर गये।

चुनाव बहिष्कार के तहत स्नातक सीट के लिए चुनाव बूथ पर भी हमने धरना दिया और खूब नारे लगाये। सी.आर.एस.टी कालेज में मतदान हो रहा था। हम लोग रिक्शा स्टैण्ड के पास बैठ गये और जब तक मतदान होता रहा तक तब हमने वहाँ पर सभा की और खूब नारे लगाये तथा मतदाताओं से वोट न देने की अपील की। उन्हें समझाया कि जब तक हमें पृथक् राज्य नहीं दिया जाता तब तक यहाँ चुनाव भी नहीं होने चाहिए। हमने लोगों को समझाया तो वे बिना मतदान किये ही वापस चले गये।

क्रमश:
Uttarakhand movement: No state, no elections

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