क्यों है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन सुर्ख़ियों में

Why is Hydroxychloroquine in the headlines
-भारती जोशी

वैसे तो रासायनिक यौगिकों के नाम इतने जटिल होते हैं कि आम लोगों में इन नामों की पकड़ बन ही नही पाती है। लेकिन कभी-कभी ऐसे संयोग बनते हैं कि कुछ रसायनों के नाम लोगों की जुबान पर रट से जाते हैं। जैसे भोपाल गैस त्रासदी के समय मिथाइलआइसोसाइनाइड, और आजकल कोविड 19 के इस दौर में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन यानी कि 7-क्लोरो-4-(4-) एथिल (2-हाइड्रोक्सीएथिल) एमिनो- 1- मिथाइलब्युलायिल एमिनो, क्विनोलाइन। जी हाँ मलेरिया के इलाज की एक कारगर दवा, जो कि मानव शरीर के लिए काफी विषैली भी है। रसायन विज्ञान के इतिहास में क्वीन की अपनी एक दिलचस्प भूमिका है। क्लोरोक्वीन में आया क्वीन प्रत्यय इसकी उत्पत्ति के रूप का संकेत देता है। क्वीनक्विनिन का एक एनालॉग है। 1820 के दशक में क्विनिन को हर्बल दवा के रूप में इस्तेमाल होने वाली एक पेड़ की छाल से निकाला गया था और क्वीनकी टॉक्सिक (विषैली) प्रवृति के कारण लगभग एक सदी तक इसके बारे में न तो शोध कार्य हुए थे और न ही इसे दवा के बतौर उपयोग में लाया गया था। (Why is Hydroxychloroquine in the headlines)

1950 में स्टर्लिंग-विन्थ्रोप रिसर्च इंस्टीट्यूट के रसायनज्ञ अलेक्जेंडर आर और हेनरी एफ हैमर ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को प्रयोगशाला में बनाने की मूल विधि दी थी और स्टर्लिंग ड्रग ने इस रासायनिक यौगिक पर पेटेंट प्राप्त किया था। हालांकि जब दूसरे विश्वयुद्घ के दौरान अमेरिकी सेना को एंटीमाइरियल दवाओं की सख्त जरूरत थी तो इस दवा ने रोग निरोधी और उपचार देने वाली, दोनों ही रूप में अपनी प्रभावशीलता को प्रर्दिशत किया था, लेकिन यह शरीर के लिए घातक साइड इफेक्ट देने वाली दवा भी बन गई थी़ 

कैसे काम करती है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन?

क्लोरोक्वीन मलेरिया परजीवी के अंदर लाइसोसोम में फैलकर काम करता है। ये कोशिका के अंदर के रिक्त स्थान होते हैं, जो एक झिल्ली द्वारा संरक्षित होते हैं, इनमें परजीवी के लिए आवश्यक एंजाइम और कोफेक्टर्स होते हैं, जो परजीवी के हीमोग्लोबिन को सुरक्षित रूप से तोड़ने और विषाक्त हीम अपशिष्ट उत्पादों को दूर करने के लिए आवश्यक होते हैं। यानी एक बार परजीवी के हीमोग्लोबिन को क्लोरोक्वीन ने नष्ट कर दिया है तो समझिये, अब यह परजीवी वापस बाहर नहीं फैल सकता है।

सामान्य भाषा में कहा जाये तो, क्लोरोक्वीन के एक बार शरीर के अंदर आ जाने के बाद यह शरीर में ऐसा वातावरण पैदा कर देता है कि मलेरिया के परजीवी का हीमोग्लोबिन नष्ट हो जाता है, जिससे अंतत: परजीवी भी नष्ट हो जाता है।

मलेरिया के इलाज के लिए रोगियों को पहले क्लोरोक्वीन दिया जाता था, जो कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का एक एनालॉग है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की टॉक्सिक प्रवृति क्लोरोक्वीन से कम थी इसलिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को मलेरिया के इलाज के लिए कारगर दवा माना गया। हालांकि अब मलेरिया के इलाज के लिए कई ऐसी अन्य दवाओं की सिफारिश की जाती है जो टॉक्सिक न हों, और जिनका हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या इसके एनालॉग क्लोरोक्वीन की तरह मानव शरीर पर घातक असर न पड़े।

क्यूँ है हाइड्रक्सीक्लोरोक्वीन सुर्खियों में?

वैश्विक महामारी कोविड 19 के इस दौर में, मानव शरीर के लिए बहुत ज्यादा टॉक्सिक और घातक यह दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन सुर्खियों में आ गयी है। चिकित्सा जगत और जानकार कोरोना संक्रमण से बचाव के लिहाज से इस दवा को असुरक्षित बता चुके हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप कई बार अपने बयानों में कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए इस टॉक्सिक दवा के सेवन की बात कहते आये हैं। उन्होंने अपने बयान में यह तक कहा है कि वह खुद इस दवा का इस्तेमाल कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए कर रहे हैं।

ट्रंप के बाद कोरोना संक्रमण की बुरी मार झेल रहे ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कोरोना के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को स्वीकृति दी है। क्यूंकि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की प्रकृति विषैली है इसलिए ब्राजील में मरीज को इलाज से पहले एक दस्तावेज में हस्ताक्षर करने होंगे जिसमें चेतावनी लिखी होगी कि इन दवाओं के इस्तेमाल से होने वाले संभावित दुष्प्रभाव, जिनमें कि हृदय और लिवर का काम करना बंद करने, रेटीना को नुकसान होने और यहां तक कि मृत्यु हो जाने, जैसे खतरों की जिम्मेदारी खुद मरीज की होगी।

क्या कोविड-19 के इलाज में प्रभावी है हाइड्रक्सीक्लोरोक्वीन?

मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने अपने एक नए अध्ययन में पाया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों में मौत का खतरा बढ़ सकता है। अध्ययन में 96 हजार लोगों को शामिल किया गया था, जो कोरोना से पीड़ित चल रहे थे। लैंसेट के शोधकर्ताओं ने आगाह किया है कि इस दवा के इस्तेमाल से बचना चाहिए। मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने साफ-साफ कहा कि इस दवा से कोई संभावित फायदा उन्हें अपने अध्ययन में नजर नहीं आया है। द लैंसेट ने अध्ययन में पाया कि कोविड-19 से जिन संक्रमित व्यक्तियों को, हाइड्रक्सीक्लोरोक्वीन दी गई थी, उनमें से हर 6 में से एक व्यक्ति की मौत हो गई। कोविड-19 से संक्रमित जिन व्यक्तियों को क्लोरोक्वीन के साथ एंटीबायोटिक दी गई थी, उनमें से हर 5 में से एक व्यक्ति की मौत हो गई। कोविड-19 से संक्रमित जिन व्यक्तियों को हाइड्रक्सीक्लोरोक्वीन के साथ एंटीबायोटिक दी गई थी, उनमें से हर 4 में  से एक व्यक्ति की मौत हो गई। कोविड-19 से संक्रमित जिन व्यक्तियों को इनमें से कोई दवा नही दी गई, उनमें से हर 11 में से एक व्यक्ति की मौत हुई।

यू़एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने भी एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि कोरोना संक्रमण के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन सुरक्षित और प्रभावी दवा नहीं है। इस रिपोर्ट के अनुसार यह दवा कोविड –19  के रोगियों में गंभीर हृदय समस्याओं का कारण बन सकती है। रोग नियंत्रण केंद्र (CDC) भी यह कह चुका है कि कोविड-19 को रोकने या उसका इलाज करने के लिए कोई अनुमोदित ड्रग या थैरेप्यूटिक्स नहीं हैं। पिछले महीने अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन, अमेरिकन फार्मासिस्ट एसोसिएशन और अमेरिकन सोसाइटी ऑफ हेल्थ-सिस्टम फार्मासिस्टों ने संयुक्त बयान जारी कर कोविड-19 की रोकथाम के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के उपयोग का विरोध किया था।

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की विषैली प्रवृति होने के कारण और कोरोना संक्रमितों पर इस दवा का कोई सकारात्मक प्रभाव न दिखने के कारण कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के परीक्षणों पर रोक लगा दी गई है।