हमारी दुनिया

January March 2020, Editorial January March 2020, Uttara News World of Women

दहेज में माँगी पुस्तकें

गुजरात के राजकोट जिले के नानामवा गाँव के शिक्षक श्री हरदेव सिंह जाडेजा की बेटी किन्नरी बा का जब विवाह तय हुआ तो उसने दहेज में नकदी, कपड़े, गहने की जगह पिता से अपने वजन के बराबर किताबों की माँग की। किन्नरी बा को बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौक है। शिक्षक पिता की वजह से वह किताबों की छत्र-छाया में पली-बढ़ी है। राज्यस्तरीय निबन्ध, भाषण तथा वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेती रही है। पिता ने उसकी इच्छा को देखते हुए उसके वजन के बराबर बाइस सौ किताबें उसको दहेज में दीं। पिता की देखादेखी समारोह में आये हुए अतिथियों ने भी दो सौ पुस्तकें किन्नरी बा को उपहार में दीं।
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पीड़िता को नौकरी

अलवर (राजस्थान) के थानागाजी क्षेत्र में 26 अप्रैल को एक दलित महिला के साथ पाँच लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया। बलात्कारियों ने स्वयं वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में भी डाल दिया। राज्यभर में इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। लापरवाही बरतने के आरोप में अलवर के पुलिस अधीक्षक तथा थाना गाजी के थानाधिकारी को निलंबित किया गया। आरोपी पकड़े गये। अब सरकार ने बलात्कार पीड़िता महिला को पुलिस कांस्टेबल के पद पर नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया है।

राहत वाले फैसले

देश की सर्वोच्च अदालत ने घरेलू हिंसा के मामलों में महिलाओं को राहत देने वाले कुछ फैसले दिये हैं। पीड़िता के पिता द्वारा 498 ए के तहत इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दर्ज एक मामले में न्यायालय ने सुनवाई से इनकार कर दिया। क्योंकि मामला पीड़िता के पिता ने दर्ज कराया था। पर जब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा तो कोर्ट ने कहा कि जरूरी नहीं कि पीड़िता स्वयं ही केस दर्ज कराये। उसका कोई भी रिश्तेदार केस दर्ज कर सकता है। एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि हिंसा की शिकार महिला यदि अपने मायके में रह रही है तो वहाँ अदालत में केस दर्ज कर सकती है और वहीं सुनवाई भी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने एक और ऐतिहासिक फैसला दिया है जिसके अनुसार महिला का पति यदि गुजारा भत्ता देने में असमर्थ है या उसकी मौत हो चुकी है तो वे सभी पुरुष जिनसे उस महिला का कोई रिश्ता है, गुजारा भत्ता देने के लिए जिम्मेदार ठहराये जा सकते हैं। हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक ऐसे ही मामले में पीड़िता के देवर को आदेश दिया कि वह पीड़ित महिला को छ: हजार रुपये गुजारा भत्ता दे। देवर ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
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पंचायतों में बढ़ती भागीदारी

पंचायती राज चुनावों में इस बार देश की सबसे कम और सबसे अधिक उम्र की सरपंच राजस्थान से चुनी गईं हैं। भरतपुर की 21 साल की असरुनी खान सबसे युवा सरपंच हैं तो 97 साल की विद्या देवी को सीकर के पुराणावास ग्राम पंचायत का सरपंच चुना गया है। वे देश की सबसे बुजुर्ग सरपंच हैं। भीलवाड़ा जिले के ज्ञानगढ़ गाँव में 22 साल की वर्षा टाँक को पंचायत की बागडोर सौंपी गई है। टाँक जिले की नटवाड़ा पंचायत में पाकिस्तान से आयी हुई नीता कंवर सरपंच चुनी गई हैं। रानी तहसील के नादाना गाँव में 21 साल की किरण कंवर सरपंच बनी हैं। उन्होंने एम.ए. किया है और अभी आरएएस की तैयारी कर रही हैं। टाँक जिले की अलीगढ़ ग्राम पंचायत में साबिया ने जीत हासिल की है। वह इस गाँव की मुस्लिम समाज की पहली महिला है, जो सरपंच बनी है।

सॉफ्ट बॉल खिलाड़ी : ईशा भंडारी

दिल्ली में रोजगार के लिए आए उत्तराखण्ड के मनोहर भंडारी दाबड़ी में अपना व्यवसाय करते हैं। मनोहर भंडारी व उनकी पत्नी  ने अपनी पुत्री ईशा भंडारी को तैराकी में रुचि के कारण आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। ईशा को तैराकी में रुचि थी। उसने इस क्षेत्र में खूब मेहनत की। तैराकी में वह जोनल तक खेल चुकी थी। उसकी लगन एवं निष्ठा को देखते हुए उसके कोच एवं दूसरे खेल प्रेमियों ने उसे सॉफ्ट बॉल खेलने के लिए प्रेरित किया। उसने सॉफ्ट बॉल में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। दिल्ली में कक्षा 12 में पढ़ रही 16 वर्षीय ईशा दो अन्तर्राष्ट्रीय रजत पदक (टीम स्तर) के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर 8 स्वर्ण, 5 रजत व 2 काँस्य पदक जीत चुकी है। जूनियर सॉफ्ट बॉल में ईशा अमेरिका, आस्ट्रेलिया तर्था ंसगापुर आदि देशों में अपना जौहर दिखा चुकी है। ईशा का मानना है कि उसे अभी बहुत आगे बढ़ना है। राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता का श्रेय वह अपने पिता मनोहर भंडारी तथा माता माया भंडारी को देती है। वह बताती है कि उनकी माँ प्रशिक्षण शिविरों में हमेशा उसे भेजती थी। यहीं नहीं, वह उसे लाने, ले जाने तथा उसके खाने-पीने व स्वास्थ्य का भी बहुत ध्यान रखती है। ईशा मूल रूप से उत्तराखण्ड के जनपद अल्मोड़ा के किरोली गाँव (द्वाराहाट) की निवासी है। उसके पिता ने द्वाराहाट इंटर कालेज से अपनी पढ़ाई पूरी की। ईशा राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कीर्तिमान स्थापित करे, हम सबकी ओर से ईशा को शुभकामनाएँ।

प्रख्यात महिलाओं के नाम पर अध्ययन पीठ

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रख्यात महिलाओं ने नाम पर दस पीठ स्थापित करने का फैसला किया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अहिल्या बाई होलकर, महादेवी वर्मा, रानी गायदिनल्यू, आनन्दी बाई गोपाल राव जोशी, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, अमृता देवी, लीलावती, कमला सोहानी, ललद्यद और हंसा मेहता इन दस महिलाओं के नाम प्रस्तावित किये थे, जिसे सरकार ने स्वीकृति दे दी है। हर पीठ के लिए प्रतिवर्ष पचास लाख की राशि मंजूर की गई है। अभी ये पाँच साल तक काम करेंगी। इन पीठों का उद्देश्य ज्ञान को बढ़ावा देना तथा शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका को मजबूत करना है।

नौसेना में भी महिलाओं को स्थायी कमीशन

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में केन्द्र सरकार को नौसेना में भी महिलाओं को स्थायी कमीशन देने को कहा है। केन्द्र को इस पर तीन महीने में फैसला लेने का निर्देश दिया। कोर्ट ने केन्द्र की उस दलील को घिसी-पिटी सोच बताते हुए खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि शारीरिक क्षमता को देखते हुए गहरे समुद्र में काम करना महिला अधिकारियों के लिए उपयुक्त नहीं है। जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि 1998 में केन्द्र की नौसेना के चारों शाखाओं कार्यकारी, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल और शिक्षा में महिला अधिकारियों के प्रवेश पर लगी कानूनी पाबंदी हटा ली थी, लिहाजा महिला अधिकारियों से लैंगिक भेदभाव नहीं किया जा सकता। महिला अधिकारियों को पुरुषों के समान कार्य करने का अवसर न देना साफ भेदभाव है। कोर्ट एक माह पहले सेना में भी महिलाओं को स्थायी कमीशन का आदेश दे चुका है।
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परिभाषा बदली जाय

विश्व महिला दिवस से ठीक पहले महिला कार्यकर्ता समूहों ने ऑक्सफोर्ड यूनिर्विसटी को एक खुला पत्र लिखकर वुमन शब्द की परिभाषा बदलने की माँग की। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में वुमन के अर्थ  तथा पर्यायवाची शब्दों में सेक्सिस्ट, विच, मेड आदि दिये गये हैं। इस सम्बन्ध में 32 हजार से भी ज्यादा लोगों ने ऑनलाइन याचिका में दस्तखत किये। ऑक्सफोर्ड यूनिर्विसटी के प्रवक्ता ने आश्वासन दिया है कि ये बदलाव किये जायेंगे, हालांकि इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है।

रेलवे में एकल पिता को भी चाइल्ड केयर लीव

रेलवे में एकल पिता को भी अब अप्रैल से अपने बच्चों की देखरेख के लिए चाइल्ड केयर लीव मिलेगी। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में बताया कि सरकार ने लैंगिक समानता और न्याय को बढ़ावा देने के लिए यह फैसला किया है। एकल पिता को बच्चे की देखभाल के लिए दो वर्ष का अवकाश मिल सकता है।

निर्भया ज्योति चौक

20 मार्च 2020 को पूरे सात साल तीन माह तीन दिन बाद निर्भया काण्ड के चारों अभियुक्तों को तिहाड़ जेल में सुबह 5.30 बजे फाँसी दे दी गई। 2012 में निर्भया काण्ड के बाद कानून में बदलाव के बाद भी इस तरह के अन्य मामलों में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। कानून के क्रियान्वयन में अभी भी कई खामियाँ हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट के बावजूद कानूनी पेचीदगियों के चलते न्याय शीघ्र नहीं मिल पाता। इस केस में चारों अभियुक्तों ने अन्त तक कानूनी दाँव-पेंच खेले। लेकिन अन्तत: न्याय की जीत हुई। सात साल से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे निर्भया के माता-पिता को भी तसल्ली हुई कि बेटी को इंसाफ मिला। द्वारका सेक्टर 19 के अक्षरधाम अपार्टमेंट, जहाँ निर्भया का परिवार रहता है, के सामने के चौक को निर्भया ज्योति चौक का नाम दे दिया गया था। स्थानीय जन यहाँ निर्भया की याद में हर दिन मोमबत्ती जलाते हैं। निर्भया की याद में यह चौक सदा टिमटिमाता रहेगा।
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प्रस्तुति : पुष्पा गैड़ा

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