सत्यकथा: अब अम्मा आँसू नहीं बहाती

अंजलि जोशी

एक शाम गाँव की एक अम्मा अपने कई दोस्तों के साथ बैठी बातें कर रही थी। मैं भी दूर से उनकी बातें सुन रही थी। अम्मा की आँखों में आँसू थे। अम्मा अपनी जिंदगी के बारे में बता रही थी कि जब उन्होंने अपने बड़े लड़के की शादी की तो वह बहुत खुश थी कि बहू के आने के बाद उसकी जिंदगी खुशियों से भर जाएगी लेकिन ठीक इसके विपरीत हुआ। बेटे की शादी के बाद बेटे ने अपनी माँ को अलग कर दिया। अम्मा फिर अपने अपाहिज पति के साथ रहती थी। वह गाय-भैंस पालकर, बाजार में दूध बेचकर अपना व पति का पेट पालती थी। अम्मा अब इस खुशी में जी रही थी कि वह अपने दूसरे बेटे की शादी करेगी और बहू घर पर लाएगी। इसी खुशी में उसने अपने दूसरे बेटे की शादी की लेकिन अम्मा की जिंदगी में एक बार फिर से दुख का पहाड़ टूटा। लड़के की शादी के एक वर्ष बाद लड़के की मृत्यु हो गयी। बहू कुछ दिन ससुराल में रहने के बाद मायके चली गई। अब अम्मा को फि र से अकेले रहना पड़ा। कोई उसका दर्द जानने वाला नहीं था। वह अपने आँसू पीना सीख गई थी। अम्मा गाँव के ही एक स्कूल में भोजनमाता थी, वह पद भी उसके बेटे ने अपनी पत्नी के नाम कर दिया। कुछ दिन ऐसे ही चलने के बाद बेटे ने उसे फिर अपने पास बुला लिया और एक बार अम्मा फिर अपने बेटे के साथ रहने लगी। अम्मा सारा काम करती थी। बहू अम्मा को कोसती रहती थी लेकिन अम्मा खुश थी क्योंकि वह साथ तो रह रही थी। कुछ सालों तक अपने पास रखने के बाद बेटे ने अपनी माँ को ऐसे रास्ते पर लाकर रख दिया जिसके बारे में शायद अम्मा ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। अम्मा बताने लगी उसके बेटे ने एक दिन रात के बारह बजे उसे सिर्फ घर से ही नहीं बल्कि गाँव से ही निकाल दिया। किसी और ने भी अम्मा की सहायता नहीं की। उस रात अम्मा गाँव से दूर एक सिमल के पेड़ के नीचे पूरी रात अपने आँसू पीती रही।

अंत में इतना सब सहने के बाद अम्मा अपने पति को लेकर गाँव से बाहर बाजार में एक सस्ता किराये का कमरा लेकर रहने लगी। वह मजदूरी करती थी। अपने बूढ़े शरीर को लेकर सड़क किनारे पत्थर ढोने का काम करती थी। कुछ समय बाद एक अध्यापक ने उसकी समस्या को सुनकर अपने स्कूल में सफाई करने के लिए रख दिया।

अब अम्मा फिर भी खुश है। भले ही वह अपने बेटे से दूर रह रही है लेकिन अब वह अपनी कमाई की रोटी खा रही है। अम्मा अपनी जिंदगी में अब खुश है। अब अम्मा आँसू नहीं बहाती है।

इस सच्ची घटना से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी जिंदगी के कठिन समय में भी ज्यादा दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि सुख और दुख तो आते रहते र्हैं जिंदगी में। आज हम मुसीबत में हैं तो एक दिन ऐसा जरूर आयेगा जब हम अपनी जिंदगी हँस कर बिताएगे।
True story: Now Amma does not shed tears
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