अनकहा सा कुछ : कहानी

जगदीश ‘कुमुद’

व्हाट्सएप पर आये मैसेज ने विनीत की बेचैनी बढ़ा दी। वैसे तो उसकी ज्योति से पहचान व बात-चीत तब से थी, जब दोनों इंटरमीडिएट में पढ़ा करते थे और एक दूसरे के प्रति स्वाभाविक आकर्षण से बंधे थे जिसे दूसरे शब्दों में प्यार भी कह दिया जाता है। साथ जीने-मरने की कसमें न तो उन दोनों ने कभी खायीं थी और न ही ऐसा संभव हो पाया लेकिन पढ़ाई के बाद और अपने- अपने गृहस्थ जीवन में व्यस्त रहने के बावजूद दोनों का फोन के माध्यम से कभी-कभी बातों का सिलसिला जारी रहा था। सोशल मीडिया ने इसमें और सहूलियत प्रदान कर दी। हाँ, तो बात हो रही थी मैसेज की। तो मैसेज कोई ऐसा आपत्तिजनक भी नहीं था लेकिन विनीत के जल्दी उखड़ जाने वाले स्वभाव की वजह से यह तकरार का विषय बन गया। ज्योति ने अपनी हथेली पर लाल स्याही से ‘विनीत आइ लव यू’ लिखकर फोटो भेजा था, विनीत को यह अच्छा नहीं लगा। एक तो गृहस्थी, किशोरावस्था से युवावस्था में कदम रखते बच्चे, शक्की मिजाज बीवी और पुरुष मानसिकता के चलते दिमाग में उमड़-घुमड़कर आ रहे शंकाओं के बादलों ने उसे बेचैन कर दिया। तुरंत उसने ज्योति का नंबर मिलाया।

‘हैलो, आज बहुत दिनों के बाद कैसे याद आ गयी’ ज्योति की खनकती हुई आवाज आई।

‘याद तो जो भी है, ये बताओ तुम किसे धोखा दे रही हो, मुझे, अपने पति को या खुद को?’

‘ऐसा मैंने क्या कर दिया कि महोदय का ब्लड प्रेशर इतना बढ़ रहा है। मैं किसी को कोई धोखा-वोखा नहीं दे रही। क्या बात है बताओ’।

‘यह धोखा नहीं है तो और क्या है? अपनी हथेली पर मेरे नाम के साथ ‘आई लव यू’ लिख कर भेज रही हो। ये ओछी हरकतें कालेज टाइम में ही अच्छी लगती हैं। अपनी उम्र देखो, बच्चे अब बड़े हो रहे हैं। क्यों अपनी और मेरी जिन्दगी में जहर घोलने का काम कर रही हो ?’

‘मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है जो हमारी जिन्दगी में जहर घोल दे। मैं एक टीचर हूँ और भले बुरे का ज्ञान है मुझे’ ज्योति ने कुछ चिढ़ते हुए कहा।

‘तो ये बहुत अच्छा काम है। एक शादीशुदा और बाल-बच्चेदार होते हुए मुझसे प्यार जता रही हो। अपने पति से भी ‘आई लव यू’ ही कहती होगी ना और स्कूल या अगल बगल कोई फ्रेंड बनाये होंगे तो उनसे भी यही वाक्य दोहराया जाता होगा। यह धोखा नहीं है तो क्या है? आज जो तुमने मैसेज भेजा है, यदि तुम्हारे पति को पता चल जाये तो खाल उधेड़ देगा तुम्हारी’।

‘बोल लिए तुम या अभी कुछ  बाकी रह गया कहने को? जानती हूँ तुम्हारी पुरुष मानसिकता को, स्त्री के लिए तुम्हारे दिमागों में हमेशा शंकाओं के कीड़े कुलबुलाते रहते हैं। हँस के बोलो तब दिक्कत, चुपचाप रहो तब दिक्कत, हँसो तो क्यूँ हँस रही थी? रोओ तो क्यों रो रही थी? मैंने तुम्हें मैसेज भेजा तो कौन सी आफत आ गयी। प्यार तो मैं तुमसे करती हूँ। तुम्हें औरों से कुछ अलग पाया इसलिए अपने दु:ख-सुख साझा कर लिया करती हूँ अगर तुम्हारी निजी जिन्दगी इससे प्रभावित हो रही है तो ऐसा न करने का प्रयास करूंगी। हाँ, मेरे बारे में जो तुम सोच रहे हो वो तुम्हारे अपने विचार हैं। इसमें सफाई देने की जरुरत मैं नहीं समझती’। ज्योति के स्वर में रोष और लाचारी के भाव छलक रहे थे।
(Something Untold: Story)

‘मेरा मतलब ये नहीं था। मैं तो सिर्फ ये कह रहा था कि इस उम्र में अब यह सब ठीक नहीं है। तुम एक कामकाजी औरत हो। तुम्हारे लिए यह आम बात होगी। हो सकता है तुम्हारे पति ने भी परिस्थितियों के हिसाब से खुद को ढाल लिया हो लेकिन एक घरेलू औरत जैसे कि मेरी पत्नी अगर बाहरी औरत के द्वारा अपने पति के लिए ‘आई लव यू’ लिखा देख ले तो घर में महाभारत हो जायेगा’ विनीत ने बात को कुछ मोड़ देते हुए कहा।

‘तुमने कामकाजी महिला की मौज मस्ती के लिए तो खूब सोच लिया, कभी उसकी परेशानियों पर भी विचार किया है? और ज्यादा परेशानियाँ कौन उत्पन्न करता है। पता है, अपने को साफ सुथरा दिखने वाला तुम्हारा ये पुरुष समाज, कभी हमदर्दी दिखा कर तो कभी जबरदस्ती पर उतारू हो, बस, पाना चाहता है औरत का शरीर। सामने वाले के मन में क्या है इससे कोई मतलब नहीं रहता है। रही बात उम्र की तो यह बात अपने पुरुष वर्ग को क्यों नहीं समझाते हो। क्या उनके लिए कोई सीमायें नहीं हैं? या उनके उम्र की सुई जवानी के अंक से कभी आगे नहीं बढ़ती। तुम्हें फुर्सत हो तो आज कुछ बातें बोल ही दूं जिन्हें मैं कहना नहीं चाह रही थी। बोलो, सुनोगे?’

‘हाँ क्यों नहीं! तुम बताओ तो सही ’ विनीत के स्वर में उत्सुकता का भाव था।

‘तो सुनो, मानती हूँ कि तुम बहुत अच्छे व्यक्ति हो इसलिए तुम्हें चाहती भी हूँ लेकिन समाज में अच्छे आदमियों का अकाल सा पड़ गया है। तुम्हें बताऊँ जब मेरी नई नौकरी लगी तो हमारे साथ जो हेडमास्टर थे उनके रिटायरमेंट में मात्र दो साल बचे थे लेकिन उनकी गिद्ध दृष्टि को मैंने पहले दिन से ही महसूस कर लिया था। बात-बात में दो अर्थी संवाद बोलना उनकी आदत सी हो गयी थी। एक दिन मैंने उनसे बोल ही दिया कि मैं आपकी बेटी की उम्र की हूँ। आपको बोलने पर ध्यान देना चाहिए तो जानते हो उस आदमी ने बेहयाई से क्या जवाब दिया, बोला, बेटी जैसी हो बेटी तो नहीं हो ना,जवान हो, सुन्दर हो, फिर पति से दूर रहती हो, मन तो तुम्हारा भी करता ही होगा।

उसकी बातों ने मेरे दिल को ऐसा आहत किया कि मेरी रुलाई फूट पड़ी। कहने को तो बहुत कुछ था लेकिन रोते हुए वहाँ से हट गयी। एक दिन तो हद ही हो गयी। मैं दूध लेने दुकान की ओर जा रही थी तो हेडमास्टर रास्ते में मिल गए। बोले, कहाँ जा रही हो?

‘दूध लेने जा रही हूँ सर ’।

तुहें दूध की क्या जरूरत, तुम्हारे पास तो ….. कहते हुए एक भद्दी- सी हँसी हँसते हुए वह एक ओर को चल दिया लेकिन शर्म और गुस्से से भरी हुई मैं कमरे में आकर खूब रोई। ़दिन-प्रतिदिन उसकी बढ़ती हरकतों से आजिज आकर मैंने अपने पति को इस बारे में बताया तो एक दिन वे आये और हेडमास्टर से बात की तो इन महोदय का कहना था कि स्टाफ के नाते कभी हँसी-मजाक कर लेते हैं, यदि मैडम को ठीक नहीं लगता तो नहीं करेंगे भई। खैर बात आई-गयी हो गयी। हेड मास्टर के व्यवहार में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ लेकिन वक्त तो परिवर्तन लाता ही है उसके रिटायरमेंट का दिन मेरे लिए जैसे किसी जेल से मुक्ति का दिन बनकर आया था, सोचा अब कुछ शांति के साथ रहने को मिलेगा किन्तु काम-काजी महिलाओं के लिए कठिनाइयाँ समाप्त नहीं होतीं बल्कि रूप बदल-बदल कर सामने आती रहती हैं। नए प्रधानाध्यापक भी रक्तबीज के ही अंश निकले। चलो, बाहर तो जैसे भी हो निभा लो लेकिन जब घर में भी परिस्थितियां विपरीत हों तो कब तक मनोबल साथ निभाएगा। छुट्टियों में लगता है कि कुछ पल खुशी के बीतेंगे लेकिन यहाँ भी पति महोदय को मेरा वेतन और तन दोनों ही आकर्षित करते हैं और इनका उपयोग मनमाने ढंग से करने में ही उन्हें आनंद आता है। मन तक की दूरी उन्होंने कभी तय नहीं की और सुन सकोगे तो सुनो मेरी बेटी अभी दसवीं कक्षा में पढ़ रही है मेरे साथ ही रहती है। अभी गर्मियों की छुट्टियों में पति के पास छोड़कर दो दिन कहीं जाना पड़ा था। लौटकर आई तो पता है बेटी ने क्या कहा? बोली मम्मी मुझे अकेले छोड़कर अब मत जाना। पापा अच्छे नहीं हैं गन्दी बात करते हैं ….

और सुनना चाहते हो, शायद कुछ बचा भी नहीं है अब कहने को, कहते हुए ज्योति की आवाज में कम्पन के साथ ही सिसकियों ने स्थान ले लिया। काफी देर तक मोबाइल विनीत के कान से लगा रहा। हालांकि बातें और सिसकियाँ कब की दम तोड़ चुकी थीं।
(Something Untold: Story)

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