मालधन घटना : कुछ सवाल

कंचन

शिवनाथपुर, नई बस्ती, रामनगर विकासखण्ड के मालधन क्षेत्र में पक्की सड़क से लगभग 5-6 किलोमीटर दूर जंगल के समीप स्थित एक वनग्राम है। जंगल और गाँव के बीच ढैला नदी है जो बरसात के समय उफान पर होती है अन्यथा जलस्तर काफी कम रहता है। गाँव वनग्राम होने के कारण वहाँ मूलभूत सुविधायें भी उपलब्ध नहीं हैं। सडकें कच्ची हैं। इसी बस्ती के एकदम कोने में मुरादाबाद में कार्यरत एक होमगार्ड का परिवार रहता है। परिवार में 2 लड़के और 3 लड़कियाँ हैं। बड़ा लड़का मजदूरी करता है। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। रहने के लिए एक झोपड़ी है जिसमें खिड़की दरवाजे नहीं हैं, झोपड़ी की कच्ची दीवार भी 2 तरफ से आधी है।

23 जुलाई को घर के मुखिया और बड़े बेटे की अनुपस्थिति में रात के लगभग 2 बजे 8-10 लोग चाकू-तमंचों के साथ घर में घुस आये। उन्हें देख जब माँ ने शोर मचाना शुरू किया तो डकैतों  ने माँ नानी और छोटी लड़की को बाँध दिया और धमकाते हुए मेंथा के तैल व जेवर के बारे में पूछने लगे। माँ ने डर के मारे मेंथा और जेवर के बारे में उन्हें बता दिया। उसे हथियाने के बाद वे बड़ी लड़की के साथ छेड़़छाड़ करने लगे और दूसरी को और घरों में चोरी के लिये कहकर अपने साथ ले गए। 4-5 डकैतों ने वहीं बड़ी बेटी के राथ बलात्कार किया। दूसरी बेटी को 4-5 लोग घर से थोड़ी दूर मंदिर में ले गये वहाँ और घरों के बारे में पूछने लगे, बताने से इंकार करने पर उसके साथ बहुत मारपीट की जिससे वह बेहोश हो गयी। बेहोशी में ही उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। उसकी माँ ने बताया कि उसके होंठ सूजे हुए थे और गाल व गले में दाँत व नाखूनों के निशान थे। वही लोग उसे वापस घर भी छोड़ गए। सुबह 4 बजे के लगभग डकैत लूट का सामान लेकर वहाँ से चले गए। दोनों बहनें बेहोशी में थीं। दोनों लड़कियाँ नाबालिग हैं। सुबह उजाला होने पर पड़ौस से फोन पर पिता को घर आने के लिए कहा। घर आकर घटना की जानकारी मिलने और बेटियों की स्थिति देखकर उन्होंने तुरंत अपनी पत्नी और बेटियों के साथ मालधन चौकी में घटना की रिपोर्ट दर्ज करायी। चौकी इंचार्ज द्वारा दोनों लड़कियों को तुरंत 108 से मेडिकल के लिये अस्पताल भेजा तथा स्वयं घटनास्थल का मौका मुआयना करने के लिये गयी। लेकिन उनके साथ कोई पुलिसकर्मी नहीं था, डॉक्टर ने मेडिकल करने से मना कर दिया। चौकी इंचार्ज के कहने पर डॉक्टर करीब 4 घण्टे के बाद बड़ी लड़की को मेडिकल के लिये ले गयी। दूसरी बेटी के लिये फिर चौकी इंचार्ज को कहना पड़ा। डॉक्टर ने मेडिकल में मारपीट की पुष्टि की बलात्कार की नहीं क्योंकि अंदरूनी जाँच नहीं की गयी। मीडिया में मामला आने के बाद पीड़ित परिवार को पुन: चौकी में बुलाकर 164 के बयान लिये गये तथा दोनों बहनों को मेडिकल जाँच के लिए भेजा गया। मौका मुआयना में पुलिस को डकैतों के एक जोड़ी चप्पल और दो ढाटे (मुँह ढँकने वाला कपड़ा) बरामद हुए। मेडिकल में बलात्कार की पुष्टि नहीं की गई। पुलिस ने मीडिया में कहा कि लड़कियों के साथ कुछ नहीं हुआ है।

पुलिस ने जाँच के लिए दो टीम मुरादाबाद और रामपुर भेजी। पुलिस प्रशासन का कहना था कि मेंथा तेल गिरोह यू़पी़ में अधिक सक्रिय हैं, उन पर संदेह किया जा रहा है। पुलिस का यह भी कहना था कि किशोरियों के बार-बार बयान बदलने से भी जाँच में दिक्कत आ रही है। पड़ोस व गाँव के लोगों को भी हिरासत में लेकर लगातार पूछताछ की गई। महिला जागृति संघ की सदस्या से जानकारी मिलने पर कार्यकर्ताओं द्वारा आसपास के गाँवों में सम्पर्क कर 27 जुलाई को ग्रामीणों और अन्य संगठनों के साथ मिलकर बैठक की गई। बैठक में महिलाओं ने 28 को जुलूस निकालने और पीड़ित परिवार से मिलने का कार्यक्रम तय किया। इस बीच 28 ता. को अखबारों में आया कि लड़कियाँ बयान बदल रही हैं। मिलने पर उनका कहना था हम बयान क्यों बदलेंगे, हमने शुरू से अब तक एक ही बयान दिया है। इसमें पुलिस प्रशासन की लापरवाही शुरू से ही देखने में आयी। 28 ता. को क्षेत्रीय महिलाओं ने विभिन्न संगठनों- महिला सामाख्या, प्रगतिशील एकता मंच, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के साथ मिलकर मालधन सरकारी विद्यालय से पुलिस चौकी तक जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। पुलिस घटना के पाँच दिन बीत जाने के बाद भी कोई सुराग नहीं लगा पायी थी इसलिये लापरवाह पुलिस अफसरों पर कार्यवाही की माँग की गई तथा चेतावनी दी गयी कि यदि 24 घंटों के अन्दर केस का खुलासा नहीं हुआ और अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो इस मुद्दे को लेकर 30 जुलाई को रामनगर कोतवाली का घेराव करेंगे। महिलाओं ने तय किया कि यदि 24 घंटे में कोई ठोस परिणाम नहीं मिलता सभी महिलाएँ प्रदर्शन के लिये ट्रैक्टर ट्राली से रामनगर जायेंगी। 30 जुलाई को महिलाएँ गाँव स्तर पर एकत्र हो गई। महिला समाख्या कार्यकर्ता भी अपने गाँव स्तर पर एकत्र महिलाओं को लेकर रामनगर आयीं परन्तु मालधन नं. 3,4 तथा अन्य गाँवों से एकत्र महिलाएँ जब तय समय पर रामनगर नहीं पहुँची तो महिलाओं से सम्पर्क किया गया। ज्ञात हुआ कि ग्राम प्रधान के कहने पर ट्रॉली में चढ़ी महिलाओं को बी.जे.पी. की बैठक का हवाला देते हुए करीब तीन घंटे गाँवों में घुमाकर वापस छोड़ा गया, इस तरह उन्हें रामनगर तक नहीं पहुँचने दिया गया। लगभग 200 महिलाओं को रोक दिया गया, फिर भी कुछ महिलाएँ पहुँच ही गयी। रामनगर लखनपुर स्थित शहीद पार्क से कोतवाली तक जुलूस निकला और कोतवाल का घेराव कर मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा और घटना का शीघ्र खुलासा न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी।
(Maldhan incident)

महिलाओं के लगातार विरोध को देखते हुए उन्हें रोकने के प्रयास किये गये। पुलिस आंदोलनकारी महिलाओं तथा आस-पास के गाँवों के युवा लड़कों को पूछताछ के लिये ले जाने लगी। पीड़ित परिवार के पड़ोस के एक लड़के को भी 7 दिन तक रिमाण्ड पर रखा क्योंकि बड़ी लड़की की उससे मित्रता थी। महिलाएँ हतोत्साहित हो रही थीं उनका कहना था इस मुद्दे में सहयोग करने का क्या फायदा पुलिस उनके बच्चों को ले जा रही है पूछताछ तो ठीक है लेकिन पुलिस उन्हें पीट रही है। इसलिये 9 अगस्त को हुयी बैठक जिसमें नैनीताल से भी कुछ महिलाएँ आयीं थी। शिवनाथपुर की महिलायें इस बैठक में नहीं आयीं। पीड़ित परिवार भी पुलिसकर्मियों के दिनभर उनके घर में बैठे रहने से परेशान था। रात में भी पुलिस अधिकारी आ जाते। सभी उनसे घटना के बारे में सवाल करते रहते और इधर-उधर आने जाने में रोकटोक भी लगाते रहते। यह सब देखते हुए लगा कि सारी बातें मीडिया तक पहुँचनी चाहिए। रामनगर के सहयोगियों द्वारा रामनगर में एक पै्रस कांफ्रेंस करवाई। पै्रस कांफ्रेंस में दोनों बहनों ने पूरी घटना को रखा। पुलिस प्रशासन की व मेडिकल में हुई लापरवाही और पुलिस प्रशासन द्वारा उन्हें और गाँव वालों को किस तरह परेशान किया जा रहा है इन बातों को रखा। यह भी बताया कि अखबारों में जो बयान बदलने वाली खबर आ रही है, जो उन्हें पुलिस द्वारा दी गयी है, वह गलत है। वे शुरू से एक ही बयान दे रही हैं।  प्रेस कांफ्रेस के दौरान मालधन चौकी का एक सिपाही, ग्रामप्रधान और गाँव की एक महिला जिन्हें सब ठेकेदारनी के रूप में जानते हैं, वहाँ आकर कहने लगे इन्हें किनसे पूछकर यहाँ लाये हो, यह हमारे गाँव का मामला है। लेकिन पै्रस कांफें्रस के बाद पीड़ित परिवार और गाँव के लोगों को काफी राहत मिली। पुलिस के सिपाही उनके घर से हटा दिये गये, गाँव के लड़कों को पुलिस नहीं ले जा रही थी।

26 जुलाई को पुलिस के हाथ महत्वपूर्ण सुराग लगने के बाद 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया। परिवार के लोगों ने उनके बोलने के अंदाज व चाल-ढाल से उनकी पहचान की। आरोपियों ने स्वयं अपना जुर्म कबूल किया। इस घटना का मुख्य आरोपी लड़कियों की माँ का मौसेरा भाई था। इस केस के अन्य आरोपी रामपुर जेल में बंद हैं, वहाँ वे अन्य आरोपों में बंद हैं। उन्होंने मालधन की इस वारदात की पुष्टि की और उन्हीं के बताने पर अन्य आरोपियों को पकड़ा गया, जो रामनगर जेल में बंद हैं। रामपुर जेल से अभी अन्य आरोपियों को नहीं लाया गया है। कुण्डल व मंगलसूत्र जब्त कर लिया गया है। मेंथा का तेल टांडा पुलिस ने लूट वाले दिन ही पकड़ लिया था जिसका कोई पता नहीं है।

आरोपी का मौसेरा भाई घटना के 8 दिन पूर्व उनके घर आया था। पहले भी जेल में सजा काटने के कारण किसी ने उससे मतलब नहीं रखा, छोटी बेटी से ही उसकी बात हुई। परिवार वालों ने उस पर भी अपना शक जाहिर किया था लेकिन पुलिस को लगा कि इनकी बात में सच्चाई नहीं है। अभी भी बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है।

पूर्व में दिये गये 164 के बयान के आधार पर पॉक्सो एक्ट लगा है। पड़ोस के जिस लड़के को पुलिस ने हिरासत में लिया था पुलिस की मार से उसकी पसलियों में पस बन गया है, जिसका इलाज दिल्ली में चल रहा है। पीड़ित किशोरियों का कहना है हमारे साथ जो हुआ है, अगर हमें इंसाफ नहीं मिला, दोषियों को फाँसी नहीं हुई तो हम आत्मदाह कर लेंगे।

अब स्थिति यह है कि जो महिलायें पहले सहयोग कर रही थीं परन्तु उनके बच्चों को पुलिस पूछताछ के लिये ले जा रही थी, अब फिर आगे आने लगी हैं। गाँव के जो लोग बलात्कार और लूट की इस घटना पर विश्वास नहीं कर रहे थे, लड़कियों पर लांछन लगा रहे थे और कह रहे थे कि उन्होंने खुद ही तेल बेच दिया होगा वे अब चुप हैं। इस मामले में सक्रिय ग्रामीण महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्घि हुई है। उनका कहना है आरोपियों को सजा दिलाने से भविष्य में ऐसी घटनाओं में कमी आयेगी। यद्यपि यह इस क्षेत्र की पहली घटना थी लेकिन भविष्य में ऐसी घटना न हो इसलिये हम महिलाओं को सक्रिय होना चाहिए।
(Maldhan incident)
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