हमारी दुनिया

आई.टी.बी.पी. को मिले 12 महिला अफसर

पिछले एक वर्ष से आई.टी.बी.पी.  का प्रशिक्षण ले रहे 13 ऑफीसर अब आई.टी.बी.पी. में शामिल हो गये हैं। इनमें से 12 महिला ऑफीसर हैं। आई.टी.बी.पी. अकादमी में आयोजित दीक्षांत समारोह में सभी ने देश सेवा की शपथ ली। ये ऑफीसर पिछले एक साल से कठिन प्रशिक्षण से गुजरकर इस मुकाम पर पहुँची हैं। पासिंग आउट परेड में उपनिरीक्षक जी.डी. दीपिका देवी को वाह्य प्रशिक्षण क्रियाकलापों के लिए प्रथम व सर्वोत्तम निशानेबाज का पुरस्कार मिला।
बलात्कार पर मौत की सजा

केन्द्र सरकार पॉक्सो एक्ट में संशोधन करने पर विचार कर रही है, जिसके अन्तर्गत अब 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के बलात्कार के आरोपी को फाँसी की सजा देने का प्रावधान रखा जायेगा। राष्ट्रपति की भी इसे मंजूरी मिल गई है।
एसिड अटैक की हो सख्त सजा

एसिड हमले के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को विचार करने के लिए कहा है। कोर्ट का मानना है कि किसी मासूम पर एसिड हमला करके उसकी जिन्दगी नरक समान बना देने वाले व्यक्ति को ऐसी भयंकर सजा देनी चाहिए कि वह उस दर्द को समझ पाये जिसे एसिड पीड़ित को सहना पड़ता है जिससे कि वह ऐसा करने का साहस दोबारा न कर सके। साथ में हाइकोर्ट ने कहा कि पीड़ित को 8-10  लाख रुपये मुआवजे के रूप में देना सही है परन्तु यह अपर्याप्त है। सरकार एसिड हमले के पीड़ितों को नौकरी दे व उनके पुनर्वास की भी व्यवस्था करे।

इस संदर्भ में पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अब तक हुए सभी ससिड हमलों की जनकारी मांगी है जिससे कि इस मुद्दे को लेकर आदेश किया जा सके। हाईकोर्ट ने कहा कि एसिड पीड़ितों को हर दिन मृत्यु के समान जीवन जीना पड़ता है।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)
युद्ध मोर्चे में महिलाएँ

भारतीय सेना में अभी तक महिलाओं को शार्ट सर्विस कमीशन के तहत 14 वर्ष के कार्यकाल के लिये लिया जाता है। जिसमें मुख्यत: शिक्षा तथा न्यायिक सेवाएँ होती हैं। दुनिया के कुछ ही देशों में महिलाएँ युद्ध मोर्चे में भाग ले सकती हैं। ये देश हैं- अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, डेनमार्क, फ्रांस, नार्वे, स्वीडन तथा इजराइल। शार्ट सर्विस कमीशन पाने वाली सेना में कार्यरत महिलाओं के एक समूह ने हाल ही में स्थाई कमीशन के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अब भारतीय सेना के तीनों अंगों में लैंगिक भेदभाव खत्म करने के लिये अग्रिम मोर्चे पर महिलाओं की तैनाती के लिये सोचा जा रहा है। ताकि उन्हें पनडुब्बी या टैंक पर भी तैनात किया जा सके।
महिलाओं की माँग

महिलाओं व आम जनता की लाख कोशिशों के बाद भी सरकार शराब की दुकानों को बंद नहीं करना चाहती और दूसरी ओर नशे के खिलाफ अभियान चला रही है। सरकार की इस दोहरी नीति से परेशान आम जनता व विशेषकर महिलाओं ने शराब के ठेकों का समय-समय पर विरोध किया है। देहरादून के विकासनगर के बरोटीवाला में लक्ष्मीपुर चौक के पास अंग्रेजी व देशी शराब की दुकानों का आवंटन होने पर क्षेत्र की महिलाओं ने इसका विरोध किया व वहाँ से दुकान हटाने के लिए धरने पर बैठ गईं। धरने पर बैठी महिलाओं ने सरकार को ताना देते हुए कहा कि सरकार गाँवों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के बजाय गाँव में शराब की दुकानें खोल रही है जिससे सरकार का कोष बढ़ रहा है। परन्तु गाँव के नौजवानों की जिन्दगी के साथ-साथ सामाजिक व सांस्कृतिक ढाँचा बिगड़ रहा है। सरकार सिर्फ शराब माफियाओं व अपने कोष को भरना चाहती है, जबकि गाँव में अन्य सुविधाओं व रोजगार की आवश्यकता है। इन महिलाओं ने एक हफ्ते से अधिक समय तक यहाँ पर प्रदर्शन किया व शराब के ठेकों का विरोध किया। जिनमें ग्रामीण महिलाओं के साथ ग्राम प्रधान व वकील भी शामिल रहे।
महिला सिख रिपोर्टर

पाकिस्तान में हाल ही में शुरू हुए हम न्यूज टेलीविजन चैनल ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पाकिस्तान की पहली महिला सिख रिपोर्टर मनप्रीत कौर को नियुक्ति दी है। पेशावर की रहने वाली मनप्रीत कौर ने पेशावर यूनिवर्सिटी से सोशल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वह मानवाधिकार, स्थानीय समुदायों, अल्पसंख्यकों और एनजीओ से सम्बन्धित मुद्दों को कवर करेंगी। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले बर्ताव को लेकर मनप्रीत ने कहा, प्रतिभाशाली लोगों के साथ सम्मान का व्यवहार किया जाता है, फिर वे जाति, धर्म या समुदाय से सम्बन्धित क्यों न हो। मैं एक पत्रकार के रूप में अपने देश की सेवा करना चाहती हूँ कि हम सिख महिलाएँ भी प्रतिभाशाली होती हैं। मनप्रीत कौर कहती हैं, हमारे देश (पाकिस्तान) में अधिकांश सिख लड़कियाँ औपचारिक शिक्षा के बाद घरेलू जीवन में व्यस्त हो जाती हैं। वह चाहती हैं कि उनके समुदाय की लड़कियों को भी चारदीवारी से बाहर निकलकर व्यावहारिक दुनिया में कदम रखना चाहिए। ऐसे बहुत से सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दे हैं, जिन्हें वह एक पत्रकार के नाते सामने लाना चाहती हैं, खासतौर से सिख समुदाय के उत्थान से सम्बन्धित।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)
आयरलैण्ड में गर्भपात कानूनी

यूरोप के पारम्परिक कैथोलिक देश आयरलैण्ड में आठवें संविधान संशोधन के जरिये गर्भपात को कानूनी बनाया जा रहा है। इस हेतु 26 मई को हुए जनमत संग्रह में दो तिहाई बहुमत से यह पारित हुआ कि अजन्मे शिशु और उसकी माँ को जीवित रहने का समान अधिकार है। आयरलैण्ड के भारतवंशी प्रधानमंत्री लियो वरदकर ने इस अवसर पर घोषणा की कि देश नया इतिहास बनाने जा रहा है। 2012 में गर्भपात की कानूनी इजाजत न होने के कारण एक भारतीय महिला सविता की मृत्यु हो गई थी।

पत्नी की रजामंदी जरूरी

शादी का मतलब सेक्स नहीं है। एक पति ने दिल्ली में तलाक की अर्जी लगाई कि पत्नी अपनी मर्जी से शारीरिक सम्बन्ध बनाती है। कोर्ट ने तलाक को नामंजूर करते हुए फैसला दिया कि शादी का मतलब पत्नी की मर्जी के बिना उस पर सेक्स थोपना नहीं है। शादी कानूनी तौर पर शारीरिक सम्बन्ध का करार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी की सहमति के बिना शारीरिक सम्बन्ध बनाना उसका अनादर है।
भारत की पहली ट्रांसजेंडर जज

ट्रांसजेंडर जोइतां मंडर ने अपने फौलादी इरादों और जुनून के दम पर किन्नर समाज के साथ पूरे देश में मिसाल कायम की है। वह भारत की पहली ट्रांसजेंडर जज बनी हैं। जोइतां मंडर पश्चिम बंगाल राज्य की रहने वाली हैं। वह बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के इस्लामपुर लोक अदालत की जज नियुक्त की गईं। देश के इतिहास में वो पहली ट्रांसजेंडर हैं, जो किसी लोक अदालत की जज बनी हैं। जोइंता का जीवन संघर्ष भरा रहा। वह एक समय बीपीओ में नौकरी करती थीं लेकिन वहाँ उनका बहुत मजाक उड़ाया जाता था। दो महीने में ही उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया। इतनी मजबूर कि जिन्दगी जीने के लिए वह भीख माँगने लगीं। शादी और अन्य समारोहों में अपने समुदाय के लोगों के साथ नाच-गाना करना पड़ा। आज वह जिस ऑफिस में जाकर जज की कुर्सी पर बैठती हैं, उसी ऑफिस से कुछ मीटर की दूरी पर एक बस स्टैंड है। कुछ साल पहले तक इसी बस स्टैंड की जमीन पर वह सोया करती थीं। जोइतां बताती हैं कि मेरा नाम पहले जयंत मंडल था। जयंत मंडल से जोइतां बनने का सफर काफी तकलीफ भरा है। जोइता ने ग्रेजुएशन के दूसरे साल तक पढ़ाई की है। अब जज बनने के बाद और पढ़ाई करना चाहती हैं। कई सामाजिक कामों से जुड़ी हुई हैं। उनके सामाजिक कामों के चलते ही ये ओहदा उन्हें दिया गया है। आज उनकी यह सफलता उनके समुदाय के लोगों में प्रेरणा देने का काम कर रही है।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)
तारा अहलूवालिया को मिला सम्मान

सामाजिक कार्यकर्ता तारा अहलूवालिया को डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पुरस्कार व महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में राइजिंग वुमन ऑफ इंडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान सामाजिक क्षेत्र में किए गए उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए दिया गया। 24 मार्च को नई दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में उन्हें फ्रेंडशिप फोरम ऑफ इंडिया की ओर से यह सम्मान मिला। तारा अहलूवालिया राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में पिछले चार दशकों से महिला मुद्दों पर काम कर रही हैं। वे महिलाओं पर हिंसा के विरुद्ध संघर्षरत रही हैं।
गंगा बनी पहली ट्रांसजेंडर कांस्टेबल

जालौर (राजस्थान) की निवासी गंगा ने अपने हक की लड़ाई आखिरकार जीत ली। इसके लिए उन्हें दो साल तक लड़ना पड़ा। अब वह प्रदेश की पहली महिला ट्रांसजेंडर कांस्टेबल बन गई हैं। गंगा को जालौर पुलिस लाइन में नियुक्ति मिली है। 2013 में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में  वह पास हुई थी। सरकार ने 208 में से 207 पदों पर नियुक्ति दे दी। गंगा को मेडिकल जांच में सिर्फ ट्रांसजेंडर होने के चलते रोक दिया गया। इस कारण उनकी नियुक्ति अटक गई थी। गंगा ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। हाईकोर्ट ने सरकार को नवम्बर 2017 में छह सप्ताह में नियुक्ति का आदेश दिया। पर सरकार ने गंगा को नियुक्ति नहीं दी। एक बार फिर सरकार को नोटिस दिया गया, तब गंगा को नियुक्ति मिल पाई।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)
प्रस्तुति: पुष्पा गैड़ा

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