हमारी दुनिया

वेदांगी : साहस की मिसाल

साइकिल से पूरी दुनिया नापने का हौसला रखने वाली पुणे की बीस वर्षीया वेदांगी कुलकर्णी ने 2900 किमी. की दूरी तय कर ली है। उन्होंने इस सफर की शुरूआत जुलाई में आस्ट्रेलिया के शहर पर्थ से की थी। इस यात्रा में उन्होंने जिन 14 देशों का सफर किया, वे हैं- आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, कनाडा, आइसलैण्ड, पुर्तगाल, स्पेन, फ्रांस, बेल्जियम, जर्मनी, डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैण्ड और रूस। यात्रा के दौरान वेदांगी को शून्य से 20 डिग्री कम तथा 37 डिग्री सैल्सियस तक के तापमान को झेलना पड़ा। कई बार बर्फीली जगहों में अकेले रात बिताई। स्पेन में चाकू की नोक पर लूटपाट की गई। दो साल की तैयारी के बाद की गई इस साहसिक यात्रा में वेदांगी ने 159 दिन तक रोजाना 300 किमी. साइकिल चलाई। ब्रिटेन की जेली ग्राहम ने यह दूरी 124 दिनों में पूरी कर विश्व रिकार्ड बनाया है। वेदांगी ने एशिया की महिलाओं में यह रिकार्ड बनाया है।

बेटियों के पिता

लंदन स्कूल ऑव इकॉनॉमिक्स के शोधार्थियों ने 1991 से 2012 के बीच ब्रिटेन में एक सर्वेक्षण किया जिसमें उन्होंने पाया कि जो पुरुष बेटियों के पिता होते हैं, उनमें महिलाओं के साथ भेदभाव का पारम्परिक सोच कम होता है। बेटी के स्कूल जाने की उम्र तक यह भेदभाव का सोच और कम हो जाता है। इन शोधार्थियों ने सन्तान के रूप में बेटी के जन्म के बाद महिलाओं और पुरुषों पर इसके प्रभाव का विश्लेषण किया। माताओं में पारम्परिक सोच की संभावना पहले से ही कम होती है क्योंकि महिलाएँ पहले ही अपने जीवन में पारम्परिक सोच का सामना कर चुकी होती हैं।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)

अब महिलाएँ चुप नहीं

दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह में महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं है। दरगाह के बाहर सूचना पट्ट में हिन्दी और अंग्रेजी में लिखा है- ‘दरगाह में महिलाओं को घुसने की अनुमति नहीं है।’ लेकिन महिलाएँ अब चुप बैठने वाली नहीं हैं। दरगाह में जाने की अनुमति के लिए दो छात्राओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। न्यायालय ने हजरत निजामुद्दीन औलिया ट्रस्ट, दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस कमिश्नर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अदालत ने जवाब माँगा है कि हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह में महिलाओं को जाने की अनुमति क्यों नहीं है। अदालत ने 11 अप्रैल तक का समय जवाब के लिए दिया है।

संसद में महिलाएँ

संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामलों में रवांडा पूरी दुनिया में प्रथम स्थान पर है। पूर्वी अफ्रीकी देश रवांडा में ….. 2018 में संसद के लिये चुनाव हुए जिसमें आर.पी.एफ. पार्टी की सरकार बनी और पॉल कागमे राष्ट्रपति चुने गये। संसद में कुल 80 सीट महिलाओं ने जीती हैं। इस प्रकार यह संख्या 61 प्रतिशत हो गई है। इससे पूर्व इथियोपिया में 50 प्रतिशत महिलाएँ संसद के लिए चुनी गई हैं।

खतने के खिलाफ

ईराक के कुर्द आबादी वाले गाँवों में औरतों ने खतने के खिलाफ आवाज बुलन्द की है। एक गैर सरकारी संगठन ‘वादी’ ने इस क्षेत्र में काम करके महिलाओं को जागरूक किया है। ‘वादी’ के बैनर तले महिलाएँ परम्परावादी सोच को बदलने का संकल्प ले चुकी हैं। परिणामस्वरूप पूरे ईराक की तुलना में कुर्द इलाकों में बच्चियों के खतने की संख्या में कमी आई है। खतने से होने वाले रक्तस्राव, संक्रमण तथा मानसिक प्रताड़ना के खतरों को देखते हुए, महिलाएँ गाँव के इमाम के इस सोच को कि खतना इस्लाम की परम्परा है, बदलने का प्रयास कर रही हैं।
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धिक्कार है

माहवारी से जुड़े भेदभाव समाज में खत्म नहीं हो रहे हैं। एक खबर के अनुसार चम्पावत जिले के गाँव घुरचुम में सरकारी पैसे से एक ऐसा भवन बनाया गया है, जहाँ माहवारी के दौरान लड़कियाँ/महिलाएँ रहती हैं। कई गाँवों में महिलाएँ प्रसव और माहवारी के दौरान गौशालाओं में रहती हैं। सरकारी अनुदान से ऐसा कमरा बनाने का क्या औचित्य है? यह सरकार द्वारा महिलाओं के साथ भेदभाव है तथा अंधविश्वास और रूढ़ियों को बढ़ावा देता है। इसके पीछे ऐसी योजना बनाने वाले कर्मचारियों, अधिकारियों व ग्राम स्तर के नेताओं का पिछड़ा हुआ सोच है। कुछ समय पूर्व चमोली जिले से भी ऐसी खबरें आई थीं। 2016-17 के वित्त वर्ष में 2 लाख की लागत से यह भवन बना है जिसे रजस्वला केन्द्र कहा गया है और ग्राम सभा में सर्वसम्मति से महिलाओं के यहाँ रहने का प्रस्ताव पास हुआ है।

महिला मिलिट्री पुलिस

रक्षा बलों में महिलाओं की भूमिका को और विस्तारित करते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के प्रयासों से अब मिलिट्री पुलिस में भी महिलाएँ शामिल होंगी। केन्द्र सरकार का यह फैसला एक ऐतिहासिक फैसला है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि मिलिट्री पुलिस की टुकड़ियों में कुल 20 फीसदी पदों पर चरणबद्ध रूप से भर्ती की जायेगी। महिला मिलिट्री पुलिस विशेष रूप से महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों, छेड़छाड़ व बलात्कार के मामलों की जाँच करेंगी व आवश्यकता पड़ने पर सेना की मदद करेगी।
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दीदी की रसोई

‘दीदी की रसोई’ की नवरत्न नौ महिलाओं के हुनर से आज बिहार के अस्पतालों में मरीजों व उनके साथ आये तीमारदारों को सस्ता व अच्छा भोजन मिल रहा है। एक समय ऐसा भी था जब इन दीदियों की अपनी रसोई बमुश्किल चलती थी। पर जीविका दीदी की रसोई ने इनकी जिन्दगियाँ बदल दीं। आज यह रसोई इनके साथ-साथ कई और महिलाओं की आजीविका का साधन है व आने वाले समय में और सैकड़ों महिलाओं की आजीविका का साधन बनने जा रही है। हाजीपुर के सदर अस्पताल का यह सफर अब गोरखपुर, शिवहर, गया और शेरघाटी के अस्पतालों में भी ‘दीदी की रसोई खुलने वाली है जहाँ मरीजों व उनके तीमारदारों को सस्ता व बेहतर खाना मिलेगा।’ इन दीदियों का हुनर व रुचि देखकर रसोई प्रोजेक्ट के लिए इनका चयन किया गया और इन्हें कैटरिंग, होटल प्रबंधन, व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ सफाई व स्वच्छता की जानकारी भी दी गई। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत अब तक लगभग विभिन्न जिलों की 30 से अधिक दीदियों को प्रशिक्षण हेतु चयनित किया गया व प्रथम चरण के तहत हाजीपुर के सदर अस्पताल में दीदी की रसोई की शुरूआत की गई। आज प्रत्येक दीदी प्रतिमाह 10 हजार रुपये कमा रही हैं। दीदी की रसोई की सेवा विस्तार बैंकों, जिलाधिकारी कार्यालयों में भी करने की तैयारी है।

दस हजार अरब डॉलर का काम

दुनियाभर में घर और बच्चों की देखभाल करते हुए महिलाएँ सालभर में कुल 10 हजार अरब डॉलर के बराबर ऐसा काम करती हैं, जिसके लिये उन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाता। दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनी एप्पल के सालाना कारोबार से यह 43 गुना अधिक है। अन्तर्राष्ट्रीय समूह ऑक्सफेम ने दाबोस में विश्व र्आिथक मंच की सालाना बैठक से पहले जारी रिपोर्ट में यह बात कही है। भारत में महिलाएँ घर और बच्चों की देखभाल जैसे बिना वेतन वाले जो काम करती हैं, उसका मूल्य देश के सकल घरेलू उत्पाद के 3.1 फीसदी के बराबर है। ऑक्सफेम ने स्त्री-पुरुष असमानता के सूचकांक में भारत को 108 वें स्थान पर रखा है।

मेहरम के बिना हज

अब तक मेहरम अर्थात पुरुष साथी, (महिला का पिता, पुत्र या सगा भाई) के साथ ही महिलाओं को हज यात्रा करने की इजाजत थी परन्तु 2018 से नई हज नीति के तहत इस पाबंदी को उठा लिया गया है। अब बिना किसी मेहरम के महिलाएँ हज यात्रा कर सकती हैं। पिछले साल 1300 महिलाओं ने आवेदन किया था और इस वर्ष 2340 महिलाओं ने जिन्हें बिना लॉटरी के स्वीकार कर लिया गया और महिलाओं को विशेष सुविधाएँ दी गईं।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)

प्रस्तुति: पुष्पा गैड़ा

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