हमारी दुनियां

पहनावे पर बहस क्यों

सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी एजूकेशन) ने हाल ही में ऑल इंडिया प्री मेडिकल की परीक्षा में नकल या धोखाधड़ी रोकने के लिए ड्रेस कोड तय किया है जिस पर काफी बहसें हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका समर्थन किया है। परीक्षा के दौरान स्कार्फ, हिजाब, कपड़ों पर बड़े बटन, पूरी बाहों के कपड़े या फिर चूड़ियाँ या चूड़े पहनकर आने पर रोक लगा दी गयी है। जब इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में अर्जी डाली गयी तो उसे खारिज करते हुए जज ने कहा कि एक दिन स्कार्फ या हिजाब न पहनने से आस्था गायब नहीं हो जाएगी। पहनावा धर्म से नहीं बल्कि संस्कृति से जुड़ा मुद्दा है।

सी.बी.एस.ई के इस फैसले व सुप्रीम कोर्ट के बयान की सभी ने आलोचना की है। लोगों का मानना है कि पहनावे पर पाबंदी लगाना जायज नहीं है व यह गैर जरूरी है। जबकि जरूरी यह है कि परीक्षा में धांधली को रोका जाय। लोगों के पहनावे को बदलने से परीक्षा में धांधली नहीं रुकेगी बल्कि इस तरह की पाबंदी महिला अधिकारों के व किसी भी मजहब के हकों के खिलाफ है। इससे पहले केरल के उच्च न्यायालय ने दो मुस्लिम महिलाओं की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था कि औरतों को अपनी धार्मिक आस्था के अनुसार कपड़े पहनने का हक है। संविधान के अनुसार सभी को धार्मिक आजादी का हक है।

सहजीवन पर प्रतिबन्ध नहीं

सर्वोच्च अदालत ने सहजीवन की पैरवी करते हुए कहा है कि पहले बिना विवाह के सहजीवन को बुरी नजर से देखा जाता था परन्तु धीरे-धीरे इसे समाज ने भी स्वीकार किया है। बदलते समय के अनुसार कानून को भी कार्य करना चाहिए। अपने एक फैसले में सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि यदि स्त्री व पुरुष लम्बे समय से सहजीवन में रह रहे हैं और उनका बच्चा भी है तो न्यायालय मानेगा कि उनका विवाह हुआ है और सह साथी की मृत्यु होने पर महिला को उसकी सम्पत्ति का पूरा अधिकार होगा।

जस्टिस दीपक मिश्रा व प्रफुल्ल सी. पंत ने स्पष्ट किया है कि किसी प्रतिष्ठित पद पर आसीन महिला या पुरुष के सहजीवन संबंध को उजागर करने से उनकी प्रतिष्ठा पर कोई आँच नहीं आती क्योंकि अब ऐसा रिश्ता समाज में स्वीकार्य है और अब यह कोई अपराध भी नहीं है।

सोलर इंजीनियर बनीं लूसी

लूसी नायपोई केन्या के एक ऐसे गाँव से आकर अपनी मेहनत के बल पर इंजीनियर बनीं जहाँ बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं हैं। उनके गाँव में बिजली भी नहीं थी। तब उन्होंने अपने गाँव में बिजली की व्यवस्था करने की ठानी और भारत आकर बेयरफुट कॉलेज तिलोनिया में सोलर इंजीनियर के काम से जुड़ गयीं और अब सोलर इंजीनियर बनकर सोलर एनर्जी को इलैक्ट्रिक एनर्जी में बदलकर अपने गाँव को रोशन कर रही हैं। लूसी चाहती हैं कि वे इस प्रोजेक्ट के जरिए देशभर में बिजली लाएँ। लूसी को इस काम के लिए शुरूआत में कई मुश्किलों व घर और समाज के विरोधों का सामना करना पड़ा परन्तु उन्होंने हार नहीं मानीं। जिससे आज वे बेयरफुट कॉलेज में सोलर इंजीनियर हैं।

ताकि बनें बराबर हकदार

जयपुर के 20 युवाओं के समूह ने एक अनोखी पहल की है। उन्होंने अपने समुदाय स्तर पर एक समूह का निर्माण किया है जिसका उद्देश्य सामाजिक स्तर पर लड़कियों व महिलाओं के साथ हो रही गैर-बराबरी को रोकना, समाज की कुरीतियों के विरोध में माहौल बनाना और समाज में खुद की एक पहचान बनाना है। ये युवा प्रत्येक सप्ताह एक बैठक का आयोजन करते हैं जिसमें समाज में व्याप्त इन कुरीतियों को कम करने व अपनी स्वयं की समझ बनाने का प्रयास करते हैं। ये 15 से 17 साल के युवा हैं जो देश के विकास में बराबर के हकदार बनना चाहते हैं।

महिलाओं को सब्सिडी

अपना स्वरोजगार शुरू करने वाली महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने एमएसएमई के अन्तर्गत अलग से नीती बनाने  के लिए कहा है जिसके तहत कम से कम 25 हजार महिलाएं अपना व्यवसाय खड़ा कर सकें और आत्म निर्भर हो सकें। साथ ही यह भी कहा है कि एमएसएम ई नीति के तहत उन्हें उद्योग स्थापित करने के लिए दी जाने वाली कैपिटल सब्सिडी के अलावा 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी देने की भी व्यवस्था की जाय। अपना उद्योग स्थापित करने वाली महिलाओं से उद्योग स्थापित करने वाली धनराशि का 3 साल तक कोई ब्याज भी न लिया जाय और उसके बाद भी मात्र 4 प्रतिशत ब्याज ही देना पड़ेगा। महिलाओं द्वारा उत्पादित सामग्री हेतु दिल्ली, मुम्बई जैसे बड़े शहरों में विपणन केन्द्र की स्थापना की जाय जिससे उनके उत्पादों को व्यापक पहचान मिल सके।
(Hamari Duniya)

डीआरडीओकीपहलीमहिलामहानिदेशक

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की महानिदेशक के रूप में जे. मंजुला पहली महिला महानिदेशक नियुक्त हुई हैं। जे मंजुला इससे पहले डिफेंस एविओनिक्स रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट के निदेशक के पद पर कार्यरत थीं और अब इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्यूनिकेशन सिस्टम्सक्लस्टर के महानिदेशक के पद पर कार्य करेंगी। मंजुला उस्मानिया विश्वविद्यालय की छात्रा रह चुकी हैं।

खाप पंचायत के खिलाफ ब्रिटिश सांसद

बागपत में खाप पंचायत के बेतुके फरमान से तंग आकर दो बहनों ने सुप्रीम कोर्ट से उन्हें सुरक्षा देने की माँग की हैै। फिलहाल दोनों ने अपना घर छोड़ दिया है। उन दोनों पर आरोप है कि उनका भाई एक शादी शुदा महिला के साथ भाग गया जिसके बदले उन्हें निर्वस्त्र करने व उनकी सामूहिक परेड कराने का फरमान खाप पंचायत ने सुनाया है। इस घटना को घृणित बताते हुए कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद और ब्रिटेन के विदेश मामलों की सेलेक्ट कमेटी के सदस्य नदीम जवाही ने इस व्यवस्था की आलोचना की है व ब्रिटेन के विदेश कार्यालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है। इसअनुरोध पर ब्रिटिश विदेश मंत्रालय सक्रिय हुआ है जिससे उप विदेश सचिव हिलेरी बेन ने भी ब्रिटिश विदेश सचिव और कॉमनवेल्थ मामलों के सचिव फिलिप हेमंड से अनुरोध किया है कि वे दोनों बहनों की सुरक्षा के लिए भारतीय अधिकारियों को तुरंत प्रतिनिधित्व उपलब्ध करायें।

दुष्कर्म के आरोपियों की सूचीऑनलाइन

दुष्कर्म के आरोपी या दोषी रह चुके लोगों पर नजर रखने के लिए केन्द्र सरकार ऐसे लोगों की एक विशेष सूची तैयार कर रही है जिससे दोषियों की पूरी जानकारी प्रत्येक पुलिस चौकी के साथ-साथ आम जनता को भी उपलब्ध हो सकेगी जिससे इन्हें किराये पर घर देने, नौकरी, व्यवसाय या कोई रिश्ता बनाने से पहले उनके बारे में आसानी से जानकारी मिल सके।

सरकार के अनेक प्रयासों के बाद भी दुष्कर्म की घटनाएँ कम नहीं होने से केन्द्र सरकार ने यह नया तरीका अपनाया है जिससे देश मेंं यौन अपराधों में कमी आने के साथ ही जनता को भी सजग होने का मौका मिलेगा। इस सूची के अगले साल के अन्त तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने मिलकर कार्य करना शुरू कर दिया है। महिला एवं बाल विकासमंत्री मेनका गॉँधी ने इस सन्दर्भ में गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर खास तौर पर बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं में आरोपी रह चुके लोगों की सूची माँगी है। हालांकि गृहमंत्रालय के पास इस प्रकार की विशेष सूची अभी नहीं है परन्तु इसके लिए ब्यौरा जुटाया जा रहा है। अपराधियों के नाम,पते व फोटो वेब साइट पर सार्वजनिक किए जायेगें।

अब मजबूरी नहीं फर्जी पति की

भारत बांग्लादेश की सीमाओं से लगी बस्ती में यदि कोई महिला प्रसव पीड़ा में है तो भारतीय अस्पताल के अधिकारी उनको भर्ती करने से इनकार कर देते थे। नियम के अनुसार उनका भारतीय होना जरूरी था। ऐसे में यदि किसी महिला को अस्पताल में भर्ती कराना है तो उसे फर्जी पति बनाना पड़ता था। ऐसी बस्तियो में रहने वाली कई महिलाओं के बच्चों के जन्म प्रमाण-पत्र में पिता के नाम भी फर्जी हैं। यह स्थिति महिलाओं के लिए अपमानजनक थी लेकिन कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था। ऐसे में जो महिलायें समझौते से पति का सहारा लेकर भारतीय सीमा के अस्पतालों में नहीं पहुँच पाती थीं उनमें से कइयों की प्रसव के दौरान मौत हो जाती थी।

परन्तु अब बांग्लादेश के साथ ऐतिहासिक समझौते के बाद ये बस्तियाँ भारत का हिस्सा बन चुकी हैं। अब महिलाओं के सामने फर्जी पति बनाने की मजबूरी नहीं रही और न ही बच्चे के पिता को लेकर झूठ बोलने की।

महिलाओं की ट्रैवल एजेन्सी

दिल्ली के दो युवकों रोहित और नीतिश ने एक अनोखी ट्रैवल एजेन्सी शुरू की है जिसमें केवल महिलाओं को ही घूमने ले जाया जाता है। दोनों अपनी नौकरी छोड़कर इस अनोखी ट्रैवल एजेन्सी को चला रहे हैं। इनका मानना है कि घूमने-फिरने व मौज मस्ती के लिए कुछ दोस्त चाहिए होते हैं और ये वो दोस्त बन जाते हैं। हांलाकि इन युवाओं का कहना है कि यह काम इतना आसान नहीं है। उन्हें अन्य ट्रैवल एजेन्सियों से कुछ हटकर काम करने पड़ते हैं जैसे कि रबड़ बैण्ड, ट्रैवल बैग्स जैसी चीजें भी इन्हें अपने पास रखनी पड़ती हैं क्योंकिअक्सर सफर में महिलाओं द्वारा इनकी माँग होती है। साथ ही साथ ये युवा यात्री महिलाओं की फोटो भी खींचते हैं। इस प्रकार ये युवा ट्रैवल फोटोगा्रफर भी बन जाते हैं।
प्रस्तुति : पुष्पा गैड़ा
(Hamari Duniya)
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