हमारी दुनियां

सुशीला भण्डारी सहित 11 महिलाओं को सम्मान

देश के अलग-अलग क्षेत्रों में सराहनीय कार्यों के लिए दिल्ली की स्वयंसेवी संस्था ‘लाइफ लाईन की ओर से ‘फर्स्ट इंडियन वूमेन एचीवर्स अवॉर्ड’से 11 महिलाओं को सम्मानित किया गया। सम्मान प्राप्त करने वाली महिलाओं में से उत्तराखण्ड से एकमात्र महिला सशुीला भण्डारी को सम्मानित किया गया। सुशीला भण्डारी पर्यावरण संरक्षण एवं महिला अधिकारों के लिए पिछले दो दशकों से सक्रिय हैं तथा आन्दोलन में उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उत्तराखण्ड के आपदा प्रभावित केदार घाटी में रायड़ी गाँव की सुशीला भण्डारी ने सम्मान प्राप्त करते हुए कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सिर्फ नारों और जुमलेबाजी से कुछ नहीं होगा बल्कि व्यावहारिक तौर पर र्आिथक रूप से महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने की जरूरत है। सम्मान पाने वाली अन्य महिलाओं में सुप्रीम कोर्ट की वकील रीर्ना ंसह, फैशन डिजाइनर सोनिया गुरनानी, कॉरपोरेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट आनंदिता मोइत्रा, टी.वी. अदाकारा रश्मि देसाई, सामाजिक कार्यकर्ता अंजना राजगोपाल आदि शामिल थीं। सम्मान प्रदान करते हुए संस्था ने कहा कि महिलाओं की सक्रियता इस बात का संकेत है कि समाज करवट बदल रहा है। जब भी समाज में बदलाव आया है उसमें महिलाओं ने अग्रणी भूमिका निभाई।

स्वाति दांडेकर बनीं एडीबी कार्यकारी निदेशक

भारतीय मूल की अमेरिकी राजनेता स्वाति दांडेकर का अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की कार्यकारी निदेशक के तौर पर नियुक्ति की घोषणा की है। एडीबी के कार्यकारी निदेशक का दर्जा राजदूत के समकक्ष होता है। स्वाति पहली भारतीय अमेरिकी हैं जो आइयोवा हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के लिए चयनित की गईं। 64 वर्षीय स्वाति राबर्ट एम.आर. की जगह लेंगी जो 2010 से इस पद पर थे। स्वाति 2003 से 2009 तक आइयोवा की प्रतिनिधि सभा की सदस्य रहीं और 2009 से 2011 तक राज्य सीनेट की सदस्य रहीं। इसके बाद 2013 तक आइयोवा यूटिलिटी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की सदस्य रहीं। उन्होंने 1996 से 2002 तक लिन मार कम्युनिटी स्कूल डिस्ट्रिक्ट बोर्ड ऑफ एजेकेशन में अपनी सेवाएँ दीं।

स्वाति ने नागपुर विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अन्य प्रशासनिक नियुक्ति और मनोनयन के साथ अमेरिका में एशियाई विकास बैंक के शीर्ष पद के लिए स्वाति की नियुक्ति की घोषणा करते हुए कहा- ‘मुझे विश्वास है कि ये अनुभवी और मेहनती लोग उन महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने में हमारी मदद करेंगे जिनका सामना अमेरिका कर रहा है और उनकी सेवाओं के लिए कृतज्ञ हूँ। मैं उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूँ।’ 

नारी निकेतन मामले में रावत सरकार को फटकार

राष्ट्रीय महिला आयोग ने देहरादून के नारी निकेतन के संवासिनों के मामले में रावत सरकार द्वारा करायी गयी जाँच को सिरे से नकार दिया है। रावत सरकार की इस अवहेलना के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी तीन सदस्यीय जाँच टीम को देहरादून भेजा और नारी निकेतन की जाँच करवाई जिसमें कई खामियाँ पायी गयी हैं। आयोग द्वारा भेजी गयी जाँच टीम ने जिले के आला अधिकारियों को फटकार लगाई है और उनकी जाँच व जवाबों से सन्तुष्ट नहीं होने पर उन्हें दिल्ली तलब किया है। संवासिनों के मामले की जाँच कर रही राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रेखा शर्मा का कहना है कि नारी निकेतन की जाँच में कई तरह की गड़बड़ियाँ पायी गयी हैं। राज्य सरकार द्वारा करायी गयी जाँच में भी खामियाँ पायी गयीं। इस मामले को नारी निकेतन हल्के में ले रहा है परन्तु जाँच के दौरान मामले को गंभीर पाया गया है।
(Hamari Duniya)

महिला आयोग की जाँच टीम ने दूर अस्पताल के सीएमएस आरएस असवाल और अन्य चिकित्सकों से दो संवासिनों की संदिग्ध हालतों में हुई मौत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तुरन्त जाँच टीम को सौपने के निर्देश दिये हैं। इस मामले को लेकर उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी व भाजपा की महिला मोर्चा देहरादून की महानगर अध्यक्ष कंचन ठाकुर ने राष्ट्रीय महिला आयोग को ज्ञापन देकर मामले की सीबीआई जाँच कराने की माँग की है।

सर्व महिला पीसीआर वैन

महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने व तुरन्त सहायता पहुँचाने के उद्देश्य से दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में पहली बार ‘महिला पीसीआर वैन’संचालित करने की पहल की है। ‘सर्व महिला पीसीआर वैन’को महिलाओं से छेड़ छाड़, नारी शोषण, उत्पीड़न एवं उन पर अन्य प्रकार के हमलों को रोकने के लिए संचालित किया गया है। इन मामलों के अलावा यह वैन सम्बन्धित हर कॉल पर जायेगी। महिला सिपाहियों का चयन गश्ती वाहनों के चालक के रूप में किया है। पीसीआर वैन में केवल महिलाएँ ही होंगी। अभी गश्ती इकाई में लगभग 240 महिलाएँ हैं जिनमें से 160 रंगरूट हैं। उन्हें बंदूकधारी या प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया है। परन्तु उनमें से अभी तक किसी को भी चालक के रूप में नियुक्त नहीं किया गया था।

सऊदी अरब के चुनावों में महिलाओं की भागीदारी

लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव कम करने की दिशा में सऊदी अरब में दिसम्बर में हुए चुनावों में महिला मतदाताओं और प्रत्याशियों की भागीदारी एक अहम कदम है। वहाँ पहली बार महिलाओं ने मतदाताओं व प्रत्याशियों के रूप में हिस्सा लिया। पहली बार नगरपालिकाओं में उम्मीदवार के रूप में महिलाओं को मौका दिया गया जो देश का एकमात्र निर्वाचित सदन है। यह अंतिम देश है जहाँ पर सिर्फ पुरुषों को मतदान करने की इजाजत है।
(Hamari Duniya)

नगरपालिका परिषद् की सीटों पर 900 से ज्यादा महिलाएँ प्रत्याशियों के रूप में 6000 पुरुषों के साथ चुनाव लड़ीं। इसके लिए उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सार्वजनिक सुविधाओं में लैंगिक भेदभाव लागू था जिसके अनुसार अपने चुनाव प्रचार के लिए महिलाएँ पुरुष मतदाताओं से सम्पर्क नहीं कर सकती थीं। सऊदी अरब में पुरुष और महिलाएँ अलग-अलग मतदान करते हैं और मतदान केन्द्र भी अलग अलग होते हैं। सऊदी अरब में राजशाही है। वहाँ पर महिलाओं के वाहन चलाने पर प्रतिबंध है। उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर खुद को सिर से पैर तक ढक कर रखना होता है।

दिल्ली पुलिस में महिलाएँ

संसद की एक समिति ने दिल्ली पुलिस में महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 9.27 फीसदी होने का संज्ञान लेकर गृह मंत्रालय को पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाकर 33 फीसदी तक करने के लिए कहा है। 20 मार्च 2015 को भारत सरकार द्वारा दिल्ली पुलिस समेत सभी केन्द्र शासित राज्यों की पुलिस में कांस्टेबल से लेकर उप-निरीक्षक स्तर के राजपत्रित पदों पर सीधी भर्ती में हर श्रेणी में 33 फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने को दी गयी मंजूरी का हवाला देते हुए- गृह मामलों पर विभाग से सम्बन्धित संसद की स्थायी समिति ने कहा कि दिल्ली पुलिस में महिलाओं की संख्या 33 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य निश्चित समय सीमा के अन्दर पूरा किया जाना चाहिए। समिति का कहना है कि दिल्ली पुलिस की विभिन्न स्तर पर महिला सुरक्षा के कदम उठाने के बाद भी महिलाओं के प्रति अपराध बढ़े हैं। इसलिए महिलाओं के साथ व्यवहार को लेकर संवेदना पैदा करने वाले कार्यक्रमों की आवश्यकता है।

समिति द्वारा प्रस्ताव रखा गया कि ऐसे कार्यक्रमों के साथ ही साथ दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के माध्यम से दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर एक स्कूल से एक शिक्षक को सड़क सुरक्षा समन्वयक की जिम्मेदारी दें जिससे कि बच्चों में इस विषय को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए नियमित रूप से सड़क सुरक्षा कार्यक्रम आयोजित किए जाएँ।

मिसाल बन सकता है खाप का यह फैसला

कन्या भ्रूण हत्या एवं लैंगिक भेदभाव पर लगाम लगाने का दिशा में हरियाणा की बूरा खाप पंचायत के मुखिया राजबीर बूरा ने कहा है, अगर किसी की दो बेटियाँ हैं, तो उसे तीसरे बच्चे के बारे में नहीं सोचना चाहिए। दहेज प्रथा रोकने के मकसद से खाप पंचायत  ने वर पक्ष को महज एक रुपये स्वीकार  करने का फरमान भी सुनाया है। पिछले काफी समय से खाप पंचायतें अपने दकियानूसी एवं तानाशाही फैसलों के लिए जानी जाती रही हैं। लेकिन बूरा खाप ने इन पंचायतों के कट्टरपंथी एवं परंपरागत स्वरूप से अलग फैसला सुनाकर मिसाल कायम की है। पंचायत के फैसले पर अमल करने वाले को पुरस्कृत करने की घोषणा  भी सामाजिक प्रेरणा  का माध्यम बन सकती है। बेटी के विवाह में र्आिथक खर्च के भार को कम करने के लिए दिए निर्देश के मुताबिक अब वर पक्ष की ओर से सिर्फ 21 लोग बारात में आ सकेंगे।

सामाजिक परंपराओं के मुताबिक किसी की मृत्यु होने पर 13 दिन तक शोक माना जाता है। लेकिन बूरा  खाप ने बदलते वक्त की जरूरतों के अनुसार  शोक की अवधि को घटाकर सात दिन  कर दिया है। शोक अवधि के दौरान गेहूँ का आटा, दाल और घी इत्यादि न खाने की वर्षों पुरानी परंपरा को भी नकार दिया है।
(Hamari Duniya)

प्रस्तुति: पुष्पा गैड़ा
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