हमारी दुनिया

शौचालय के लिए सत्याग्रह

मथुरा शहर की रहने वाली आशा लवानियाँ पिछले एक साल से वहाँ के नगर पालिका अध्यक्ष, जिला प्रशासन और सांसद हेमा मालिनी को अपने शहर के व्यस्त क्षेत्र में एक महिला शौचालय बनवाने के लिए पत्र लिखकर जब थक गयीं परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उन्होंने उसी व्यस्त क्षेत्र में सत्याग्रह शुरू कर दिया। 40 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में हाथ में एक तख्ती उठाकर, जिसमें लिखा था ‘महिला सुलभ शौचालय बनवाया जाय।’ उन्होंने सत्याग्रह शुरू किया। उनके इस सत्याग्रह से नगर पालिका प्रशासन ने तुरन्त कार्यवाही की और सात दिन में शौचालय बनाने का वादा करके महिला का अनशन तुड़वाया। आशा लवानियाँ ने पालिकाध्यक्ष मनीषा गुप्ता के आश्वासन पर अपना सत्याग्रह समाप्त करते हुए कहा कि यदि पालिकाध्यक्ष ने समय सीमा के भीतर अपना वादा पूरा न किया तो वह निश्चित रूप से कड़ा संकल्प लेकर बिना माँग पूरी किए जाने तक अपना सत्याग्रह नहीं तोड़ेंगी। आशा लवानियाँ शहर के छत्ता बाजार की परिपंच गली में गारमेंट्स की दुकान चलाती हैं वहाँ एक भी सुलभ शौचालय नहीं होने से कई महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता था।

सुप्रिया साहू दूरदर्शन की महानिदेशक

करीब दो साल से खाली पड़े दूरदर्शन के महानिदेशक के पद पर वरिष्ठ आइएएस अधिकारी सुप्रिया साहू को नियुक्त किया गया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने साहू को दूरदर्शन का महानिदेशक नियुक्त करने के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्हें इस पद पर तीन साल के लिए नियुक्त किया गया है। सुप्रिया साहू ने इससे पहले सूचना व प्रसारण मंत्रालय में निदेशक और संयुक्त सचिव के रूप में काम किया है। 1999 बैच की आई.ए.एस. अधिकारी साहू अभी तमिलनाडु कैडर के तहत काम कर रही हैं।

महिलाओं के लिए पैनिक बटन

रेल में सफर के दौरान महिलाओं की सुरक्षा के लिए मध्य रेलवे ने ट्रेनों में ‘पैनिक’ बटन लगाया है। यह पैनिक बटन आपातकालीन चेन के पास ही लगाया गया है। ट्रायल के तौर पर स्थानीय ट्रेन की चार महिला कोच में लाल रंग का यह पैनिक बटन लगाया गया है। आपातकाल में इस पैनिक बटन को दबाते ही कोच के बाहर लगे उपकरण ऑडियो विजुअल संकेत देंगे। इससे प्लेटफार्म में यात्री और रेलवे स्टाफ सतर्क हो जाएंगे। इसके अलावा कंट्रोल रूम और ट्रेन के कर्मचारियों को भी ऑडियो विजुअल संकेत मिलेगा जिससे फौरन कार्यवाही की जा सकेगी।

सेना में महिला बटालियन

अब थल सेना अलग से महिला बटालियन खड़ी करने पर विचार कर रही है। नौसेना के जहाजों, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एन.डी.ए.) और सैनिक स्कूलों में भी महिलाओं को मौका मिल सके इसके लिए सरकार की ओर से तैयारी की जा रही है इसी तरह रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों के साथ राजनीतिक साझेदारी के लिए नीति की घोषणा भी अगले कुछ समय में हो जाएगी।

चर्च के तलाक पर विचार

सरकार ने हाल ही में चर्च से मिलने वाले तलाक व डिक्री की मान्यता पर विचार के लिए एक याचिका का विरोध किया है। याचिका मंगलौर के वरिष्ठ वकील क्लेरेंस पायस की ओर से दायर की गयी है जिसमें कहा गया है कि चर्च से निकले तलाक को कानूनी मान्यता दी जाय। ईसाइयों के धर्म विधान के अनुसार कैथोलिक चर्च में धार्मिक अदालत में पादरी द्वारा तलाक व अन्य डिक्रियाँ दी जाती हैं परन्तु तलाक व डिक्री के बाद जब कुछ लोगों ने दूसरी शादी कर ली तो उन पर बहु विवाह का मुकदमा दर्ज हो गया। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगायी गयी कि सुप्रीम कोर्ट कैनन लॉ में चर्च द्वारा दी जा रही तलाक की डिक्री को मान्य घोषित करे व इस पर सिविल अदालत से तलाक की मुहर जरूरी नहीं हो। इस पर सरकार ने जवाब दाखिल कर कहा कि यह माँग स्वीकार नहीं की जा सकती है क्योंकि तलाक अधिनियम लागू है और कोर्ट उसे वैधानिक भी ठहरा चुका है।

तेजाब पीड़ितों को राहत

तेजाब हमले से पीड़ितों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों को पहले से जारी किये गये दिशा निर्देशों के अनुसार उन्हें मुआवजा, पुनर्वास और नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इससे तेजाब हमले के पीड़ितों को बड़ी राहत मिली है। बिहार की एक पीड़िता के पक्ष में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम.वाई. इकबाल और सी नगप्पन ने यह निर्देश दिये हैं। अदालत ने पीड़िता को दस लाख रुपये मुआवजा देने तथा उसकी सर्जरी व अन्य इलाज नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए कहा है, बिहार एनजीआर परिवर्तन केन्द्र की एक याचिका पर यह सुनवाई की गई। याचिका में निजी अस्पतालों पर पीड़ितों का नि:शुल्क उपचार न करने का आरोप लगाते हुए तेजाब हमले से पीड़ितों को पुनर्वास के निर्देश जारी करने के लिए न्यायालय से अपील की गई थी।

न्यायालय ने पहले ही देश के सभी निजी अस्पतालों को तेजाब हमले के पीड़ितों की मदद के निर्देश जारी किए थे।
(Hamari Duniya)

बेटी जन्म पर सरकारी योजनाएँ

राजस्थान सरकार की ओर से शुरू की गई शुभ लाभ योजना 1 जून से राजश्री योजना में बदल गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सरकारी अस्पतालों में बेटी जन्म पर शुभ लक्ष्मी योजना के तहत 7400 रुपए दिए जाते थे। आगामी दिनों में यह परिलाभ बढ़कर 50 हजार तक पहुँच जाएगा। यह घोषणा राज्य सरकार ने अपने बजट 2016 के दौरान की थी।

राजश्री योजना 31 मई 2016 की रात 12 बजे के बाद से जीवित बालिका के जन्म पर लागू होगी। योजना का लाभ राज्य के सभी सरकारी हॉस्पिटल में केवल राजस्थान मूल निवासियों को ही मिलेगा।

योजना में परिलाभ की प्रथम किश्त 2500 रुपए बालिका के जीवित जन्म पर, दूसरी किश्त 2500 रुपए बालिका के एक वर्ष की आयु पूरी करने एवं पूर्ण टीकाकरण कराने की शर्त पर देय होगी। तीसरी किश्त 4000 रुपए राजकीय स्कूल में प्रथम कक्षा में प्रवेश पर, चौथी किश्त 5000 हजार रुपए बालिका के राजकीय विद्यालय में प्रवेश पर मिलेगा।

साथ ही श्रम विभाग ने यह निर्णय लिया है कि यदि कोई महिला श्रमिक बेटी को जन्म देती है तो 21 हजार रुपए सहायता राशि मिलेगी। पहले बेटी के जन्म पर 6 हजार रुपये मिलते थे।  यह लाभ भवन निर्माण सहित अन्य श्रम कामों में लगी श्रम विभाग विभाग में पंजीकृत महिला श्रमिकों को ही मिलेगा।

आई. टी. बी. पी. में युद्धक महिलायें

अभी तक अर्धसैनिक बल में महिलाओं को निरीक्षणात्मक युद्धक की भूमिका नहीं दी जाती थी, परन्तु अब महिलाओं को भी आई.टी.बी.पी. में लड़ाकू अफसर की भूमिका निभाने को मिलेगी। गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर आई.टी.बी.पी. में महिलाओं का डायरेक्ट एंट्री ऑफिसर के लिए आवेदन करने की अनुमति दे दी है, जिससे महिलाएं सभी पांच केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में जल्द ही अफसर के रूप में लड़ाकू भूमिका में नजर आयेंगी। हाल ही में सरकार ने अद्धसैनिक बलों में महिलाओं को कांस्टेबल स्तर पर भर्ती में आरक्षण दिया था। अब सी.आर.पी.एफ. और सी.आई.एस.एफ. में महिलाएं यू.पी.एस.सी. द्वारा डायरेक्ट एंट्री ऑफीसर के लिए आवेदन कर सकती हैं। बी.एस.एफ. में महिला अधिकारियों की भर्ती 2013 और सशस्त्र सीमा बल में 2014 में ही शुरू हो गयी थी।

विधवा पुनर्विवाह पर अब 30 हजार

विधवा पुनर्विवाह करे तो 30 हजार रुपये की राशि उपहार में दी जाएगी। पहले यह 15 हजार रुपए थी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से वर्ष 2007-08 से राजस्थान में विधवा विवाह उपहार योजना चलाई जा रही है।

प्रचार-प्रसार की कमी से योजना का लाभ नहीं मिल रहा था। इसके तहत ऐसी महिला जिसके विवाह के बाद पति का देहान्त हो गया हो। वह वैधव्य जीवन व्यतीत कर रही हो। उसने पुनर्विवाह नहीं किया जो। आयु 18 वर्ष से कम एवं 50 वर्ष से अधिक न हो।

वह राजस्थान की मूल निवासी हो। विधवा पेंशन नियमों के अन्तर्गत विधवा पेंशन प्राप्त करने की पात्रता रखती हो। इस योजना की हकदार है।

शाबास

राजस्थान हाईकोर्ट की जज के रूप में 27 वर्षीय यास्मीन खान की नियुक्ति हुयी है। इसी के साथ वे सबसे कम उम्र में जज बनने वाली पहली शख्स बन गयी हैं।
(Hamari Duniya)

प्रस्तुति: पुष्पा गैड़ा

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