हमारी दुनियाँ

बी.एस.एफ. की पहली महिला अधिकारी

टेकनपुर (ग्वालियर) स्थित बीएसएफ अकादमी में मार्च में हुए दीक्षांत परेड में असिस्टेंट कमाडेंट के रूप में हिस्सा लेने वाली तनुश्री पारीक देश की पहली महिला बीएसएफ अधिकारी बन गयी हैं। उन्होंने अधिकारियों के 40वें बेंच में बतौर सहायक कमांडेंट 52 हफ्तों का प्रशिक्षण लिया था। तनुश्री पारीक ने दीक्षांत समरोह में परेड का नेतृत्व भी किया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर कहा कि बीएसएफ को पहली फील्ड आफिसर मिलने पर खुशी है। उम्मीद है कि और भी महिला अधिकारी आएंगी जो सीमाओं की सुरक्षा करेंगी।

नीमा भगत बनीं पूर्वी दिल्ली की मेयर

रानीखेत के सोनी गाँव निवासी नीमा भगत पूर्वी दिल्ली की नई मेयर बनीं हैं। नीमा ने अल्मोड़ा के एस.एस.जे. परिसर से एम.ए. किया है व शादी के बाद दिल्ली रहने लगीं। जहाँ उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। वह पूर्वी दिल्ली की गीता कालोनी से दूसरी बार सभासद चुनीं गयी है। लोग उनके कार्यों से खुश हैं। उनकी माता देवकी उपाध्याय राज्य आन्दोलनकारी रही हैं। उन्होंने नशा नहीं रोजगार दो आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्हीं की तरह नीमा भगत भी कालेज के समय में नशा नहीं रोजगार दो आन्दोलन में सक्रिय रहीं हैं।

26 हफ्तों का मातृत्व अवकाश

मातृत्व कानून में हुए संशोधन के बाद अब महिलाओं को 26 हफ्तों का मातृत्व अवकाश मिलेगा। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संशोधित मातृत्व लाभ कानून 2017 को अपनी मंजूरी दे दी है। संशोधित कानून के अनुसार ऐसे संस्थान जहाँ 50 या उससे ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं, वहाँ पर निर्धारित दूरी के भीतर क्रैच की सुविधा होना जरूरी है। साथ ही संस्थान दिन में चार बार महिला कर्मी को क्रैच में अपने बच्चे को देखने के लिए जाने देने के लिए बाध्य होगा।

पेटीएम की पहली सीईओ महिला

आरबीआई ने पेमेंट बैंक पेटीएम के सीईओ के रूप में पहली नियुक्ति की है। ऑनलाइन वॉलेट कम्पनी पेटीएम पेमेंट बैंक की पहली सीईओ के रूप में चमोली जिले के गौचर के पास झालीमठ की रेनू सती को चुना गया है। 41 वर्षीय रेनू सती चमोली जिले की मूल निवासी हैं व माँ मीना सती के साथ दिल्ली में रहती हैं। रेनू पेटीएम से पिछले 13 वर्षों से जुड़ी हैं। 2003 में मदर डेयरी के साथ एचआर के रूप में काम करने के बाद वे मैनपावर समूह के एचआर डिपार्टमेंट में असिस्टेंट मैनेजर बनीं। सितम्बर 2009 में वे वन-97 कम्युनिकेशन से जुड़ीं व पिछले तीन सालों से पेटीएम का संचालन करने वाली कम्पनी में बतौर वाइस-प्रेसीडेंट काम कर रही थीं।
(Hamari Duniya)

पाँच दिनों में दूसरी बार एवरेस्ट फतह

दो बार प्रयास करने पर भी सफलता न मिलने पर अंशु ने हार नहीं मानी और पाँच दिन में दो बार एवरेस्ट फतह करके नया कीर्तिमान स्थापित किया। अरुणांचल प्रदेश की अंशु जामसेनपा ने 21 मई को पाँच दिन में दूसरी बाद एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराया। दुनिया की सबसे ऊँची चोटी को पाँच दिन में दो बार फतह करके 37 वर्षीय अंशु दुनिया की पहली महिला पर्वतारोही बन गयी हैं। उन्होंने नेपाल के पर्वतारोही फुरी शेरपा के साथ यह चढ़ाई पूरी की। इससे पहले 16 मई को उन्होंने एवरेस्ट की चोटी को फतह किया था। इससे पहले नेपाल की चुरिम शेरपा ने एक सीजन में तीन बार एवरेस्ट की चढ़ाई चढ़कर गिनीज वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज किया था परन्तु अंशु जामसेनपा ने उनका रिकार्ड तोड़ दिया।

उत्तर प्रदेश में बेटी बचाओ पहल

कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए राजस्थान द्वारा अपनाया गया पीसीएनडीटी कानून अब उत्तर प्रदेश अपने यहाँ लागू करने जा रहा है। राजस्थान में इस कानून से लिंगानुपात में बड़ा सुधार आया है। उत्तर प्रदेश में लिंगानुपात एक बड़ी समस्या है। जहाँ 2011 में एक बालक पर 922 बालिकाएँ थीं वहीं वर्तमान में यह 903 रह गया है। इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान मॉडल अपनाने का फैसला किया। इस मॉडल के तहत सोनोग्राफी सेंटरों का निरीक्षण, गुप्त निरीक्षण, मुखबिर योजना आदि गतिविधियों की विस्तार से जानकारी लेने के अलावा जन जागरूकता कार्यक्रम भी बड़े स्तर पर चलाये जा रहे हैं।

स्कूल पाठ्यक्रम में लैंगिक समानता

समाज के सोच में बदलाव लाने पर जोर देते हुए सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति आर भानुमति ने लैंगिक समानता को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करके जनजागरूकता लाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल में ही यह सिखाया जाना चाहिए कि महिलाओं का सम्मान उसी तरह करें जिस तरह वह पुरुषों या अन्य का सम्मान करते हैं। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों से लड़ने के लिए सिर्फ सख्त कानून और सजा काफी नहीं है इसके साथ ही हमारे पारंपरिक समाज में महिलाओं का सम्मान व लैंगिक समानता व न्याय के लिए समाज के सोच व व्यवहार में परिवर्तन लाना भी आवश्यक है। यदि बच्चों को बचपन से ही महिलाओं के सम्मान के प्रति संवेदनशील बनाया जाय तो समाज की सोच में परिवर्तन की सम्भावना है। न्यायमूर्ति आर भानुमति ने अपने अलग लेकिन एक ही समय पर आए फैसले में 16 दिसम्बर 2012 के सामूहिक बलात्कार के मामले में चार दोषियों को मिली मौत की सजा को बरकरार रखा व कुल 114 पन्नों के अपने फैसले में उन्होंने महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर काबू पाने के लिए कई उपायों का सुझाव दिया है।

लोकतंत्र, परम्परा और महिलाएँ

नगालैण्ड में डैमोक्रेटिक एलायंस ऑफ नगालैण्ड (डी.एन.ए.) की सरकार के मुख्यमंत्री जेलियांग को अपनी सरकार के एक फसले के कारण इस्तीफा देना पड़ा है। जेलियांग सरकार ने शहरी निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया था। नगा जनजातीय संगठन नगालैण्ड ट्राइब्स एक्षन कमेटी (एन.टी.एसी) ने महिलाओं को आरक्षण देने का विरोध किया है

हाल के समय में अनेक राज्यों ने स्थानीय निकायों और पंचायत चुनावों में महिलाओं के लिए तैंतीस फीसदी से भी अधिक आरक्षण की व्यवस्था की है, मगर जनजाति बहुल नागालैण्ड का समाज महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकार को अलग तरह से परिभाषित करता है। 1963 में में अलग राज्य के रूप में आए नागालैण्ड की 18 जनजातियों की सर्वोच्च संस्था नगा होहो का तर्क है कि महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 371 (ए) में नगा प्रथाओं से सम्बन्धित कानूनों और परम्पराओं को मिली सुरक्षा का हनन करेगी। नगा गुटों के विरोध के कारण राज्य सरकार ने महिलाओं महिलाओं के आरक्षण से सम्बन्धित फैसला टाल दिया। जब हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की बात हो रही है, तब जनजातीय परम्परा के नाम पर उन्हें कब तक रोका जा सकता है।
(Hamari Duniya)

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