हमारी दुनिया

बराबर कमाने वाली पत्नी को नहीं गुजारा भत्ता का हक

देश के कानून में महिला एवं पुरुष को बराबरी का दर्जा प्राप्त है। इसमें भेदभाव नहीं किया जा सकता। ऐसे में अगर कोई महिला पति से अलग रह रही है और आत्मनिर्भर होते हुये पति के बराबर या उससे अधिक कमा रही हो तो उसे पति से गुजारा भत्ता का हकदार नहीं माना जा सकता। गुजारा भत्ते की माँग को खारिज करते हुये एक महत्वपूर्ण फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर ने याचिका कर्ता महिला पर पाँच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने कहा गुजारा भत्ता कानून उन महिलाओं के लिये है जो बेसहारा हैं और अपनी आजीविका कमाने में सक्षम नहीं हैं। यह कानून उन महिलाओं की मदद के लिये नहीं है जो पति के बराबर या उससे अधिक कमाते हुये पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं। याचिकाकर्ता की मंशा जाहिर करती है कि वह कानून का सहारा लेकर अपने पति को परेशान करना चाहती है। ऐसे में वह दण्ड की भागीदार है। खण्डपीठ ने कहा कि निचली अदालत ने शालिनी को गुजारा भत्ता दिलाने से इंकार करके कुछ गलत नहीं किया है। महिला एक सरकारी कर्मचारी है और 40 हजार रुपये प्रतिमाह कमाती है। उसका पति भी लगभग इतना ही पैसा कमाता है। उसका  पति अपने परिजनों के साथ उनके घर में रहता है और महिला अपने परिजनों के साथ। इतना ही नहीं महिला को मकान के किराये का भत्ता भी सरकार द्वारा अलग से दिया जाता है। ऐसे में महिला को अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का कोई हक नहीं है और न ही उसके घर में रहने का हक माँगने का। जहाँ तक उसके गहने वापस न देने की बात है तो उस सम्बन्ध में दहेज प्रताड़ना व स्त्रीधन वापस न देने का मामला अलग से चल रहा है।

खुद न्यायिक मजिस्ट्रेट दर्ज करें दुष्कर्म पीड़िता के बयान

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि दुष्कर्म के मामलों में प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये पुलिस अधिकारियों के बजाय सीधे न्यायिक मजिस्ट्रेट को ही पीड़िता के बयान दर्ज करने चाहिए। न्यायाधीश ज्ञान सुधा मिश्रा के नेतृत्व में पीठ ने कहा, जहाँ तक संभव हो जाँच अधिकारी को बयान दर्ज कराने के लिए पीड़िता को नजदीकी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट या प्राथमिकता के तौर पर लेडी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के पास ले जाना चाहिये। बयान की एक प्रति तुरन्त जाँच अधिकारी को इस आदेश के साथ दी जानी चाहिए कि वह इसमें दर्ज तथ्यों को चार्ज शीट दायर होने तक गुप्त रखे। आदेश में यह भी कहा गया है कि जाँच अधिकारी को दुष्कर्म की सूचना मिलने की तारीख व समय लिखना चाहिये और पीड़िता को मजिस्ट्रेट के पास ले जाने का समय भी दर्ज करना चाहिये। अगर पीड़िता को मजिस्ट्रेट के पास जाने में 24 घंटे से ज्यादा की देरी होती है तो जाँच अधिकारी को अपनी केस डायरी में इसकी वजह दर्ज करनी चाहिए और इसकी एक प्रति मजिस्ट्रेट को देनी चाहिए।

डॉ. हर्षवन्ती को मिला एडमंड हिलेरी मेडल

शहीद दुर्गामल्ल राजकीय महाविद्यालय डोईवाला (देहरादून) की प्राचार्य डॉ. हर्षवन्ती बिष्ट को सर एडमण्ड हिलेरी मेडल से सम्मानित किया गया है। डॉ. हर्षवन्ती को यह मेडल गंगोत्री गोमुख क्षेत्र में भोज वनीकरण तथा पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रदान किया गया। यह मेडल एडमंड हिलेरी एवं तेर्नंजग की ओर से एवरेस्ट आरोहण के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सर एडमण्ड हिलेरी की पूर्ण स्वीकृति से शुरू किया गया। 2003 में यह मेडल मिशेल स्कीमिब्ज व हेलन काउले, 2006 में डॉ. एलटन सी वायर्स, 2008 में एन्थेनी फ्रीक, 2010 में स्काट मेकलेन और 2011 में अंगरीता शेरपा को दिया गया। इस बार छठवाँ सर एडमण्ड हिलेरी लिगेसी मेडल 17 मार्च 2014 को इसीमोड काठमाण्डू (नेपाल) में सर एडमण्ड हिलेरी के पुत्र पीटर हिलेरी के हाथों डॉ. हर्षवन्ती बिष्ट को दिया गया।
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लगातार दो वर्ष छुट्टी ले सकती है सरकारी महिला कर्मचारी

सरकारी महिला र्किमयों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि केन्द्र सरकार की एक महिला कर्मचारी अपने नाबालिग बच्चों की देखभाल के लिये लगातार दो वर्ष तक की छुट्टी ले सकती है। यह अवकाश उन्हें बच्चों की बीमारी और परीक्षा के कारण भी मिल सकता है।

न्यायमूर्ति एम.जे. मुखोपाध्याय एवं वी. गोपाला गौडा की पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए यह फैसला दिया। शीर्ष अदालत ने एक सरकारी कर्मचारी काकली घोष की याचिका का निस्तारण करते हुए यह फैसला सुनाया। काकली ने अपनी याचिका में कलकत्ता हाईकोर्ट के 18 सितम्बर 2012 के उस निर्णय को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि केन्द्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली के अनुसार सीसीएल (बच्चों की देखभाल सम्बन्धी छुट्टी) के तहत लगातार 730 दिन यानी दो वर्ष के अवकाश की इजाजत नहीं दी जा सकती है। काकली ने अपने बेटे की दसवीं की परीक्षा के लिये दो वर्ष के अवकाश की माँग की थी जिसे सरकार ने खारिज किया था।

नुंग्शी एवं ताशी को ‘लिम्का बुक ऑफ रिकार्डने भी सलाम किया

6 मार्च 14 को नई दिल्ली स्थित इण्डिया हैविटैट सेन्टर में लांच हुए रिकार्ड बुक के 25वें संस्करण में नुंग्शी-ताशी को माउण्ट एवरेस्ट फतह करने के विश्व कीर्तिमान व दक्षिण अफ्रीका के माउण्ट किली मंजारौ फतह करने के राष्ट्रीय रेकार्ड को शामिल किया गया। महिला सशक्तीकरण के लिये जागरूकता लाने के उद्देश्य से दुनिया के सात सर्वोच्च शिखर फतह करने निकली नुंग्शी-ताशी मलिक अब तक विश्व के चार सर्वोच्च शिखरों को फतह कर चुकी हैं। जुड़वाँ बहनों ने यूरोप के माउण्ट एलब्रोस व दक्षिण अमेरिका स्थित माउण्ट अकाकागुआ को फतह करने का भी विश्व कीर्तिमान  बनाया है। ‘लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड’के 25वें संस्करण की लांचिग पर नुंग्शी-ताशी को विशेष रूप से आमंत्रित कर सम्मानित किया गया। सात मार्च को दोनों बहनें पपुआ इंडोनेशिया स्थित माउण्ट कार्सरेज पिरामिड को फतह करने को रवाना हो गई हैं।

महिलाओं के लिये मैसेज अलर्ट शुरू

अपराधों के प्रति महिलाओं एवं युवतियों को जागरूक करने के लिये उत्तराखण्ड पुलिस ने मैसेज अलर्ट शुरू कर दिया है। पुलिस ने छह नम्बरों पर फोन कर मैसेज अलर्ट कराने के लिये रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध कराई है। पुलिस अधीक्षिका पिम्मी सचदेवा द्वारा बताया गया है कि महिलाओं पर बढ़ते अपराधों की रोकथाम व महिलाओं को जागरूक करने व सुरक्षा टिप्स देने के लिये मैसेज अलर्ट शुरू कर दिया गया है। पुलिस विभाग के नम्बरों पर फोन कर महिलाएँ व युवतियाँ अपने मोबाइल का रजिस्ट्रेशन करा सकती हैं। रजिस्ट्रेशन कराने के बाद समय-समय पर पुलिस विभाग की ओर से जागरूकता एवं सुरक्षा से सम्बन्धित मैसेज भेजे जायेंगे। महिलाएँ एवं युवतियाँ इन नम्बरों पर रजिस्ट्रेशन करा सकती हैं- 1. 9536902922 2. 9456011755 3. 9639159999 4. 05946-220019 5. 10906100
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नहीं मिलेगी महिलाओं की व्यक्तिगत सूचना

राजस्थान सूचना आयोग ने एक महत्त्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि सूचना अधिकार आरटीआई, 2005 की धारा 8 (1) (जे) के अन्तर्गत यदि किसी महिला की निजता से जुड़ी हुयी जानकारी माँगी जाती है तो वह नहीं दी जा सकती। यदि सूचना लोगों के हितों के लिए माँगी जाती है तो ही दी जा सकती है। आयोग ने यह फैसला सुरेन्द्र पूनिया बनाम लोक सूचना अधिकारी, मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी, डूंगरपुर के वाद पर दिया। जिसमें अपील करने वाले ने वर्ष 1990 से अपील की तिथि 7 सितम्बर 2011 तक, 21 वर्षों की जिले की विधवाओं व परित्यक्ताओं की एक सूची व उनका पूरा पता तथा अन्य सूचनाएँ माँगी थीं। उन्होंने कहा कि किसी महिला का विधवा या परित्यक्ता होने का प्रमाण की सूचना माँगना महिलाओं की व्यक्तिगत सूचना से जुड़ा है अत: महिलाओं की निजता से जुड़ी सूचना नहीं दी जा सकती।

महिलाएँ बनेंगी कारीगर

महिलाएँ भी सरकारी योजनाओं में निर्माण का काम करेगी। बूंदी में निर्मल भारत अभियान योजना के तहत महिलाओं से शौचालय बनवाए जाएंगे। यह कार्यक्रम मनरेगा योजना के तहत चलेगा।

पहले चरण में हर ब्लॉक से 50 महिलाओं का चयन किया गया है। महिलाओं को मिस्त्री के काम की ट्रेनिंग दी जाएगी। कुशल महिला कारीगर को 350 व अकुशल मजदूर को 133 रुपए प्रतिदिन दिन जाएंगे। बूंदी कलेक्टर आनन्दी के अनुसार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह पहल की गई है।

प्रस्तुति: कमल नेगी
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