हमारी दुनिया

है तो दहेज ही
उत्तराखण्ड के भीमसिंह पर अपनी पत्नी को जलाकर मार देने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील को नामंजूर करके उसकी उम्र कैद की सजा बरकरार रखते हुए कहा है कि दहेज शादी से पहले माँगें या बाद में, है तो दहेज ही। किसी भी समय की गयी माँग को दहेज माना जा सकता है। इस मामले में बचाव पक्ष का कहना था कि आरोपी ने शादी से पहले कोई दहेज नहीं माँगा। फिर शादी के बाद ऐसी माँग करने का सवाल ही नहीं है।

शौचालय नहीं तो मान्यता नहीं
स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय नहीं होने के कारण अक्सर छात्राएँ स्कूल नहीं जा पाती हैं जिससे स्कूल में छात्राओं का ड्रापआउट भी बढ़ा है। राजस्थान हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को एक महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए कहा है कि किसी नये स्कूल या कालेज को खोलने के लिए अनुमति या मान्यता देने से पहले वह देख लें कि उनमें टायलेट हैं या नहीं। साथ ही यह भी कहा है कि सरपंच व स्कूल प्रबंधन कमेटी स्कूलों में टॉयलेट के काम की देख रेख करें व दो महीने में रिपोर्ट पेश करें। शौचालय में पानी की व्यवस्था जल संस्थान करेगा व शौचालय में छत भी बनाई जायेगी। यह निर्देश हाइकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुये दिये। याचिका में कहा है कि स्कूलों में टॉयलेट नहीं होने से छात्राएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, जिससे वे शिक्षा में पिछड़ रही हैं।

ऑनलाइन शिकायत
राजस्थान राज्य महिला आयोग ने महिलाओं के लिए वेबसाइट बनायी है जिससे महिलाएँ ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकतीं हैं। अब उन्हें किसी भी शिकायत के लिए आयोग के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। वे ऑनलाइन अपनी शिकायत महिला आयोग की नई वेबसाइट www.rscw.rajasthan.gov.in पर दर्ज करा सकती हैं।

छात्राओं की अनोखी पहल
यदि कुछ करने की चाह हो तो रास्ते खुद ब खुद निकल आते हैं। हरियाणा राज्य के उथान के माखंड गाँव की तीन छात्राओं ने यह बात साबित कर दी। माखंड गाँव में 10वीं के बाद स्कूल नहीं होने के कारण छात्राएँ आगे नहीं पढ़ पातीं थीं क्योंकि स्कूल उनके गाँव से काफी दूर था और कोई साधन वहाँ जाने का नहीं था। इसलिए इन तीन छात्राओं की पहल से सभी लड़कियों ने मिलकर एक प्राइवेट बस किराये पर ले ली। अब गाँव में 80 लड़कियाँ 10वीं से आगे पढ़ रहीं हैं। इसके लिए वे मिलकर 83 हजार रुपये महीने का बस किराया देती हैं। इससे 250 से ज्यादा लड़कियों का आगे पढ़ाई का सपना पूरा हो रहा है।

कहाँ गई लड़कियाँ?
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में लड़कियों के घटते औसत पर गहरी चिन्ता जताई है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा कि गर्भ में बेटियों की हत्या से सम्बन्धित सभी एक सौ दो मामलों पर चार महीने के भीतर कार्रवाई पूरी हो जानी चाहिए। सरकार ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश की। जिसमें सभी इक्कीस जिलों में लड़कियों के औसत में साल दर साल गिरावट दर्ज हो रही है। 2011 की जनगणना के अनुसार हरियाणा में एक हजार पुरुषों की तुलना में 837 महिलाएँ हैं। जो राष्ट्रीय औसत से बहुत कम हैं। नारनौल के आसपास के साठ गाँवों में पिछले एक साल में एक भी लड़की पैदा नहीं हुई।

बेटियों की संख्या में इजाफा
राजस्थान में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इन प्रयासों के अच्छे परिणाम आए हैं। प्रदेश में लिंगानुपात बढ़ा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कराए गए वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण से यह पता चला है। पिछले सर्वेक्षण के मुकाबले चार अंकों का उछाल देखा गया है। जयपुर में भी एक अंक की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2011-12 के सर्वेक्षण में लिंगानुपात 883 था, जो बढ़कर 887 तक आ गया है।

राजपथ पर दिखा महिला सशक्तीकरण
इस बार महिला सशक्तीकरण गणतंत्र दिवस समारोह के परेड का मुख्य विषय था। परेड में पहली बार तीनों सशस्त्र बलों की महिला टुकड़ियों ने हिस्सा लिया। वहीं राज्य की झाँकियों में भी महिलाओं को आगे दिखाया गया। थल सेना महिला टुकड़ी ने कैप्टन दिव्या अजित के नेतृत्व में मार्च किया। नौसेना और वायु सेना की महिला टुकड़ियों ने भी रायसीना हिल्स से इंडिया गेट तक मार्च किया।
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सुरक्षा बलों में मौजूदगी
अफगानिस्तान में तालिबान के पतन के बाद भी महिलाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं था परन्तु आज की स्थिति में महिलाएँ स्वयं के प्रयासों से बेहतर स्थिति में हैं। आज वे बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधाएँ पा रही हैं। वे अब बुर्के को नकार कर अपने घर के साथ ही साथ देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी ले रही हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनु़सार अफगानिस्तान के कुल सुरक्षा बलों में लगभग दो फीसदी महिलाएँ हैं। हालांकि लोगों की मानसिकता और महिलाओं के प्रति समाज का सोच तब भी नकारात्मक ही है जिससे महिलाएँ अलग-थलग जिन्दगी जीने को मजबूर हैं। ऐसे समाज में महिलाओं का जबरन उत्पीड़न कर उन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर किया जाता है। फिर भी ये महिलाएँ अपने अस्तित्व को बनाये हुए बुर्कापरस्ती की परंपरा को दरकिनार कर अपने हाथों में कमान थामे हैं। महिलाओं के सुरक्षा बलों में शामिल होने से हालात पहले से बेहतर हुए हैं। इसका एक उदाहरण काबुल की महिला जेल की पहली वार्डन महिला जरीफ शान नाइबी हैं। पहले जहाँ जेल में गंदगी और बदबू के बीच महिला कैदियों को रहने के लिये मजबूर किया जाता था वहाँ अब साफ-सफाई और पर्याप्त रोशनी व हवा है। जिस समाज में महिलाएँ घर की दहलीज पार करने की सोच भी नहीं सकती थीं और निकलना भी हो तो बुर्का पहनकर, उस समाज की सुरक्षा की जिम्मेदारी महिलाएँ बखूबी निभा रही हैं।

डायन प्रथा कानून
राजस्थान हाईकोर्ट ने डायन प्रथा के खिलाफ बिल पारित करने के लिए सरकार को सख्त निर्देश दिये हैं। यह आदेश नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की जनहित याचिका पर दिया है। डायन प्रथा रोकने के कानून में देरी पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि ऐसे मामलों में आईपीसी या सीआरपीसी से क्या होगा जब सख्त कार्रवाई नहीं होगी। हाईकोर्ट ने डायन प्रथा की शिकार महिलाओं को पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत दो लाख रुपये देने के भी निर्देश दिये हैं।

नया यूनिवर्सल नम्बर
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार देशव्यापी विस्तार करने पर विचार कर रही है। इसके तहत या तो वह 181 हेल्पलाइन नम्बर को देशव्यापी रूप देगी या इसे बदलकर कोई दूसरा नम्बर इसकी जगह पेश करेगी जिसे महिलाओं काआपातकालीन नम्बर माना जायेगा। राज्यों के महिला हेल्पलाइन पहले की तरह खुले रहेंगे। इस तरह महिला एवं बालविकास मंत्रालय और गृहमंत्रालय संयुक्त रूप से काम करेंगे और इसकी शुरूआत महिलाओं की सुरक्षा एवं बचाव को लेकर यूनिवर्सल हेल्पलाइन नम्बर पेश करने से की जायेगी। इससे महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, छीना-झपटी, दुष्कर्म, किसी हमले, दुव्र्यवहार जैसे मामलों में तत्काल शिकायत दर्ज की जा सकेगी। राज्य और केन्द्र सरकार के अलग-अलग हेल्पलाइन नम्बर होने से दोनों के बीच प्रति स्पर्धा और गुणवत्ता भी बढ़ेगी।

कन्यादान की अनोखी पहल
मध्यप्रदेश सरकार ने एक अनोखी पहल की है जिसमें वह कन्यादान योजना के तहत बेटियों को शादी में उपहार स्वरूप उनके ससुराल में टॉयलेट बनाकर देगी। हाल के समय में महिलाओें में स्वास्थ्य के प्रति आयी जागरूकता का ही परिणाम है कि ससुराल में टॉयलेट नहीं होने के कारण महिलाओं के घर छोड़ने की घटनाओं में इजाफा हुआ जिससे लोगों में भी जागरूकता आयी। छिन्दवाड़ा का एक उदाहरण है जहाँ एक महिला यह कहकर मायके चली गयी कि जब टॉयलेट बन जायेगा, वह लौट आयेगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत इस योजना को शामिल करने का फैसला किया है जिसमें लाभार्थियों को 12 हजार रुपए की लागत से टॉयलेट बनाकर दिया जायेगा।

किशोर कानून पर पुनर्विचार
किशोर अपराधों के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखकर सर्वोच्च अदालत के न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और प्रफुल्ल सी़ पन्त की पीठ ने कहा है कि जुवेनाइल(किशोर) कानून के सम्बन्ध में फिर से विचार करने की जरूरत है क्योंकि ऐसा नहीं है कि हत्या,बलात्कार और डकैती जैसे जघन्य अपराधों में लिप्त नाबालिग उसके परिणामों से अपरिचित हो। पिछले साल केन्द्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत को एक अन्य मामले में कहा था कि बलात्कार, हत्या, ड्रग्स तस्करी आदि जघन्य अपराधों में शामिल नाबालिगों को कल्याणकारी विधानों से मिलने वाले फायदे से अलग रखा जाय। नाबालिगों द्वारा किये जाने वाले अपराधोें में दिनों-दिन बढ़ती संख्या को देखते हुए सर्वोच्च अदालत का इस मामले में विचार किशोर अपराधों की रोकथाम की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
– प्रस्तुति: पुष्पा गैड़ा
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