महिलाओं ने ठानी है, शराब से मुक्ति पानी है

सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी राजस्थान की जनता शराब के खिलाफ लामबंद हो रही है। शराब की दुकानें हटाने के लिए लोग वोटिंग कराने की माँग कर रहे हैं। सरकार है कि राजस्व की कमी के डर से किसी भी तरह से इसे टाल रही है। सरकार की समस्या यह है कि शराब बेचकर करीब आठ हजार करोड़ रुपए का राजस्व आता है और प्रदेश में देशी और विदेशी शराब की सात हजार दुकानें हैं। प्रदेश में 2015-16 में शराब से 6700 करोड़ रुपए का रेवन्यू मिला था। 2016-17 का लक्ष्य करीब 7300 करोड़ रुपए रखा गया है। ऐसे में प्रदेश सरकार चाहती है कि शराब से होने वाली आमदनी पर असर नहीं पड़े पर प्रदेश की महिलाओं ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। पहले काछबली और अब रोजदा।

पिछले दिनों जयपुर जिले के रोजदा गाँव की महिलाओं ने मिसाल कायम की। महिलाओं द्वारा किए गए लगातार संघर्ष का ही नतीजा रहा कि रोजदा ग्राम पंचायत शराब मुक्त हुई।

दरअसल, रोजदावासी अपनी पंचायत को शराब मुक्त पंचायत बनाना चाहते थे। इसके लिए 351 दिन तक लगातार धरना भी दिया। इसकी अगुवाई की पंचायत की महिलाओं ने। रोजदा में शराब की दुकान हटाने के लिए सरकार से मतदान कराने की बात कही। राज्य सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई। सरकार के रवैये को देखते हुए ग्रामीणों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। कोर्ट ने रोजदा गाँव में शराबबन्दी के लिए मतदान करवाने की अनुमति दी। 19 मार्च को मतदान करने का दिन तय हुआ। पंचायत की महिलाओं ने बीड़ा उठाया। घर-घर जाकर लोगों से जनसम्पर्क किया। गाँव के लोगों को शराबमुक्त कराने के पक्ष में वोट डालने के लिए प्रेरित किया। तय तारीख को मतदान हुआ। मतदान के लिए ग्रामीणों में जबर्दस्त उत्साह नजर आया। रोजदा में कुल वोटरों की संख्या 4268 थी। कुल 2581 वोट डाले गये। जीत के लिए 2200 वोट चाहिए थे। शराबबन्दी के पक्ष में 2270 वोट डले। इनमें भी 1600 महिलाएँ रहीं।

प्रदेश में शराबबन्दी के लिए हो रहे ऐसे सामूहिक प्रयास नए रास्ते खोल रहे हैं। प्रदेश में अब यह मुहिम काफी तेज हो गई है। महिलाएँ शराब के खिलाफ सड़कों पर उतर रही हैं। प्रदेश के कई इलाकों में शराब के खिलाफ माहौल बन रहा है। लोग अपनी-अपनी पंचायतों में शराब की दुकानों को बंद कराने के लिए मतदान की मांग कर रहे हैं। खासतौर से महिलाओं ने ठान लिया है, अब वे शराब से छुटकारा पाकर ही रहेंगी।

प्रदेश के कई इलाकों से शराब की दुकानों को बंद कराने की मांग को लेकर हो रहे आन्दोलनों के समाचार आ रहे हैं। जयपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद, जोधपुर, अलवर, सवाईमाधोपुर, भरतपुर, करौली, अजमेर जिलों में महिला हो या पुरुष, सबके सब इस मुहिम में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। राजसमंद जिले के भीम तहसील में पिछले दिनों करीब एक हजार महिलाएँ शराबबन्दी की मांग को लेकर पाटिया का चौड़ा मैदान में इकट्ठा हुईं। ये महिलाएँ भीम उपखंड की 5 ग्राम पंचायतों थानेटा, ठीकरवास, बरार, बरजाल, कूकरखेड़ा एवं मंडावर से आई थीं। रैली के रूप में उपखंड अधिकारी कार्यालय पहुँची। रैली के दौरान महिलाओं ने दारू नहीं, पानी चाहिए के नारे लगाए। भीम उपखंड के अधिकतर गाँवों में अवैध शराब के ठेके संचालित किए जा रहे हैं। जिन पर 24 घंटे शराब की बिक्री की जा रही है जो पूरी तरह गैर कानूनी है।

क्षेत्र की इन पंचायतों ने ग्राम सभा कर मतदाताओं से हस्ताक्षर करवा, शराबबन्दी पर वोटिंग कराने का प्रस्ताव उपखंड अधिकारी को भेज दिया है। इसके बाद भी अभी तक मतदान की तारीख नहीं मिली है। यह सरकार की मानसिकता को दर्शाता है कि वह इस संवेदनशील मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर है। तभी तो वोटिंग नहीं करवा रही है।
(Women have decided, freedom from alcohol)

उजाला छड़ी से साभार