एक शिक्षिका की डायरी – 4

रेखा चमोली

6-8-11

आज की प्रार्थना सभा में 5-6 बच्चों ने अपनी कल की लिखी कविता सुनाई। जब मैंने कहा, अब हम आज का काम शुरू करते हैं तो वे रुके वरना सब के सब अपनी कविता सुनाना चाहते थे। मजे की बात यह थी कि इन्होंने अपनी लिखी कविता बहुत अच्छे से याद भी कर ली थी। कल जो कमरा खाली किया था आज उसकी दीवारों पर पेंट होना था। उसका सारा सामान दूसरे कमरे में रखा होने के कारण आज हमने कक्षा 1 व 2 के लिए बाहर बेंच व मेज लगाए। दरअसल हमारे विद्यालय का मुख्य भवन भूकम्प (1991) में पूरी तरह टूट गया था । नया भवन टाटा रिलीफ फण्ड द्वारा बनाया गया है। इसकी दीवारें व छत प्लाई व टिन की हैं तथा बहुत नीची भी हैं। इसमें डबल कोट में पेंट करवा रहे हैं। जो सूखने में बहुत समय ले रहा है पर अच्छा लग रहा है। बालसखा कक्ष अतिरिक्त कक्ष के रूप में है जो सीमेंट से बना है पर इसकी छत बरसात में टपकती है और दीवारों पर बहुत सीलन रहती है जिसके कारण हमारा बहुत सा काम खराब हो जाता है। इसलिए ठीक से काम हो यह देखना बहुत जरूरी है वरना समस्या का हल नहीं हो पाएगा।

मैंने कक्षा 2 को श्यामपट पर कुछ वाक्य लिखकर दिए व उन्हें एक-एक कर पढ़ने व अपनी कापी में लिखकर दिखाने को कहा, कक्षा 1 को 1-1 पेज देकर अपने मनपसंद चित्र बनाने को दिए। कुछ बच्चे अखबार माँग रहे थे। वे अक्षरों पर गोला बनाने की गतिविधि करना चाहते थे इसलिए मैंने उन्हें एक-एक अखबार भी दिया और उसमें च, प, ह अक्षरों को ढूँढकर गोला बनाने को कहा। कक्षा 3,4,5 वाले बालसखा कक्ष में गोला बनाकर बैठ गए थे। वे व्यवस्थित तरीके से अपनी कापी पेंसिल लेकर काम करने को तैयार थे। मुझे यह देखकर अच्छा लगा। सबसे पहले बच्चों ने घर पर लिखी अपनी कविता सुनाई। अभी भी कुछ बच्चे राहुल, रविना, नितिन, अपने भाव गद्यात्मक रूप से लिख रहे थे। मैंने तय किया कि आज प्रत्येक बच्चे से उसकी कविता की पंक्तियों पर अलग-अलग बात करूँगी। कल यह चर्चा पूरी कक्षा में हुई थी फिर भी बच्चों का इस तरह से लिखना यह बताता है कि मेरी बात अच्छी तरह से उन तक नहीं पहुँची है।

आज हमने कविता की अधूरी पंक्तियों को पूरा करने की गतिविधि करनी थी। मैंने श्यामपट पर दो पंक्तियां लिखीं-

आसमान से टपकी बूंदें टप-टप-टप
गप्पू ने खाए रसगुल्ले गप-गप-गप

बगैर इन पंक्तियों पर बात किए मैंने बातचीत की शुरूआत ध्वन्यात्मक शब्दों पर की।
मैने कहा मैं कोई आवाज करूँगी तुम बताना किसकी है?

जैसे टन टन – घण्टी की
फटाक पटाखे की , चरर्र दरवाजे की
(Diary : Rekha Chamoli)

अच्छा अब तुम कुछ आवाजें करके बताओ। बच्चों ने बहुत सी आवाजों की नकल की। पशु-पक्षियों की, पत्थर की, बर्तन गिरने की, अपने-गिरने की, बादल टकराने की, सीटी की वगैरह-वगैरह। पूरा कमरा आवाजों से भर गया।
अब मैंने बच्चों से कहा, श्यामपट पर क्या लिखा है, पढ़ो तो।

बच्चों ने खूब जोर से पढ़ा
आसमान से टपकी बूंदें टप-टप-टप
गप्पू ने खाए रसगुल्ले गप-गप-गप

आज हम इन पंक्तियों में कुछ और पक्तियां जोड़कर एक कविता लिखेंगे मैंने बच्चों को समझाया।
कक्षा 1 व 2 के बच्चे शोर कर रहे थे। बाहर गयी तो देखा कोई बेंच पर खड़ा है। कोई इधर-उधर दौड़ रहा है। बेंचों का क्रम बदल गया है। कुछ बच्चे पेंटर को पेंट करते देखने के लिए कमरे में चले गए हैं।

वास्तव में छोटे बच्चों का एक गतिविधि में ज्यादा देर तक ध्यान नहीं बना रहता। प्रत्येक 15-20 मिनट में उन्हें कुछ नया करने को चाहिए। पेंट का काम उनका ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। बच्चे अपने इर्द-गिर्द हो रहे घटना क्रम का बारीकी से अवलोकन करते हैं और उसे अपने सीखने से जोड़ पाते हैं। सवाल यह है कि क्या वयस्क अध्यापक बच्चों के इन सब क्रियाकलापों का अवलोकन कर पाता है। कक्षा 1 को अखबार में शब्द छांटने का जो काम दिया गया था, वह पूरा हो चुका था। अखबार फट गये थे, पेज इधर-उधर उड़ रहे थे। अब शिकायतों का जोर चला। इसने मेरा पेज ले लिया या अखबार फाड़ दिया आदि। छोटे बच्चे बहुत पेज फाड़ते हैं। कभी असावधानीवश पेज फट जाते हैं तो कभी एक दूसरे का काम बिगाड़ते हुए। कभी उन्हें अपना काम पसंद नहीं आता तो कभी शिक्षक की डाँट से बचने के लिए भी पेज फाड़ते हैं।  कई बार सोचती हूँ बच्चों के आस-पास की दुनिया व उनका सामान बड़ों को अस्त-व्यस्त क्यों जान पड़ता है? जबकि उस सामान का उपयोग बच्चे अपने खेल या सीखने में कर रहे होते हैं। काम करने के बाद चीजों को व्यवस्थित करने की आदत धीरे-धीरे ही आती है। खैर, मैंने मोटा हाथी कविता का हवाला देते हुए सब बच्चों को पुन: ध्यान केन्द्रित करने के लिए एकत्र किया।

कुछ बच्चों ने अपनी कविताएँ लिख दी थीं। मैंने कहा, वे यहीं आकर अपना काम दिखाएँ और फिर उसे शुद्घ करें। बच्चे बारी-बारी आते रहे। मैं उन्हें सुझाव देती। उनकी मात्रात्मक गलतियाँ सुधारती, उनसे उनकी कल लिखी कविता के बारे में बात करती और उन्हें पेज देती। इस तरह काम चलता रहा। बच्चों को अपना काम इतना अच्छा लगा कि वे भोजन करने भी बहुत बार बुलाने पर आए और तुरन्त वापस जाकर अपना काम करने लगे। छोटे बच्चे इन्हें काम करते देख दरवाजे से झाँकते, हँसते-खिलखिलाते कुछ सोच रहे थे। मैडम इधर-उधर जाती तो हम बजरी में चढ़ते उससे खेलते। आज खच्चर वाले भइया ईंट पत्थर लेकर आए। अब आधा आंगन इन चीजों से ही भर गया है।

मध्यान्तर के बाद भी बच्चों के काम पर प्रतिक्रिया देने का क्रम चलता रहा। चूँकि कक्षा 3, 4, 5 में कुल 30 बच्चे हैं, अत: उनका काम देखने और उनसे बात करने में बहुत समय लग रहा है। जिन बच्चों ने अपना काम पूरा कर लिया था, उन्हें गणित में काम करने को दिया। मैंने बच्चों के लिए और चार्ट पेपर काटे और उनमें लाइनें खींची। खुशी और आस्था ने कक्षा 1 व 2 को श्यामपट से कुछ शब्द पढ़वाए व उनकी कापी में सवाल हल करने को दिए। आज बच्चे बड़े समूह में अपनी कविता पढ़ नहीं पाए क्योंकि मैं सब बच्चों की कापियाँ एक साथ नहीं देख पायी थी। मैंने बच्चों की कविताएँ पढ़ी। बच्चों ने कुछ इस तरह से लिखा था।

1. खुशी कक्षा 4       

चूहे ने जूते काटे कुर्र-कुर्र कुर्र।
मेंढक ने छलांग लगाई टर्र-टर्र-टर्र॥

2. आशा कक्षा 4      

झरने से आया पानी झर-झर-झर।
राजू ने पतंग उडाई फर-फर-फर॥

3. निकिता कक्षा 4  

झरने बहते झर-झर-झर।
उड़ी हवाएं फर-फर-फर॥
(Diary : Rekha Chamoli)

4.  दुर्गा कक्षा 5       

नाव चली कल-कल-कल।
फिर नाव बही तल-तल-तल॥

5. आस्था कक्षा 5   

नदियां आयी कल-कल-कल।
रमेश भी आया कल-कल-कल॥

6. रश्मि कक्षा 4      

झरने बहते झर-झर-झर।
दरवाजा बोला चर्र-चर्र-चर्र ॥
पतंग ने कहा उड़ फर-फर-फर।
नानी खाती सेब कर्र-कर्र-कर्र॥

7. प्रकाश कक्षा 4    

बादल गरजे गड़-गड़गड़।
आसमान से बारिश छत पर गिरी॥
छड –  छड़-  छड़- छड़।
ओले गिरे तड़ – तड़ -तड़ -तड़॥

8. गंगा कक्षा 5        

मीनू ने पानी पिया गट- गट-गट।
मां ने बुलाया झट-झट-झट॥
आसमान में बिजली चमकती चम-चम-चम।
बादल  बरसे झम -झम -झम॥

9- राहुल कक्षा 5      

कपड़े उड़े फर- फर-फर।
झरना आया झर-झर-झर॥
बिल्ली बोली म्याँऊ -म्याँऊ -म्याँऊ।
दूध पीने आऊं आऊं आऊं॥
कुत्ता बोला भूं- भूं -भूं।
दरवाजा खोला चूं – चूं – चूं॥

बच्चों ने बहुत से ध्वनि शब्दों का उपयोग किया था। तरह-तरह की ध्वनियों की तुकान्त ध्वनि खोजी थी। बच्चों के पास प्रकृति में मौजूद ध्वनियों के कुछ अनुभव पहले से हैं। बच्चे अक्सर अपने आसपास की आवाजों के प्रति आकर्षित होते हैं व उनके स्रोतों तक पहुँचने का प्रयास करते हैं। अपनी बातचीत व खेल के दौरान वे बहुत सी ध्वनियों का उपयोग करते हैं। जिसमें उन्हें मजा आता है। मुझे लगता है, इस गतिविधि के बाद वे ध्वनियों व लय के प्रति और ज्यादा आकर्षित होंगे व सूक्ष्म अवलोकनों के प्रति पे्ररित होंगे।

पता नही सिर्फ ध्वनियों को कहना-लिखना कविता है या नहीं पर बच्चों ने अच्छे प्रयास किए थे।

अगली बार कक्षा में कुछ नयी पंक्तियां दूंगी।
(Diary : Rekha Chamoli)

क्रमश:

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