साइबर-अपराध : रिपोर्ट

जया पाण्डे/दिशा बिष्ट

आधुनिक युग में साइबर क्रान्ति का अपना महत्व है। विकासशील देशों में इसके माध्यम से विज्ञान के साथ-साथ कई उपलब्धियों को पाने में देश सफल रहा है। भारत में साइबर क्रान्ति देर से आई। इसका उपयोग देश के विकास में भी काफी महत्वपूर्ण रहा। लेकिन उसके बावजूद इस क्रान्ति को भावी पीढ़ी ने गलत तरीके से उपयोग कर साइबर क्राइम को जन्म दे दिया। इसका सबसे बड़ा प्रभाव महिलाओं पर पड़ा। भावी पीढ़ी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए इसका उपयोग गलत तरीके से करने लगी है। साइबर कैफे भी इसकी उपज हैं। महिलाएँ व युवतियाँ इस साईबर क्राइम की जद में आसानी से आ जाती हैं। फेसबुक, व्हाट्सप आदि के जरिये महिलाएँ आपराधिक तत्वों के जाल में जल्द आ जाती हैं। इसके कारण उन्हें सामाजिक, र्आिथक व शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ता है। भावी युवा पीढ़ी साईबर क्रान्ति का सहारा लेकर गलत राह पर चलकर सामाजिक सरोकारों को भूल चुकी हैं। युवा पीढ़ी के साथ-साथ अभिभावक भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। क्योंकि उनके द्वारा अपने बच्चों को इस गतिविधि से दूर रहने के लिए कोई पहल नहीं की जाती है। पर्वतीय क्षेत्रों में भी साईबर क्राइम की जद में महिलाएँ व युवतियों का आना आम बात हो गई है। जिसके चलते कई परिवारों की महिलाओं व युवतियों को अपनी लाज के कारण आत्महत्या का शिकार होना पड़ा। एक ऐसा ही वाकया पर्यटन नगरी रानीखेत में विगत मई माह में सामने आया। इस काण्ड ने समूचे नगर को शर्मसार कर दिया। विगत 25 मई, 2016 को नगर के ग्राम एरोड़ निवासी एक युवती साइबर क्राइम का शिकार बनी। उसे लोक-लज्जा के भय के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा। काफी हो हल्ला हुआ। 27 मई की रात को मृतका पक्ष की ओर से राजस्व पुलिस में एक एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई। इसमें कहा गया कि गाँव की किशोरी गत 14 फरवरी को रानीझील के पास अपने साथियों के साथ बैठी थी। इसी बीच नगर निवासी र्हिषत सती, सुभम चौधरी, नीरज चौधरी, कुलदीप कुमार व जग्गा ने किशोरी की गलत नियत से मोबाइल में वीडियो बना ली। इसके बाद पाँच लड़के किशोरी को ब्लैकमेल कर उसका शोषण कर रहे थे। उनके द्वारा जान से मारने की धमकी दी जा रही थी। लगातार शोषण से तनावग्रस्त बालिका ने 25 मई को आत्महत्या कर ली। इसी दिन इण्टरमीडिएट बोर्ड का रिजल्ट घोषित हुआ था। छात्रा द्वितीय श्रेणी में पास थी। परिजनों ने परीक्षा में कम नम्बर आने का कारण छात्रा द्वारा आत्महत्या किये जाने के संदेह में कोई कार्रवाई नहीं की। शुक्रवार को नगर में एक  एम.एम.एस. वायरल होने के बाद बखेड़ा खड़ा हो गया। एम.एम.एस. में उक्त छात्रा की मौजूदगी होने से आत्महत्या के असल कारणों का पता चला।

जिस युवक के साथ किशोरी का सामान्य एम.एम.एस. बनाया गया था, उसने ग्रामीणों को जानकारी दी कि फरवरी में वह लोग रानीझील के पास बैठकर बातचीत कर रहे थे। इसी दौरान नगर के चार युवकों ने उनका एम.एम.एस. बना लिया। इसके बाद गुस्साए ग्रामीण बाजार में आ धमके। ग्रामीणों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की माँग की।  दुकानें बंद कराने के साथ सुभाष चौक और गाँधी चौक पर चक्काजाम कर दिया गया। पुरुष गाँधी चौक पर प्रदर्शन करते रहे तो महिलाएँ तहसील में जाकर धरने में डट गईं। महिलाओं की सभा में प्रकरण को पहाड़ की शांत फिजा के लिए गंभीर अपराध करार दिया गया। इस तरह की गंभीर घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की वकालत की गई। इस दौरान व्यापार मंडल के पदाधिकारी भी ग्रामीणों के समर्थन में आ गए। संयुक्त मजिस्ट्रेट विनीत कुमार ने ग्रामीणों को शांत करने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा कम न हुआ। बाद में पुलिस द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार करने के आश्वासन पर ही ग्रामीण शांत हुए।

मृतका पक्ष की ओर से एफ. आई. आर.  के बाद कोतवाली पुलिस ने नामजद र्हिषत सती, सुभम चौधरी, नीरज चौधरी  व जग्गा को गिरफ्तार कर लिया गया। एक हफ्ते बाद पाँचवा आरोपी भी गिरफ्तार कर लिया गया। आन्दोलन, जाम व प्रदर्शन के बाद अपराधी पकड़ में भी आए लेकिन उसके बाद यह मामला समय के साथ-साथ शांत हो गया। राजनेताओं के बड़े-बड़े दावे व आश्वासन धरे के धरे रह गए। वहीं प्रशासन व शासन भी इसके लिए वर्तमान समय तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं। मामला जिला जज के पास जाने पर ये सभी अभियोगी छूट गए क्योंकि पुख्ता सबूत नहीं थे। एम.एम.एस. में आपत्तिजनक स्थिति नहीं थी। चूँकि पीड़िता के घरवालों ने शव का पोस्टमार्टम नहीं करवाया था इसलिए उनका आधार भी मजबूत नहीं कहा जा सकता।

पर बहुत सारे प्रश्न है। क्या लड़की एक लड़के के साथ अपनी फोटो देखकर डर गई। एम.एम.एस. आपत्तिजनक नहीं होने के बावजूद यह तो कहा ही जा सकता है कि इन तकनीकियों का दुरुपयोग हो रहा है गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। एक तरह का सामाजिक भय लड़की के मन में अवश्य रहा होगा, जिसने उसे आत्महत्या करने को प्रेरित किया।

पर्वतीय क्षेत्रों में पश्चिमी सभ्यता की तर्ज पर भावी युवा पीढ़ी पर साईबर का नशा आने वाले भविष्य के लिए खतरे का आभास है। इस अपराध से युवा पीढ़ी अपना जीवन अंधकार की ओर धकेल रही हैं। समय रहते शासन व प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों को इस अपराध को रोकने के लिए सार्थक प्रयास करने होंगे। सरकार द्वारा इसकी रोकथाम के लिए जागरूक अभियान चलाए जाने चाहिए। अन्यथा कई मासूम जिन्दगियाँ इसकी भेंट चढ़ जाएंगी। तब पछतावे के सिवाए कुछ हाथ नहीं आएगा।
(Cyber ​​crimes)

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