साहित्य

कुछ कविताएँ

हर्ष लक्ष्मण रेखामेरी लक्ष्मण रेखाखींच ली है स्वयं ही मैंनेतय करते हुए़.दायरा अपने दर्द काऔर अपनी उदासियों की...

कहानी : ठंडा बस्ता 

रश्मि बड़थ्वाल शाम ढलने लगी है। दूर-पास के सभी घरों में गहमागहमी बढ़ने लगी है। बीजी कल ही...

एक पत्रिका का सफर

शीला रजवार विगत उन्नीस वर्षों से सुश्री दिव्या जैन के सम्पादन में निरंतर प्रकाशित हो रही महिला पत्रिका...

कहानी : वजूद  

राजाराम विद्यार्थी शाम का वक्त, सूरज ढल चुका है। गाय-भैंसों को बाहर से अन्दर गोठ में बाँध दिया...

कविताएं : बेटियाँ

ललित मोहन राठौर ‘शौर्य’ 1 बेटियाँ मुश्किल में हैंघर और बाहरदोनों जगहबेटियाँ महफूजनहीं गर्भ मेंक्या कोईऐसी जगह हैजहाँउड़...

कहानी : एकांकी  

रुचि नैलवाल मुझे जावेद अख्तर की कही बात के शब्द तो ठीक से याद नहीं पर उसके मायने...

बच्चा! मछली!! बाढ़!!!

गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ तुलसीदासोवाचः ….क्षिति जल पावक गगन समीरापंचतत्व यह अधम शरीरा मेरे बच्चे!मैं जानता हूँकि पानी की...