दुकान नहीं, शराब बन्द हो

माया चिलवाल

6 सितम्बर 2017 को लक्ष्मी आश्रम कौसानी में शराब विरोधी आन्दोलनकारी महिलाओं की एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी के आयोजक लक्ष्मी आश्रम कौसानी व महिला हाट अल्मोड़ा थे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सुश्री राधा बहन ने की व संचालन नीमा बहन ने किया। कार्यक्रम दो सत्रों में चला। प्रथम सत्र में कुमाऊँ के विभिन्न क्षेत्रों से आई हुई शराब विरोधी आन्दोलनकारी महिलाओं ने आन्दोलन के दौरान हुए अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने बताया कि किस तरह सरकारी तंत्र व शराब माफिया की प्रताड़ना और फर्जी मुकदमों को उन्होंने झेला। क्या रणनीति बनाई जाय, जिससे सरकार व प्रशासन पर दबाव बन सके व उत्तराखण्ड को पूर्ण शराब मुक्त प्रदेश बनाने में पहल हो सके, इस सन्दर्भ में द्वितीय सत्र में चर्चा की गई। अन्त में एक ज्ञापन तैयार किया गया जिसे जिला अधिकारी व क्षेत्रीय प्रतितिभागियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजने का निर्णय लिया गया।

लक्ष्मी आश्रम कौसानी की राधा बहन ने सामाजिक कार्यों व विभिन्न आन्दोलनों में अपनी भागीदारी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वे 1965-66 से नशामुक्ति के आन्दोलनों में भागीदारी कर रही हैं। दन्या की शराब विरोधी मुहिम में उनकी किस प्रकार की सहभागिता रही, इसकी उन्होंने विस्तृत चर्चा की। राधा बहन ने कहा कि इस विषय पर चर्चा आवश्यक है कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों में शराब विरोधी आन्दोलन कर रही महिलाओं की साझी सहभागिता हो या रणनीति हो। सरकार को कैसे मजबूर किया जाये कि प्रदेश में पूर्ण शराबबन्दी लागू हो। हमें दुकान नहीं, शराब बन्द करानी है। नौगाँव, तडागताल (चौखुटिया) से आई हंसी देवी ने कहा कि हमारे क्षेत्र में जब शराब की दुकान खुली, हमने उसका विरोध किया, आसपास की ग्रामसभाओं में जाकर महिलाओं को संगठित किया। मार्च के महीने में पाँच ग्रामसभाओं की लगभग 150 महिलाओं ने 12 किमी़ पैदल चलकर तडागताल तहसील परिसर तक जुलूस निकाला व शराब की दुकान को बन्द कराने के लिए तहसीलदार को ज्ञापन दिया। तडागताल से ही आई प्रेमा मेहरा ने कहा कि इस आन्दोलन में अमन संस्था द्वारा काफी सहयोग किया गया। हम चाहते हैं कि शराब पूर्ण रूप से बंद हो अमन संस्था की कार्यकर्ता शान्ति जोशी का कहना था, इस आन्दोलन के दौरान शराब कारोबारियों द्वारा उन्हें धमकियाँ भी दी गई। हलद्वानी से आई उत्तराखण्ड महिला मंच की सदस्य चन्द्रकला ने कहा कि मोथरावाला, देहरादून में शराब की दुकान को बन्द कराने के लिए जब आन्दोलन हुआ तो देहरादून प्रशासन ने पुलिस की मौजूदगी में शराब बिकवाई। चन्द्रकला का कहना था कि शराब विरोधी आन्दोलन केवल महिला आन्दोलन होकर न रह जाय बल्कि पुरुषों एवं नई पीढ़ी के युवाओं को भी इस आन्दोलन से जोड़ा जाये। लामाचौड़ हलद्वानी से आई मंजू सिजवाली ने बताया कि वह भी अपने क्षेत्र में बिकने वाली अवैध शराब का विरोध व शराब विरोधी आन्दोलनों में सहभागिता करती रही हैं। उन्होंने सबका ध्यान लामाचौड़ क्षेत्र में व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों द्वारा मादक द्रव्यों के सेवन व मादक द्रव्यों की बिक्री की ओर दिलाया।
(Ban Alcohol)

माटी संगठन, मुनस्यारी से आई हुई बहनें बसन्ती, पुष्पा, बीना, रेखा व मल्लिका ने कहा कि दरकोट में शराबी पति द्वारा अपनी पत्नी को नशे की हालत में जिन्दा जला देने के बाद शराब विरोधी आन्दोलन शुरू हुआ व आन्दोलन के दौरान स्थानीय तथाकथित बाहुबलियों द्वारा दी गई प्रताड़ना व छह साल तक फर्जी मुकदमों को उन्होंने झेला। माटी संगठन की मलिका विर्दी का कहना है कि जब तक शराब राजस्व का स्रोत है, तब तक इसका बन्द होना कठिन है। शराब तब समस्या बन जाती है जब शराब पीने वाला व्यक्ति हिंसक हो जाता है। इस हिंसा का शिकार परिवार की महिलाएँ व बच्चे बनते हैं। काण्डा, बागेश्वर से आई गंगा देवी व काण्डा की ग्राम प्रधान सविता नगरकोटी ने अपने गाँव से शराब की दुकान को हटवाने के लिए शराब विरोधी आन्दोलन चलाया व उनकी अगुवाई की।  उन्होंने अपने गाँव से शराब की दुकान को बन्द करा दिया।

महिला हाट अल्मोड़ा की पुष्पा ने काफलीखान में शराब की दुकान को बन्द करवाने में आन्दोलन के दौरान हुए अनुभवों को साझा किया। महिला हाट के राजू काण्डपाल ने कहा कि प्रदेश में शराबबन्दी के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जाय। बागेश्वर के बिलौना गाँव से आई गोविन्दी दफौटी व हीरा देवी ने कहा कि वे  फरवरी माह से आज तक आन्दोलनरत हैं। उनका कहना है कि हमारे गाँव की मुख्य समस्या अवैध रूप से बिक रही शराब है जो स्थानीय दुकानों में खुले आम बिकती है तथा इसका कुप्रभाव बच्चों पर भी पड़ रहा है। असामाजिक तत्वों का जमावड़ा होने से गाँव, घर व परिवार की शान्ति भंग हो गई है। हम गाँव की महिलाएँ दिन में खेती का कार्य करने के बाद रात को इन दुकानों में पहरा देती हैं। हमने कई बार प्रशासन से भी शिकायत की है पर यह अवैध शराब का कारोबार अभी तक बन्द नहीं हुआ है। इस शराब विरोधी आन्दोलन को आगे जारी रखने के लिए गोविन्दी दफौटी सभी से सहयोग की अपेक्षा रखती हैं।

महिला जागृति महासंघ करायल ओखलकांडा की अध्यक्षा उमेदी देवी व उनकी सहयोगी आनन्दी देवी ने कहा, खनस्यूँ में शराब की दुकान खुलने का हमने विरोध किया। इस आन्दोलन के दौरान शराब माफिया व प्रशासन के साथ जो संघर्ष चला, उसके अनुभव उन्होंने बताये। उनका कहना था कि खनस्यूँ से शराब की दुकान तो हट गई पर यह दुकान दूसरे गाँव में खोल दी गई। उत्तराखण्ड महिला मंच नैनीताल की उमा भट्ट ने कहा कि एक-एक गाँव का शराब से मुक्त होना जरूरी है तभी उत्तराखण्ड शराब से मुक्त हो सकेगा। चाय की दुकानों तथा अन्य वस्तुओं की दुकानों में जो शराब बिकती है, वह भी अवैध शराब है और प्रशासन उसे आसानी से बन्द कर सकता है। शराब के विरोध में आन्दोलन हमेशा चलते रहते हैं। हमारे संगठन ने तल्लीताल नैनीताल की शराब की दुकान को बन्द करने के लिए धरना-प्रदर्शन किया तो हमें स्थानीय लोगों का सहयोग मिला जिसके फलस्वरूप तल्लीताल से दुकान तो हट गई लेकिन कुछ समय तक बन्द रहने के बाद कुछ ही दूरी पर मालरोड में खोल दी गई। उत्तराखण्ड राज्य की लड़ाई के समय महिलाओं ने नशामुक्त उत्तराखण्ड की माँग की थी। महिलाओं की यह माँग अभी भी बनी हुई है।

द्वितीय सत्र में रणनीतियों पर चर्चा हुई जो कि प्रथम सत्र के मंथन से निकलकर आईं तथा प्रस्ताव पारित किये गये।
(Ban Alcohol)

प्रस्ताव

आज की गोष्ठी में शराब विरोधी आन्दोलनकारी महिलाओं ने सुश्री राधा बहन की अध्यक्षता में नशामुक्त उत्तराखण्ड की माँग करते हुए निम्न प्रस्ताव पारित किये-

1.     उत्तराखण्ड सरकार शराब को राजस्व के नाम पर एक मुख्य स्रोत मानना बन्द करे। शराब व नशे से समाज को जो छुपी हुई कीमत चुकानी पड़ती है, इसका आकलन करना आवश्यक है। बेरोजगारी, पारिवारिक हिंसाएँ, स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव व युवकों में निराशा व सामाजिक टूटन में शराब की अहम भूमिका है। अत: राज्य में पूर्ण शराबबन्दी लागू की जाय।

2.     गाँव-गाँव में अवैध शराब की बिक्री पर सख्त रोक लगाई जाय, जिन क्षेत्रों में अवैध शराब की बिक्री हो रही है उसकी जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस व प्रशासन की मानी जाय।

3.     उत्तराखण्ड के शहरों व गाँवों में छात्रों के बीच चरस व स्मैक के बढ़ते व्यापार को नियंत्रित किया जाय।

4.     जहाँ स्थानीय जनता शराब का विरोध करती है वहाँ शराब की दुकानों को खोलने से पहले जनमत संग्रह किया जाय। यदि 50 प्रतिशत तक जनता हस्ताक्षर कर ज्ञापन प्रशासन को देकर शराब के ठेके का विरोध जाहिर करती है तो वहाँ की दुकान रद्द की जाय। उत्तराखण्ड के हर गाँव में यह प्रक्रिया चलानी चाहिए।

5.     सभी सरकारी अस्पतालों में नशामुक्ति व पुनर्वास केन्द्र स्थापित किये जायें।

6.     उत्तराखण्ड में चरणबद्ध रूप से शराबबन्दी लागू की जाय। प्रथम चरण में सबसे पहले सभी अवैध रूप से बेची जा रही शराब पर पूर्ण रोक लगे, जहाँ जनता शराब के ठेके का विरोध कर रही हो, वहाँ न खोली जाय।

7.     महिलाओं व जनता द्वारा विरोध दर्ज करने पर हर शिकायत पर ठोस कार्यवाही की जाय।

8.     सरकार मोबाइल वैन से शराब बेचना बंद करे।

9.     उत्तराखण्ड स्तर पर और जिला स्तर पर निगरानी समितियाँ बनाई जांय। इन शिकायतों पर त्वरित निस्तारण करने की व्यवस्था की जाय व जनता के समक्ष आँकड़े प्रस्तुत किये जाय।
(Ban Alcohol)

उत्तरा के फेसबुक पेज को लाइक करें : Uttara Mahila Patrika