झारखण्ड की स्त्रियाँ कहती हैं शराब का कानून यहाँ भी लागू हो

सीमा कुमारी ‘सेवा’

झारखण्ड में बहुत कम महिलाएँ हैं, जिन्हें इस बात की जानकारी है कि कुछ राज्यों में शराबबन्दी का कानून लागू है। लेकिन कई सारी ऐसी बहनें हैं जिनको जब इस तरह के कानून की जानकारी मिलती है तो वे कहती हैं कि ‘अगर इस तरह का कोई कानून है तो क्यों नहीं शराब, हड़िया बंद हो रही है, सड़कों के किनारे बैठकर खुलेआम हड़िया बेची जा रही है। अगर सच में कोई कानून है तो हमें बताइये, हम सब मिलकर कोशिश करेंगे कि उसे लागू किया जा सके ताकि हमारा घर और हमारे बच्चे दोनों सम्भले रह पाएँ।’

झारखण्ड में शराब के साथ-साथ हड़िया (शराब जैसा एक अन्य पेय) का प्रचलन काफी है। यहाँ के हर पर्व, उत्सव या शादी में शराब-हड़िया का सेवन अनिवार्य रूप से किया जाता है। यहाँ के अधिकतर लोगों का मानना है कि अगर शराब या हड़िया नहीं तो कुछ नहीं। झारखण्ड में महिलाएँ और पुरुष दोनों ही शराब का उपयोग करते हैं। इनमें से कई महिलाएँ ऐसी भी हैं जिनके घर का खर्च ही शराब या हड़िया बेचकर जुटाया जाता है। हालांकि एक सच यह भी है कि जिस शराब को बेचकर कुछ महिलाओं के घर का गुजारा चलता है वहीं शराब की वजह से कई सारी महिलाओं का घर बरबाद भी हो जाता है।

शराब की वजह से महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे घर-परिवार के साथ-साथ समाज भी प्रभावित होता है। सबसे ज्यादा परेशानी उन महिलाओं को होती है, जिनके घर के पुरुष शराब के व्यसनी होते हैं।

झारखण्ड में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ अधिक कार्य करती हैं। पुरुषों में अधिकतर शराब पीकर दिनभर मस्त रहते हैं। महिलाएँ काम करके शाम को जब घर वापस आती हैं तो उनके पति उनसे शराब पीने के लिए पैसा माँगते हैं और जब वे देने से इंकार करें तो उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट करने लगते हैं। शराब की लत के कारण वे बच्चों पर भी हाथ उठाते हैं। शराब के नशे में पुरुष महिलाओं को कई बार इतनी बुरी तरह से मारते हैं कि उन्हें काफी चोट आती है और वे कई-कई दिनों तक बिस्तर पर पड़ी रहती हैं जिसके कारण काम पर नहीं जा पाती हैं और उनका काम छूट जाता है।
(Alcohol Law in Jharkhand )

राँची तथा हजारीबाग में ज्यादातर घर मिट्टी के बने होते हैं और बहुत छोटे-छोटे होते हैं। अक्सर एक कमरे के घर में बच्चे, पति-पत्नी एक साथ सोते हैं, तब पुरुष नशे में अपनी पत्नी के साथ जबर्दस्ती करते हैं और इस सबका बच्चों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। किन्ही घरों में तो पुरुष और महिला दोनों ही शराब के व्यसनी होते हैं, जिसके कारण उनके घर के बच्चे भी कम उम्र में ही नशा करने लगते हैं। उनका स्कूल छूट जाता है, वे कम उम्र में शादी कर लेते हैं और कुछ समय बाद फिर से वही कथा दोहराई जाती है, जहाँ वे अपने पिता की तरह ही व्यवहार करने लगते हैं।

महिलाएँ सारा दिन काम करके जब थकी-हारी घर आती हैं, तब पुरुष फरमाईश करते हैं कि मुर्गा बनाओ, धोंगी बनाओ और जब यह सब नहीं बन पाता है तो सारा खाना उठाकर घर से बाहर फेंकदेते हैं। शराब पीने की वजह से पुरुषों को कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है, जैसे- टी.बी., किडनी का खराब हो जाना, हाथ-पैर में कँपकँपी आदि और इन बीमारियों के इलाज का खर्च महिलाएँ नहीं उठा पाती हैं क्योंकि वे ही अपने घर में एकमात्र कमाऊ सदस्य होती हैं और किसी तरह दो वक्त का भोजन जुटा पाती हैं।

इलाज के अभाव में अधिकतर पुरुषों की मृत्यु हो जाती है लेकिन फिर भी उन्हें शराब में कोई बुराई नजर ही नहीं आती है। वे तो दिन-रात नशे की लत पूरी करने में लगे रहते हैं, उन्हें तो सुबह चाय नहीं बल्कि शराब चाहिए होती है।

हजारीबाग में अधिकतर पुरुष खेती करते हैं। वे दिन भर मजदूरी करते हैं और शाम को थक कर आते हैं। रात में वे शराब पीकर सो जाते हैं ताकि उनकी थकान उतर सके लेकिन कई पुरुष ऐसे होते हैं जो बड़े-छोटे तक का लिहाज नहीं करते और गाली बकना या बुरा व्यवहार करना आदि में लगे रहते हैं। एक बार हजारीबाग में थाने से कुछ लोगों ने आकर समझाया, तब कुछ दिन के लिए लोगों ने पीना बंद कर दिया था, लेकिन थोड़े समय बाद वे फिर से पीने लगे और माहौल फिर से वही हो गया।
(Alcohol Law in Jharkhand )

यहाँ यह भी देखने में आ रहा है कि शराब पीने के कारण बहुत कम उम्र में पुरुषों और महिलाओं की आँखों में मोतियाबिन्द हो जाता है। पुरुष पीने के आदि हैं और काम नहीं करते हैं, शराब पीकर इधर-उधर पड़े रहते हैं। ऐसी स्थिति में महिलाओं को अकेले ही घर और बाहर के काम सम्भालने पड़ते हैं। वे ही मजदूरी भी करती हैं और अपने परिवार का खर्च भी उठाती हैं। कम पैसों की वजह से महिलाएँ पोषक आहार नहीं खाती हैं, जिससे उनका शरीर कमजोर होने लगता है। इनमें से कई सारी एनीमिया का शिकार भी हो जाती हैं।

इन सब परेशानियों से निजात पाने के लिए महिलाओं ने ही कुछ करने की ठानी और एक टोली बनाई, जिसमें कुछ पुरुष भी शामिल हैं। सभी ने मिलकर एक बैठक की और इस बैठक में गाँव के प्रधान राजेश भाई ने टोली में यह आदेश दिया कि जो भी हड़िया बेचते हुए पकड़ा जाएगा उससे 1,000 रुपये का जुर्माना लिया जाएगा। इसकी वजह से हड़िया की बिक्री पर थोड़ी रोक लगी।

इसी तरह से एक अन्य क्षेत्र जयप्रकाश नगर का भी किस्सा है। वहाँ एक महिला महुआ से शराब बनाकर बेचती थी। उस क्षेत्र के बच्चे-बड़े सभी लोग सुबह-शाम नशे में रहते थे और इस वजह से हर घर में लड़ाई-झगड़ा, गाली बकना आदि दृश्य आम थे। कुछ समय पूर्व वहाँ की महिलाओं ने एक समूह में एकत्रित होकर उस महिला के घर पर धावा बोला और उसकी बनाई हुई सारी शराब को बाहर फेंक दिया। उस महिला को भी चेतावनी दी कि अगर उसने शराब बेचना बंद नहीं किया तो सब मिलकर उसे गाँव से बाहर निकाल देंगे। वह महिला डर गई और उसने शराब बनाना और बेचना दोनों ही काम छोड़ दिए। शराब के विरोध में बहनों ने एक-दो जगहों से नारे लगाते हुए रैली भी निकाली, जिसके कारण कई बहनों ने शराब पीना छोड़ दिया है। वे कहती हैं कि झारखण्ड में भी शराबबन्दी का कानून लागू हो। हमारा प्रयास है कि हम इस दिशा में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें ताकि शराब की वजह से घरों का बरबाद होना रोक सकें।
-अनुसूया जनवरी 2018 से साभार
(Alcohol Law in Jharkhand )

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