हमारी दुनियाँ

महिला सैनिक शान्ति अभियान

संयुक्त राष्ट्र शान्ति मिशन के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण जगह अफ्रीका का कांगो क्षेत्र है। वहाँ पर भारत के महिला सैनिक शान्ति बल ने शान्ति अभियान की डोर सम्भाल ली है। कांगो के उत्तरी कीन प्रान्त में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं। जिस पर कब्जा पाने के लिए 38 सशस्त्र समूह संघर्षरत हैं। इस स्थिति से मुकाबले व संघर्ष से पीड़ित महिलाओं व बच्चों की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 28 से 37 वर्ष के बीच की आयु वर्ग के सैनिकों को तैनात किया है, जो हर परिस्थिति में बिना हथियार के भी नियंत्रण करने में सक्षम हैं। इन बलों में बीस सदस्यीय भारतीय महिला शान्तिबल भी शामिल है, जिसकी नियुक्ति महासचिव अन्तोनियो गुटेरस की पहल और प्राथमिकता के अनुरूप की गई है। संयुक्त राष्ट्र संगठन स्थिरता मिशन के तहत नियुक्त यह बल संघर्ष से पीड़ित महिलाओं व बच्चों की खास तौर पर मदद करेगा।

अंतरिक्ष मिशन और महिलाएँ

इसरो के इतिहास में यह पहली बार है, जब किसी अन्तरिक्ष मिशन की कमान दो महिला वैज्ञानिकों के हाथों में है। इसमें वनिता मुथैया चन्द्रयान-2 मिशन में परियोजना निदेशक हैं और रितू करिधाल मिशन डायरेक्टर हैं। कुछ और महिला वैज्ञानिक भी हैं, जिन्होंने इस मिशन के जरिये सफलता का आसमान छुआ है। जैसे टी.के. अनुराधा, इसरो की महिला वैज्ञानिकों में सबसे वरिष्ठ हैं। वह पहली महिला उपग्रह परियोजना निदेशक हैं तथा वर्तमान में यूआर राव अंतरिक्ष केंद्र में जियोसैट प्रोग्राम डायरेक्टर हैं। एन. वालारमति देश की पहली रडार इमेजिंग सेटेलाइट रिसैट-1 की परियोजना निदेशक के तौर पर अब्दुल कलाम अवार्ड पाने वाली पहली शख्स हैं। और रिमोट सेंसिंग सेटेलाइन में प्रयुक्त मिशन की प्रमुख हैं। चन्द्रयान-2 मिशन के लिए अग्रणी भूमिका निभाने वाली वी.आर. ललिताम्बिका एडवान्सड् लौंचर तकनीकी विशेषज्ञ है और गगनयान मिशन की कोआर्डिनेशन प्रमुख हैं। सीता सोमसुन्दरम अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम कार्यालय में कार्यक्रम निदेशक हैं। देश की पहली रडार इमेजिंग सैटेलाइट रिसेट-1 की ऑपरेशन डायरेक्टर की भूमिका निभा चुकी नन्दिनी हरिनाथ मार्श र्ऑिबटर मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर हैं। इसरो की सिस्टम इंजीनियर के तौर पर मार्श मिशन के लिए मिथेन सेंसर बनाने में योगदान देने वाली मीनल रोहित मार्श मिशन की परियोजना प्रबन्धक हैं। ममिता दत्ता मिशन की परियोजना प्रबन्धक है। इन्होंने मार्श पेलोड बनाने में योगदान दिया है। इनके अलावा चन्द्रयान-2 को संभव बनाने में करीब तीस प्रतिशत महिलाओं का हाथ है।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)

मोबाइल पर रोक

गुजरात के बनासकांठा जिले के दांतीवाड़ा में 14 जुलाई 2019 को एक बैठक करके ठाकोर समुदाय ने अविवाहित लड़कियों के मोबाइल फोन रखने पर रोक लगा दी है। यदि किसी अविवाहित लड़की के पास फोन पाया गया तो उसके पिता पर 1.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा। इसका कारण बताया गया है कि मोबाइल फोन होने से वे अच्छी तरह से पढ़ाई कर सकेंगी। अन्तर्जातीय विवाह करने वाले जोड़ों के माता-पिता पर भी डेढ़ से दो लाख तक का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया गया है। दांतीवाड़ा तालुक में 12 गाँवों में समुदाय के बुजुर्गों ने बैठकर आपस में यह फैसला सर्वसम्मति से किया है। शादी समारोहों में आवश्यक खर्च करने पर भी प्रतिबन्ध लगाया है।

हद तो यह है कि कांग्रेस विधायक गनिबेन ठाकोर ने कहा कि, इस प्रतिबन्ध में उन्हें कुछ गलत नहीं दिखाई देता। अल्पेश ठाकोर ने कहा यदि पढ़ाई में बाधा न हो इसलिए प्रतिबन्ध है तो लड़कों के मोबाइल रखने पर भी माता-पिता पर जुर्माना होना चाहिए।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)

दुष्कर्म के बढ़ते मामले

जनवरी से जून माह तक देश में बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म की 24000 घटनाओं पर सुप्रीमकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले का परीक्षण करने का निर्णय लिया है। अदालत ने वरिष्ठ वकील वी. गिरि को न्याय मित्र नियुक्त करते हुए उन्हें ऑकड़ों का अध्ययन कर कोर्ट को सुझाव देने के निर्देश दिये थे जिसे सभी राज्यों में जारी किया जा सके। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट कहा है कि वी. गिरि और सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता के अतिरिक्त किसी तीसरे पक्ष को इस मामले में दखल की अनुमति नहीं दी जायेगी। चीफ जस्टिस ने दुष्कर्म के मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने या विशेष अदालत बनाने पर विचार करने की बात कही। बच्चियों के यौन उत्पीड़न की घटनाओं में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। पिछले छ: महीनों (जनवरी-जून 2019) में जहाँ 3457 एफ.आई.आर. दर्ज हुए उनमें से 1779 मामलों में अब तक जाँच पूरी नहीं हुई। एम.पी. में 2389 केस दर्ज हुए। और पुलिस 1841 मामलों में चार्ज सीट दायर कर चुकी है। राजस्थान में 1285, कर्नाटक में 1133, गुजरात में 1124, तमिलनाडु में 1043, केरल में 1012, ओड़िसा में 1005 मुकदमे दर्ज किये गये। यह आँकड़े चिन्तनीय हैं और इसके लिए ठोस कदम उठाने जरूरी हैं।

उपलब्धियों के शिखर पर अपर्णा

यूँ तो अपर्णा कुमार भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल में डी.आई.जी. के पद पर सेवारत हैं परन्तु अपने हौसले व जज्बे का परिचय देते हुए उन्होंने हाल में ही अमेरिका के अलास्का स्थित 20310 फीट ऊँची  माउण्ट डेनाली चोटी फतह की। यू.पी. कैडर 2002 की आई.पी.एस. अधिकारी अपर्णा कुमार इससे पहले विश्व के 6 महाद्वीपों की 6 सबसे ऊँची चोटियों को फतह कर चुकी हैं। उन्होंने अपना दक्षिणी धु्रव अभियान पूरा कर उत्तरी धु्रव की 111 मील की ओस्लो की यात्रा भी इसी साल जनवरी में पूरी की थी। माउण्ट डेनाली पर तिरंगा फहराने वाली अपर्णा देश की पहली आई.पी.एस. अधिकारी बन गई है।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)

यौन शोषण पर मृत्युदण्ड

पौक्सो अधिनियम में संशोधन करते हुए लोकसभा में मासूमों के यौन उत्पीड़न के आरोपी को मृत्युदण्ड देने पर मुहर लग गयी है। इससे पहले इस बिल को उच्च सदन में मंजूरी मिल चुकी थी। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि मासूमों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने जरूरी हैं। अन्यथा अपराधियों में भय नहीं रहेगा और वे निडर होकर अपराध करते रहेंगे। इस बिल के पास होने के बाद देश में 43 करोड़ बच्चों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी। बच्चों को जल्दी वयस्क बनाने वाली दवाइयों पर भी नजर रखी जायेगी। साथ ही चाइल्ड पोर्नोग्राफी की परिभाषा निश्चित करके दोषियों को सजा दी जायेगी।

अंशुला बनीं विश्व बैंक की एम.डी.

स्टेट बैंक की प्रबन्ध निदेशक अंशुलाकान्त को विश्व बैंक का एम.डी. व मुख्य वित्तीय अधिकारी नियुक्त किया गया है। अंशुला कान्त को भारतीय स्टेट बैंक में वित्त र्बैंंकग व तकनीक के इस्तेमाल का 35 साल का अनुभव होने के कारण उन्हें विश्व बैंक में वित्तीय व जोखिम प्रबन्धन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)

पहली महिला फ्लाइट कमांडर

पंजाब के लुधियाना में पली-बढ़ीं विंग कमांडर एस़ धामी भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में देश की पहली महिला फ्लाइट कमांडर बन गई हैं। वायु सेना की एक फ्लाइंग यूनिट में कमांडिंग अफिसर के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। एस़ धामी ने हाल ही में हिंडन एयरबेस से बतौर फ्लाइट कमांडर हेलीकप्टर से उड़ान भरी थी। वह वायु सेना में स्थायी कमीशन अधिकारी हैं तथा पिछले 15 सालों से भारतीय वायु सेना के हेलीकप्टर उड़ा रही हैं। अपने करियर में उन्होंने चेतक और चीता जैसे हेलीकप्टरों में उड़ान भरी है। वायु सेना की उड़ान शाखा में उनकी पदोन्नति को कमांडिंग यूनिट और फर्मेशन में महिलाओं को शामिल करने के एक और कदम के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि वायु सेना में महिलाओं को शामिल किए जाने का सिलसिला 1994 में शुरू हुआ था। तब उन्हें नन-कम्बैट रोल दिया गया। बाद में धीरे-धीरे उन्हें कम्बैट भूमिकाएं भी दी गईं।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)

स्वागतयोग्य फैसले

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला जहाँ रह रही है, वह वहीं हिंसा की शिकायत दर्ज करवा सकती है और वहीं का कोर्ट महिला की सुनवाई भी करेगा। जहाँ हिंसा हुई हो वहाँ दोबारा जाकर बिना किसी पारिवारिक सहयोग के केस लड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है, इसलिए वह जहाँ रह रही है, वहीं शिकायत दर्ज करवा सकती है। एक अन्य फैसले में कोर्ट ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि हिंसा पीड़ित महिला खुद ही केस दर्ज करवाये। कोई अन्य रिश्तेदार भी महिला की तरफ से केस दर्ज करवा सकता है। पिता द्वारा केस दर्ज करवाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना पीड़िता द्वारा करवाया जाना। इसके अलावा एक अन्य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा से पीड़ित ऐसी महिला जिसके पति की मृत्यु हो चुकी है, उसको ससुराल पक्ष के वे सभी पुरुष, जिनसे उस महिला का कोई रिश्ता है, गुजारा भत्ता देने के लिए जिम्मेदार ठहराये जा सकते हैं। यह मामला हरियाणा राज्य का है। हरियाणा उच्च न्यायालय ने घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला के देवर को आदेश दिया कि वह पीड़ित महिला को छ: हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता दे। फैसले के खिलाफ देवर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट में उसकी अपील खारिज हो गई।

साहसी उज्ज्वला

नारी सशक्तीकरण और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को गति देने के लिए चौबटिया, रानीखेत, उत्तराखण्ड की 25 वर्षीय उज्ज्वला ने दिल्ली से लेह (लद्दाख) तक का सफर बाइक से किया। उनके इस संदेश अभियान में उनकी पाँच महिला साथी भी शामिल थीं। तेरह दिन की इस यात्रा में उन्होंने तीन हजार किमी. की दूरी तय की व 18,380 फीट ऊँचे खारदुंग ला पास को भी पार किया। रास्ते में उन्होंने महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया। चार बार विश्व रिकार्ड विजेता पल्लवी फौजदार के नेतृत्व में हिमालयन आईवक्स बैनर तले उज्ज्वला का ग्रुप यात्रा पर निकला। वे जोजिला पास, द्रास और कारगिल होते हुए लेह पहुँचे। वहाँ से 4350 मीटर ऊँचे पैंगोग त्सो लेक व बाराल्हाचा चला पास भी गये। रास्ते में जहाँ भी रुके, वहाँ जागरूकता सन्देश दिये।
(Hamari Duniya Uttara Mahila Patrika)

प्रस्तुति : पुष्पा गैड़ा

उत्तरा के फेसबुक पेज को लाइक करें : Uttara Mahila Patrika